Friday 30 November 2012

साथी को बचाना तो दूर रहा बदमाशों को फरार होने का मौका दिया


 Published on 30 November, 2012
 अनिल नरेन्द्र
घटना रात करीब 2.10 बजे की है, हेड कांस्टेबल राम किशन अपने साथी सिपाही जेके सिंह के साथ जोंटी बार्डर पर वाहनों की चैकिंग कर रहा था। इस बीच नाइट पेट्रोलिंग पर आए एसआई खजान सिंह और हैड कांस्टेबल विजेंद्र भी वहां पहुंच गए। खजान सिंह पिकेट पर रजिस्टर की जांच करने लगा तभी हरियाणा की ओर से एक सफेद रंग की होंडा सिटी कार वहां आई। राम किशन ने कार को रोक कर ड्राइवर से उसके कागजातों की मांग की। किसी बात पर दोनों के बीच बहस होने लगी। इसी बीच बदमाशों ने राम किशन पर गोलियां दाग दीं। फायरिंग करते हुए बदमाशों ने कार बैक की और फरार हो गए। यह घटना रविवार रात की है। घटनास्थल के दोनों ओर खेत हैं। इस कारण कार काफी दूर तक बैक करते वक्त असंतुलित होकर एक जगह गिर भी गई थी पर बदमाशों के पास इतना वक्त था कि उनमें से दो ने बाहर निकल कर कार को धक्का देकर उसे बाहर निकाला और उसमें बैठकर फरार हो गए। यदि पुलिस वाले चाहते तो उन बदमाशों को पकड़ा जा सकता था। उन पुलिसकर्मियों के पास राइफल व पिस्तौलें मौजूद थीं। यह भी जानकारी मिली है कि दीवाली पर्व के दरम्यान भी हैड कांस्टेबल राम किशन ने रात्रि ड्यूटी के वक्त ऐसे ही बदमाशों से लोहा लिया था। उस वाहन की जांच करते समय भी एक बदमाश ने उन्हें बंदूक दिखा दी थी। तब भी राम किशन ने हिम्मत का परिचय दिया जिस वजह से बदमाश अपनी गाड़ी ही मौके पर छोड़कर फरार हो गए थे। इस पूरे घटनाक्रम के मद्देनजर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी अपनों का पक्ष लेते हुए दलील दे रहे हैं कि यह वारदात इतने कम समय में हुई कि वे कुछ समझ ही नहीं पाए। सूत्रों की मानें तो भागते समय बदमाशों की पिस्टल भी घटनास्थल पर गिर गई थी। इसके बावजूद चौकी पर मौजूद अन्य पुलिसकर्मियों ने बदमाशों को पकड़ने की हिम्मत नहीं दिखाई। ऐसे में राम किशन के परिजन घटनास्थल पर मौजूद पुलिसकर्मियों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हैं तो इसमें गलत क्या है? राम किशन के भाई का कहना है कि बदमाशों ने उनके भाई पर फायरिंग की लेकिन किसी पुलिसकर्मी ने उनकी मदद नहीं की। यहां तक पुलिस कर्मियों ने बदमाशों का पीछा करने का भी प्रयास नहीं किया। बदमाशों से लोहा लेते हुए आपका साथी घायल हो जाए और उसके तीन हथियार बंद साथी पुलिसकर्मी मूक  दर्शक बने रहें? क्या दिल्ली पुलिस कर्मियों को यह सिखाया जाता है? शहीद राम किशन विजय एन्क्लेव नांगलोई में रहता था। उसके घर में पत्नी सुनीता देवी और दो बच्चे नीरज और धीरज हैं। नीरज एमटेक का छात्र है। जबकि धीरज इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। 1982 में दिल्ली पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हुआ राम किशन मूल रूप से बहादुरगढ़ के यूपियान गांव का रहने वाला था। हम इस बहादुर जवान को अपनी श्रद्धांजलि देते हुए मांग करते हैं कि उस दिन तैनात वहां उसके साथी पुलिस कर्मियों से जवाब-तलब किया जाए न कि उनकी ओर से बेतुकी दलीलें दी जाएं।

No comments:

Post a Comment