Tuesday 20 November 2012

दालमोठ बेचने से 6000 करोड़ रुपए का साम्राज्य बनाने वाले पोंटी चड्ढा


 Published on 20 November, 2012
 अनिल नरेन्द्र
उत्तर भारत के बड़े शराब और रियल एस्टेट व्यवसायी गुरदीप सिंह चड्ढा उर्प पोंटी चड्ढा (55) और उनके भाई हरदीप सिंह चड्ढा हत्याकांड ने सभी को चौंका दिया। एक रेहड़ी पर नमकीन सामान बेचने वाले पोंटी चड्ढा अरबों के मालिक देखते ही देखते बन गए पर धन-दौलत के लालच ने भाई-भाई को मरवा दिया। चूंकि यह इतना बड़ा हादसा है कि इसकी सारी डिटेल्स आने में समय लगे पर जो कहानी अब तक उभरकर आई है वह कुछ ऐसी है। लगभग सात एकड़ क्षेत्र में फैले फार्म हाउस संख्या 40 से 42 डीएलएफ फार्म सेंट्रल ड्राइव की प्रॉपर्टी को लेकर दोनों भाइयों में विवाद चल रहा था। इसके अलावा भी बाकी सम्पत्ति को लेकर दोनों भाइयों में विवाद चल रहा था। शनिवार के वाकया से पहले 5 अक्तूबर को भी मुरादाबाद में चड्ढा ग्रुप की पुश्तैनी कोठी में फायरिंग हुई पर दो-चार फोन कॉलों से मामला दबा दिया गया। मगर उसी दिन मामले की गहराई तक पहुंचा जाता तो शायद शनिवार का यह हादसा टल जाता। खैर! शनिवार को इस विवाद ने भयानक रूप ले लिया। इस फार्म हाउस का मामला हाई कोर्ट में चल रहा था। एक-दो दिन के भीतर ही कोर्ट द्वारा गठित एक कमेटी के सदस्यों ने इस प्रॉपर्टी को देखने आना था। कमेटी देखना चाहती थी कि आखिर वहां पर किसका कब्जा है। माना जा रहा है कि दोनों पक्ष सम्पत्ति को अपने कब्जे में दर्शाना चाहते थे, जिसका नतीजा शनिवार को गोलीबारी और दोनों भाइयों की मौत के रूप में सामने आ गया। यह प्रॉपर्टी इन दिनों तीनों भाइयों में सबसे छोटे भाई हरदीप के कब्जे में थी। शनिवार सुबह हरदीप कहीं गया हुआ था। पीछे से दिन में लगभग साढ़े 11 बजे पोंटी फार्म हाउस पर पहुंचे। वह अपने साथ 10 से 12 गाड़ियां भरकर हथियारबंद आदमी लाए थे। इनकी संख्या 50 बताई जा रही है। घटना के समय उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सुखदेव सिंह भी मौजूद थे। फार्म हाउस के अन्दर घुसते ही इन लोगों ने वहां के कमरों में ताले लगाने शुरू कर दिए। जो लोग वहां मौजूद थे उन्हें डरा-धमकाकर बाहर निकाल दिया। यह देख हरदीप के एक कर्मचारी ने उन्हें फोन कर सूचना दी। फार्म हाउस के कमरों में ताले लगाने के बाद पोंटी अपने लोगों के साथ पीछे के रास्ते (मांडी रोड की तरफ वाला) से बाहर निकलने लगे। इसी रास्ते से हरदीप भी प्रवेश कर रहे थे। हरदीप के साथ उनके तीन सुरक्षा गार्ड भी थे। तभी दोनों का आमना-सामना हो गया। दोनों के बीच कहासुनी से शुरू हुई बात इतनी बढ़ गई कि पहले हरदीप ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल निकालकर बड़े भाई पोंटी पर फायर किया। यह देख पोंटी के पांच सुरक्षा गार्डों ने हरदीप पर गोलियां चला दीं। दोनों ओर से फायरिंग शुरू होने पर दोनों गुटों के लोग इधर-उधर भाग पेड़ों की ओट में छिपने लगे। इस वारदात में पोंटी चड्ढा को 12 गोलियां और उसके भाई हरदीप को चार गोलियां लगीं। इसके अलावा नरेन्द्र नामक पोंटी का जो कर्मी घायल हुआ है उसे भी तीन गोलियां मारी गई हैं। उसका ऑपरेशन हुआ है। नरेन्द्र पोंटी का मैनेजर है। फार्म हाउस के अन्दर लगभग आधे घंटे तक दोनों ओर से 40-45 गोलियां चलीं। वारदात में घायल पोंटी के लोग उसे अचेत हालत में फोर्टिस बसंत पुंज अस्पताल ले गए जहां उसे मृत घोषित किया गया। हरदीप ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। दक्षिण पश्चिमी परिक्षेत्र के ज्वाइंट कमिश्नर विवेक गोगिया ने बताया कि शनिवार सुबह करीब साढ़े 11 बजे दोनों भाइयों की मीटिंग थी। मीटिंग में दोनों पक्षों के करीब तीन दर्जन से ज्यादा लोग मौजूद थे। दोपहर करीब साढ़े 12 बजे भाइयों में बहस हुई और हरदीप ने पोंटी पर फायरिंग शुरू कर दी। उन्हें करीब एक दर्जन गोलियां मारी गईं। जवाबी कार्रवाई में पोंटी के गार्ड ने भी हरदीप पर गोलियां दागीं। हरदीप को चार गोलियां लगीं और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। पौने एक बजे पीसीआर को इस घटना की सूचना दी गई। सूचना के बाद करीब सवा बजे पीसीआर की गाड़ी फार्म हाउस पहुंची। पोंटी और हरदीप को पुलिस के पहुंचने से पहले ही करीब एक बजे बसंत पुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल ले जाया जा चुका था, जहां डाक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। पुलिस को फार्म हाउस के बाहर एक स्कोर्पियो कार भी मिली है। घटना के बाद पुलिस ने फार्म हाउस को सील कर दिया। फार्म हाउस से दो पिस्टल, एक एके-47 राइफल और कुछ जिन्दा कारतूस भी बरामद हुए हैं। यह हत्याकांड किसी गहरी साजिश का नतीजा था या फिर मौके पर आए गुस्से का? सबसे पहले तो पुलिस को यह पता करना होगा कि किसको कौन-सी गोली लगी और वह किस हथियार से फायर की गई? इस सिलसिले में बैलेस्टिक रिपोर्ट महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। पोस्टमार्टम के दौरान दोनों भाइयों के शरीर से निकाली गईं गोलियों को बैलेस्टिक एक्सपर्ट के पास भेजा जाएगा। बैलेस्टिक रिपोर्ट से कई ऐसे अनसुलझे सवालों के जवाब मिल जाएंगे, जिसके जवाब इस हत्याकांड की गुत्थी को सुलझाने के लिए अत्यंत जरूरी हैं। मसलन पोंटी चड्ढा और हरदीप चड्ढा के शरीर में मौजूद गोलियां कितने हथियारों से चलीं? हथियारों की संख्या से अनुमान लगाना आसान होगा कि हत्याकांड में कितने हमलावर शामिल हैं। दिल्ली पुलिस को यह भी पता लगाना होगा कि दोनों भाइयों के बीच किन-किन बातों को लेकर मतभेद थे। कुछ महीने पहले पोंटी चड्ढा के यहां आयकर विभाग के छापे पड़े थे। जिस प्रकार की सटीक जानकारी इन्कम टैक्स पार्टी को थी वह कोई अन्दर का आदमी ही दे सकता था। पोंटी को भाई हरदीप पर शक था। फार्म हाउस में घायल हुए गार्ड से भी पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने मौके वारदात में मौजूद नौकरों को हिरासत में ले लिया है और पूरे घटनाक्रम को जानने की कोशिश कर रही है। हरदीप चड्ढा के स्टाफ ने पुलिस को बताया कि शुक्रवार रात्रि इसी फार्म हाउस पार्टी में भी दोनों भाइयों के बीच लम्बी तकरार हुई थी। पोंटी हमेशा लो-प्रोफाइल के हाई क्लास ऑपरेटर रहे। बहुत कम लोगों को मालूम है कि उन्हें पतंगबाजी का भी शौक था। जब वे 10वीं में पढ़ते थे तो पतंगबाजी के दौरान तार लगा मांझा बिजली करंट की चपेट में आ गया और पोंटी का हाथ सुन हो गया था। इस वजह से ऑपरेशन के दौरान उनका बायां हाथ और दाहिने हाथ की दो अंगुलियों को काटना पड़ा था। इस हत्याकांड के इतने चश्मदीद गवाह हैं कि यह तो पता चल जाएगा कि शनिवार को फार्म हाउस में हुआ क्या था।


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