Thursday 9 May 2013

चीनी सेना पीछे हटी पर किस कीमत पर?




 Published on 9 May, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी इलाके में चीनी सेना ने 15 अप्रैल को 19 किलोमीटर भारत की सीमा में घुसकर अपने तम्बू गाढ़ दिए थे। इसके जवाब में भारतीय सेना ने भी चीनी सेना के टैंट के ठीक सामने अपने तम्बू गाढ़ लिए। इस तरह बीस दिनों तक आमने-सामने की तैनाती बनी रही व रिश्ते तनावपूर्ण होने लगे थे। फिर भारत सरकार ने उपलब्धि के रूप में घोषणा की कि चीनी सैनिकों ने अपने तम्बू उखाड़ लिए हैं और वह जहां से आगे बढ़े थे वहीं लौट गए हैं। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने इसे सरकार की एक बड़ी कूटनीतिक जीत कहते हुए कहा कि उनकी प्रस्तावित चीन यात्रा तय कार्यक्रम के अनुसार ही होगी। धीरे-धीरे असलियत सामने आने लगी है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के 50 सैनिक वापस लौट गए पर जो बात भारत सरकार ने भारत की जनता को नहीं बताई वह यह थी कि भारत सरकार ने चीन सरकार से सौदेबाजी की थी। इस सौदेबाजी में एक शर्त यह थी कि अगर चीनी सैनिक 19 किलोमीटर पीछे हटेंगे तो भारतीय सेना भी पीछे हटेगी। 14 साल  पहले कारगिल में अपनी धरती को खाली करवाने के लिए जान की बाजी लगाने वाली भारतीय सेना के लिए डीबीओ सेक्टर में पीछे हटने की जीत वास्तविक रूप से शर्मनाक हार है। भारतीय सेना को लद्दाख सेक्टर में अपनी ही जमीन पर 34 किलोमीटर पीछे इसलिए हटना पड़ा है क्योंकि राजनीतिक कदम के तौर पर उसे चीन से मुकाबला नहीं करना था। दूसरे शब्दों में यह कहा जा रहा है कि लद्दाख सेक्टर में चीन की लाल सेना के मुट्ठीभर जवानों ने भारतीय सेना को बिना गोली चलाए पीछे खदेड़ दिया है। सिर्प यहीं पर बस नहीं हुई है बल्कि समझौते के तहत और भी कई शर्तों का पालन इस सेक्टर में करना होगा। जब खबर आई कि चीन की सेना अपने कदम पीछे हटाने की बात मान गई है तो भारतीय खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई पर भारतीय सेना में इसको लेकर कोई खुशी नहीं थी। ऐसा इसलिए कि भारतीय क्षेत्र में ही बनाए गए लाल सेना के ठिकाने से मात्र 300 किलोमीटर की दूरी पर कैम्प लगाए भारतीय जवानों को अब और 15 किलोमीटर पीछे बरस्ते के इलाके में जाने का आदेश सुना दिया गया। सूत्रों के अनुसार चीनी सेना इसी शर्त पर इलाका खाली करने को राजी हुई थी कि भारतीय सेना बरस्ते से आगे अब गश्त नहीं करेगी और न ही कोई सैन्य गतिविधियां चलाएगी। आम आदमी की तरह जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी लद्दाख में घुसपैठ करने वाली चीनी सेना के वापस लौटने से खुश तो हैं लेकिन यह बात उनके गले नहीं उतर रही कि आखिर भारतीय सेना किस इलाके को खाली करके लौटी है। सोमवार को उमर ने कहा कि मुझे खुशी है कि चीनी सैनिक 20 दिनों तक हमारे क्षेत्र में जबरन रहने के बाद लौट गए हैं लेकिन कहा जा रहा है कि चीनी सेना ने भारतीय जवानों द्वारा संबंधित इलाके को खाली करने के बाद यह कदम उठाया है। उमर अब्दुल्ला ने सवाल किया कि मेरी समझ में यह नहीं आता कि आखिर भारतीय जवान किस इलाके से हटे हैं? हम तो अपने ही इलाके में थे, चीनी सैनिकों ने ही यहां घुसपैठ की थी, इसलिए उनका हटना तो समझ में आता है लेकिन भारतीय सैनिकों का अपना ही इलाका खाली कर लौटना गले नहीं उतरता। इस सवाल पर केंद्र को स्थिति साफ करनी चाहिए।



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