Published on 14 November, 2012
उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार ने आतंकवाद के आरोप में प्रदेश की विभिन्न जेलों में बन्द मुस्लिम कैदियों की रिहाई के आदेश दे दिए हैं। सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि यह आदेश देकर अखिलेश सरकार ने मुसलमानों के साथ किए गए चुनावी वादे को निभाया है। इनमें से ज्यादातर आरोपियों की 2007 में वाराणसी, गोरखपुर में हुए बम विस्फोटों, रामपुर स्थित सीआरपीएफ कैम्प व लखनऊ, बाराबंकी और फैजाबाद में आतंकी हमले की साजिश के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। इनमें से कइयों ने अपनी गिरफ्तारी के औचित्य और स्थान को अदालत में चुनौती दे रखी है। अखिलेश यादव ने अपने चुनावी वादों को पूरा करने की कड़ी में अफसरों को इन मामलों को वापस लेने की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं क्योंकि इस संबंध में एक निश्चित न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना होता है। अखिलेश सरकार के इस फैसले की प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है, राजनीतिक दृष्टि से भी और न्यायिक दृष्टि से भी। भाजपा ने आतंकवाद के आरोपियों की रिहाई के आदेश को वोट बैंक और तुष्टीकरण की राजनीति का उदाहरण करार देते हुए कहा है कि यह कदम कानून व्यवस्था का गला घोंटने जैसा है। भाजपा प्रवक्ता राजेन्द्र तिवारी ने प्रदेश सरकार पर कानून व्यवस्था ध्वस्त करने और कानून के राज को दरकिनार कर प्रदेश में अराजकता के हालात पैदा करने का आरोप लगाया। उधर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रामपुर में सीआरपीएफ कैम्प पर हमला करने वाले आतंकियों से मुकदमा वापस लिए जाने पर प्रदेश सरकार से पूछा है कि वह किस कानून के तहत मुकदमे वापस ले रही है? शुक्रवार को न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल और न्यायमूर्ति आरएसआर मौर्य की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब-तलब किया है। वाराणसी के नित्यानन्द चौबे द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि 31 दिसम्बर 2007 को कुछ आतंकियों ने रामपुर में सीआरपीएफ कैम्प पर हमला कर दिया था, जिसमें सीआरपीएफ के सात जवानों और एक रिक्शा चालक की मौत हो गई थी। घटना के 40 दिन बाद सुरक्षा बलों ने पीओके इमरात, सहजाद और अब्बू ओसामा, गुल रावला पाकिस्तान के मोहम्मद फारुख उर्प अब्बू जुल्फिकार, सबाउद्दीन उर्प बाबा निवासी मधुबनी बिहार, फइम अरसद अंसारी निवासी एमजी रोड गोरेगांव मुंबई, मोहम्मद शरीफ उर्प सुहैल निवासी खजूरिया रामपुर, जंग बहादुर खान उर्प बाबा मलिक निवासी मुठा पांडे मुरादाबाद, गुलाम खां निवासी बरेली और मुहम्मद कौसर निवासी पुंडा प्रतापगढ़ को गिरफ्तार किया था। इनके पास से असलाह भी बरामद हुआ। इन आतंकियों के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा विचाराधीन है। इस बीच सपा सरकार इन आतंकियों पर से मुकदमा उठाने की तैयारी कर रही है। जनहित याचिका में अखबारों में प्रकाशित खबरों को आधार बनाया गया है। अखिलेश सरकार के इस फैसले से सुरक्षा बलों के मनोबल पर भी असर पड़ सकता है।
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