Tuesday, 14 May 2013

इंस्पेक्टर बद्रीश और गीता शर्मा का केस सुसाइड का या हत्या का?




 Published on 14 May, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर बद्रीश दत्त की गुड़गांव में हत्या की गई या फिर उन्होंने आत्महत्या की यह तो जांच का विषय है लेकिन उनकी मौत से दिल्ली पुलिस ने एक जांबाज अफसर को जरूर खो दिया है। शनिवार को वह अपनी महिला मित्र गीता शर्मा के फ्लैट में उसके साथ मृत पाए गए। स्पेशल सेल के पूर्व एसीपी राजवीर की टीम में कभी शामिल रहे अचूक निशानेबाज बद्रीश की बाएं कनपटी में उनके ही रिवाल्वर से गोली लगी थी जबकि गीता के दाहिनी कनपटी में गोली लगी थी। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बद्रीश करीब एक साल से गीता के साथ लिव-इन-रिलेशन में रह रहे थे। इंस्पेक्टर बद्रीश दत्त दिल्ली पुलिस में वर्ष 1991 में बतौर सब इंस्पेक्टर भर्ती हुए थे। बद्रीश एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहे जाने वाले एसीपी राजवीर सिंह और बटला हाउस एनकाउंटर में शहीद हुए इंस्पेक्टर मोहन चन्द शर्मा की टीम के सदस्य रहे। उन्हें फोन इंटरसेप्शन का मास्टर माना जाता था। वे सेल के ऐसे तेज-तर्रार अफसर थे, जिन्होंने फोन इंटरसेप्ट के जरिए ही कई आतंकियों और गैंगस्टरों तक पहुंच बनाई। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को यह तीसरा झटका लगा है। इससे पहले भी सेल अपने दो अफसर खो चुकी है। सेल में एसीपी रहे राजवीर सिंह की भी गुड़गांव के एक प्रॉपर्टी डीलर ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद 2009 में बटला हाउस एनकाउंटर में इंस्पेक्टर मोहन चन्द शर्मा शहीद हो गए थे। दिल्ली में डिटेकटिव एजेंसी चलाने वाली गीता शर्मा और बद्रीश दोनों अपने परिवारों से अलग रहते थे। जिस प्रकार से दोनों एक साल से साथ रह रहे थे उससे सवाल उठ रहा है कि क्या उनके बीच प्रेम-प्रसंग था और वे लिव-इन-रिलेशन में यहां रह रहे थे। बताया जाता है कि गीता का अपने पति से काफी पहले तलाक हो चुका था। गीता शर्मा का परिवार मुंबई में रहता है। उसका एक बेटा विदेश में पढ़ रहा है। सूत्रों के अनुसार न तो गीता की अपने परिवार से बनती थी और कुछ ऐसी ही बात बद्रीश के बारे में भी सुनने को मिली। मनमुटाव के कारण वह अकसर घर से बाहर रहता था। ड्यूटी के बाद उसका ज्यादा समय गीता शर्मा के पास ही बीतता था। आश्चर्य की बात तो यह है कि फ्लैट में गोली चलने की पड़ोसियों को भनक तक नहीं लगी। बद्रीश दत्त को ड्यूटी पर पहुंचने में देरी होने पर उसके कार्यालय से मोबाइल पर कई कॉल की गईं। कॉल रिसीव न होने की स्थिति में पुलिस सीधे गुड़गांव आरडी स्थित गीता शर्मा के फ्लैट पहुंची। इससे पता चलता है कि बद्रीश ने अपने इस संबंध के बारे में अपने कार्यालय में भी सबको बता रखा था। अगर ऐसा न होता तो फिर पुलिस सीधे आरडी सिटी में गीता के फ्लैट पर कैसे पहुंचती? हाल ही में गीता शर्मा फ्रॉड के एक केस में 21 दिन तक तिहाड़ जेल में रहकर बाहर आई थी। बताया जा रहा है कि उसने इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) के फर्जी दस्तावेज तैयार करके उन पर गम्भीर जानकारी मांगी। आईबी की ओर से भेजे गए दस्तावेज समझकर उसे वह जानकारी दे दी गई। उसने उन जानकारियों को संबंधित लोगों तक पहुंचाया। जब इसके बारे में बात उजागर हुई तो उसे गिरफ्तार करके तिहाड़ जेल भेजा गया। वैसे स्पेशल सेल के अधिकारियों का विवाद से नाता रहा है। इसका एक कारण यह भी माना जा रहा है कि आईबी और रॉ की तर्ज पर स्पेशल सेल के अधिकारियों पर अंदरूनी नजर रखने वाला कोई तंत्र नहीं है। इसीलिए बद्रीश की मौत हत्या भी हो सकती है। गीता शर्मा के बारे में कहा जा रहा है कि वह आपराधिक किस्म की महिला थी। इस कारण यह सवाल उठ रहा है कि कहीं उसने सेल के इंस्पेक्टर से दोस्ती खुफिया जानकारी लेने के लिए तो नहीं ग़ांठी थी? बताया जा रहा है कि सुपारी देकर मारे गए अरबपति बसपा नेता दीपक भारद्वाज से भी गीता के संबंध थे। दीपक हत्याकांड में भी इससे पूछताछ हुई थी, बावजूद इसके इंस्पेक्टर बद्रीश से संबंध कायम थे। बद्रीश की हत्या की गई या उसने आत्महत्या की इसका खुलासा तो आने वाले दिनों में जांच पूरी होने पर पता लगेगा, फिलहाल दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल का एक जांबाज अफसर और कम हो गया।

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