Saturday 4 May 2013

राजनीति में लौटने की हसरत लिए मुशर्रफ की उम्मीदों पर पानी




 Published on 4 May, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
राजनीति में वापसी की हसरत लिए पाकिस्तान लौटे तानाशाह परवेज मुशर्रफ की मुसीबतों में हर दिन इजाफा हो रहा है। कभी-कभी तो वह जरूर सोचते होंगे कि काश मैं पाकिस्तान वापस न लौटता, लंदन में ही सही था। मंगलवार को मुशर्रफ के झटकों की लम्बी लिस्ट में एक और इजाफा हो गया। पेशावर हाई कोर्ट ने मुशर्रफ के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दोस्त मोहम्मद खान की अध्यक्षता वाली चार जजों की पीठ ने कहा कि राष्ट्रपति रहते हुए मुशर्रफ द्वारा संविधान निरस्त करने और जजों को हिरासत में रखने के मामले में यह प्रतिबंध लगाया गया। साथ ही अदालत ने नामांकन रद्द करने वाले फैसले को चुनौती देने वाली मुशर्रफ की याचिका भी खारिज कर दी। पाकिस्तान लौटने के बाद मुशर्रफ के लिए अदालत का यह आदेश सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। वहीं आतंकवाद निरोधी अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो हत्याकांड में मुशर्रफ को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अब पूर्व तानाशाह चुनाव के दिन 11 मई को भी जेल में होंगे। आतंकवाद निरोधी अदालत ने अब इस मामले में अगली सुनवाई 14 मई तय की है। खंडपीठ ने कहा कि मुशर्रफ ने दो बार संविधान पर हमला किया। उन्होंने देश पर अवैध तरीके से आपातकाल थोप दिया और न्याय व्यवस्था को निशाना बनाया। इन आरोपों पर अदालत ने उनके आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया। वे प्रांतीय व राष्ट्रीय असेम्बली के अलावा सीनेट के लिए भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। मुशर्रफ इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में स्थित अपने फार्म हाउस में कैद रहेंगे। इस फार्म हाउस को उप-कारागार घोषित किया गया है। चार साल के स्वनिर्वासन के बाद मुशर्रफ 11 मई को होने वाले आम चुनाव में शिरकत करने के लिए ही 23 मार्च को पाक लौटे थे, लेकिन चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिए जाने के चलते उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं पहले ही खत्म हो चुकी थीं, जबकि 26 अप्रैल को हुई सुनवाई  में अदालत ने उन्हें पूछताछ के लिए चार दिन की हिरासत में संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) को भी सौंपा था। एफआईए के मुख्य अभियोजक जुल्फिकार अली ने बताया कि संयुक्त जांच दल ने मुशर्रफ के खिलाफ जांच पूरी कर ली है और उनके खिलाफ ठोस सबूत एकत्र किए गए हैं। उन्होंने बताया कि मुशर्रफ ने अपनी जवाबदेही और जिम्मेदारी दूसरे पर डालने की कोशिश की लेकिन ऐसे ठोस सबूत हैं जो उन्हें दोषी साबित करते हैं। मुश्किल दौर में क्या मुशर्रफ का साथ पाक सेना देगी या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है। हालांकि सेना के रिटायर्ड जनरल कह चुके हैं कि आर्मी इस मामले में नजदीकी नजर रख रही है और एक सीमा के बाद पूर्व सेना प्रमुख मुशर्रफ का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी। सेना में नौ ऐसे सैन्य कमांडर मौजूद हैं जिन्हें मुशर्रफ ने अपने कार्यकाल में प्रमोशन दिया था। बहरहाल अभी तक न्यायपालिका के काम में सेना का किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं दिखाई दिया है।

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