Friday 3 May 2013

सरबजीत मामले में एक बार फिर पाक बेनकाब हुआ




 Published on 3 May, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
 आखिर वही हुआ जिसकी आशंका थी, खबर आई है कि लाहौर के जिन्ना अस्पताल में जिन्दगी और मौत के बीच झूल रहे भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह (49) ने बुधवार मध्य रात्रि के बाद दम तोड़ दिया। उनके इलाज के लिए गठित मेडिकल बोर्ड के प्रमुख महमूद शौकत ने सरबजीत के निधन की पुष्टि कर दी है। सरबजीत का निधन ऐसे समय में हुआ जब उनका परिवार उनके बेहतर इलाज की मांग को लेकर बुधवार सुबह ही भारत आया था। एक बेकसूर आदमी दोनों देशों की सियासत का शिकार हो गया। 22 साल कम नहीं होते। वो भी उस गुनाह के लिए जो किया ही न गया हो। गलत पहचान के आधार पर किसी इंसान को जेल में डाले रखना और उसकी पहचान बताने वाले साक्ष्यों को दरकिनार कर देना हैरानी भरा है। यह कहानी है उस अभागे सरबजीत सिंह की। 49 साल के सरबजीत को 1990 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुए बम विस्फोट में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इन धमाकों में 14 लोगों की जान गई थी। सरबजीत को फांसी की सजा सुनाई गई। भारत इसे गलत पहचान का मामला बताता रहा है। सरबजीत पंजाब के तरनतारन के भिखीविंड का रहने वाला था। ओवेस शेख पाकिस्तान में सरबजीत के वकील हैं। उनका कहना है कि जिन मामलों में सरबजीत पर मुकदमा चलाया गया है उनमें सरबजीत के शामिल होने का कोई प्रमाण नहीं है। इस मामले का असली अभियुक्त कोई मंजीत सिंह है। यह पूरी तरह गलत इंसान को अपराधी समझकर सजा दिए जाने का मामला है। उन्होंने सरबजीत पर एक किताब एaraंरग्t एग्हुप् ः A म्asा द श्ग्staवह घ्dाहूग्tब् लिखी है। 26 जून 2012 को अचानक से पाक राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी द्वारा सरबजीत की फांसी की सजा माफ करने और उसे छोड़ने की खबरें फ्लैश होने लगीं। लेकिन पांच घंटे के अन्दर ही पाकिस्तान ने यू-टर्न ले लिया। कहा कि सरबजीत की न तो रिहाई होगी और न ही उसकी सजा कम होगी। जिस शख्स की रिहाई होनी है उसका नाम सुरजीत सिंह है। माना जाता है कि राष्ट्रपति जरदारी कट्टरपंथियों, आईएसआई और पाक फौज के दबाव में आकर झुक गए और अपना फैसला पलट दिया। सरबजीत की रिहाई पर पलटने वाले पाक का झूठ ओवेस शेख ने सामने ला दिया। उन्होंने सरबजीत की रिहाई के ऐलान के तुरन्त बाद सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर कहा था कि सरबजीत की रिहाई पक्की है। तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन अगले तीन-चार दिन में सरबजीत को लेकर मैं खुद भारत आ रहा हूं। कुछ घंटे पहले पाक राष्ट्रपति के प्रवक्ता ने टीवी पर इस बात की पुष्टि की है कि जरदारी ने सरबजीत सिंह की फांसी की सजा माफ कर दी है। पाकिस्तानी जेलों में भारतीय कैदियों का क्या हाल किया जाता है वहां के एक भुक्तभोगी ने बताया। लाहौर के कुख्यात कोट लखपत जेल में कैद रहे स्वर्ण लाल का कहना है कि जेल में जानवरों जैसा सलूक होता है। बेरहमी से पीटते हैं, छोटे-छोटे कमरों में बन्द कर दिया जाता है। नीचे लिटाकर बाजू पकड़ लेते हैं। टांगे उठाकर ऊपर चार-पांच लोग जूतों समेत पूरे शरीर को रौंदते हैं। पीठ की चमड़ी उतर जाती है। टमाटर से ज्यादा लाल शरीर कर देते हैं। स्वर्ण लाल के मुताबिक आगे एक चक्कर बनाया जाता है और भारतीय कैदियों को वहां पूछते हुए पीटा जाता है। एक बैरक से दूसरे बैरक तक चक्कर लगवाते हैं और मार-मार कर गिरा देते हैं। स्वर्ण लाल ने कहा कि मैं सरबजीत से कई बार मिला हूं। वो भला इंसान है लेकिन उसकी जान को खतरा था। स्वर्ण लाल ने कहा कि हमें पता था कि कसाब और अफजल गुरू की फांसी के बाद उस पर हमला होगा। जिस जगह सरबजीत था वो अलग सेल है। वहां पर आम लोग नहीं जा सकते। खाना तक खुद पुलिस टीम लेकर जाती है। ऐसे में उस पर हमला होना एक साजिश ही है। पहले भारतीय कैदी चमेल सिंह को मारा था। मेंढर में जवानों के सिर काटे गए। अब सरबजीत को मार दिया। ये सब कसाब और अफजल का बदला है। यही बात कोट लखपत जेल में 12 साल की सजा काटने के बाद लौटे जम्मू निवासी विनोद साहनी ने कही। जिस कैदी को मौत की सजा होती है उसे अलग सेल में रखा जाता है और वहां पर कोई भी कैदी नहीं जा सकता। सरबजीत पर कातिलाना हमला सोची-समझी साजिश का नतीजा है। विनोद साहनी का कहना है कि हमारी एजेंसियों के लोग वहां सिर्प मुर्गे खाने बैठे हैं। वे भारतीयों की कोई मदद नहीं करते। मारकर भारतीय कैदियों के शव को स्वीपर के हवाले कर देते थे और वो उसे गटर में फेंक देता था। उन्होंने बताया कि जम्मू के तीन लोगों की मौत पहले हुई है। एक का संस्कार मैंने किया था और आते वक्त उसकी अस्थियां मैं लेकर आया था। राजस्थान के परमानन्द का संस्कार भी मैंने ही किया था। विनोद ने बताया कि कोट लखपत जेल में जम्मू के आरएसपुरा के हंसराज को मार दिया गया। उसका शव तक नहीं मिल पाया। जम्मू के सांबा के देवी दास को दिर्ची के डंडे से बुरी तरह प्रताड़ित किया गया और मार दिया गया। उनका भी शव नहीं मिला। सरबजीत की इस बेरहमी से की गई हत्या की जितनी भी निन्दा की जाए कम है। पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हो गया है। सरबजीत की मृत्यु पर हमें दुख है, एक गलतफहमी के चक्कर में वह मोहरा बन गया।

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