Published on 6 November, 2012
जनता पार्टी प्रमुख डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी अकसर कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाते रहते हैं पर कांग्रेस ने उन्हें कभी गम्भीरता से नहीं लिया पर ताजा आरोप पर कांग्रेस पार्टी फंसती नजर आ रही है। यह आरोप इसलिए भी ज्यादा गम्भीर हो जाते हैं क्योंकि यह सीधे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके युवराज राहुल गांधी पर लगे हैं। अभी सोनिया के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर आरोपों का सिलसिला थमा नहीं कि डॉ. स्वामी ने एक नया मोर्चा खोल दिया। डॉ. स्वामी ने नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन करने वाली कम्पनी के अधिग्रहण पर सवाल खड़े किए हैं। स्वामी ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सोनिया और राहुल ने एक कम्पनी की शुरुआत की जिसे `यंग इंडिया' का नाम दिया और इसमें प्रत्येक का शेयर 38 फीसद था। इस कम्पनी ने एसोसिएटिड जर्नल्स का अधिग्रहण किया, जिसकी स्थापना पंडित जवाहर लाल नेहरू ने की थी। यही कम्पनी नेशनल हेराल्ड और कौमी आवाज का प्रकाशन करती थी। स्वामी ने कहा कि एसोसिएटिड जर्नल्स को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति से बिना प्रतिभूति के 90 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज मिला। उन्होंने दावा किया कि आयकर अधिनियम के तहत यह अवैध है क्योंकि राजनीतिक पार्टियां व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए कर्ज नहीं दे सकतीं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के कारण यंग इंडिया ने बोर्ड में प्रस्ताव लाकर सिर्प 50 लाख रुपए में कर्ज खत्म कर दिया। एसोसिएटिड जर्नल्स को शेयरों के हस्तांतरण के जरिए यंग इंडिया को बेच दिया गया जो अखबार या पत्रिका निकालने वाली कम्पनी नहीं है। कांग्रेस ने पहले तो स्वामी के आरोपों पर चुप्पी साधी पर जब दबाव बढ़ता गया तो पार्टी प्रवक्ता व मीडिया इंचार्ज जनार्दन द्विवेदी ने 90 करोड़ कर्ज देने की बात तो स्वीकार की पर साथ-साथ यह सफाई भी दी कि कानून का पालन करते हुए अखबार को दुरुस्त करने की प्रक्रिया की शुरुआत में मदद करने के इरादे से एसोसिएटिड जर्नल का समर्थन कर कांग्रेस पार्टी ने अपना फर्ज अदा किया है। विज्ञप्ति में कहा गया कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ब्याज मुक्त ऋण के तौर पर सहायता दी जिसके एवज में पार्टी को कोई व्यावसायिक लाभ नहीं होना है। जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि कांग्रेस का मकसद संसदीय लोकतंत्र पर आधारित सामाजिक राष्ट्र के शांतिपूर्ण और संवैधानिक रास्तों से भारत के लोगों की भलाई और तरक्की है जिसमें अवसरों, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक अधिकारों की समानता हो और जिसका मकसद विश्व शांति और बंधुत्व हो। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए यह गर्व का विषय है कि इन मकसदों और इसकी राजनीतिक गतिविधियों में सहायता के लिए उसने नेशनल हेराल्ड और अन्य अखबारों के प्रकाशन व एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेड की सहायता की जिसकी स्थापना 1937 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने की थी और जिसने हमारे स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका निभाई। मैंने पाठकों के सामने डॉ. स्वामी का आरोप भी बताया है कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता का जवाब भी बताया है ताकि आप खुद भी फैसला कर सकें कि मामला है क्या? श्री जनार्दन द्विवेदी ने यह तो स्वीकार कर लिया है कि कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का कर्ज दिया। बेशक मकसद कुछ भी रहे हों पर इतना तो तय हो ही गया कि 90 करोड़ रुपए का कर्ज दिया गया। सवाल उठता है कि क्या यह कानून का उल्लंघन है? डॉ. स्वामी कहते हैं कि यह उल्लंघन है। अखबार को ब्याज मुक्त 90 करोड़ रुपए की कांग्रेसी स्वीकृति के बाद स्वामी चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटा रहे हैं। उन्होंने अर्जी देकर कांग्रेस की मान्यता रद्द कर देने की मांग की और कहा है कि राजनीतिक दल के रूप में कांग्रेस चन्दे से इकट्ठा धन कानूनन किसी कम्पनी को कर्ज की तरह नहीं दे सकती। स्वामी ने कहा कि कांग्रेस ने पार्टी गाइडलाइंस का सीधा उल्लंघन किया है। आरपीए की धारा 292ए से सी में राजनीतिक दलों द्वारा किसी कम्पनी को ब्याज पर या ब्याज मुक्त कर्ज देने का कोई प्रावधान नहीं है। आयकर कानून के अनुसार भी कोई राजनीतिक दल किसी कम्पनी को लोन नहीं दे सकता। कांग्रेस ने इसका पलटवार करते हुए कहा कि यह कौन तय करेगा कि किसी पार्टी के राजनीतिक कार्य कौन-कौन से हैं? हमारे लिए हितकारी राजनीतिक काम हम खुद तय करेंगे। हम दूसरों को अपने राजनीतिक काम तय करने का हक नहीं दे सकते। चूंकि अब मामला चुनाव आयोग के पाले में है, वही तय करेगा कि इस मामले में कानून और नियमों का उल्लंघन हुआ है या नहीं? एक अन्य सवाल जो उठ रहा है वह है यंग इंडिया को लेकर। कांग्रेस की सफाई के बावजूद विपक्षी उस यंग इंडिया कम्पनी को लेकर सवाल उठा रहे हैं, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी के 76 फीसदी शेयर हैं। कांग्रेस ने कहा कि यंग इंडिया ने एसोसिएटिड जर्नल्स का अधिग्रहण नहीं किया है। एसोसिएटिड जर्नल्स का अस्तित्व है जबकि विरोधियों का तर्प है कि अगर कांग्रेस ने एसोसिएटिड जर्नल्स को बचाने के लिए 90 करोड़ रुपए का कर्ज दिया तो इसके शेयर उस यंग इंडिया कम्पनी को कैसे मिल गए जिसमें सोनिया राहुल के 38-38 फीसदी शेयर हैं। अगर यह कम्पनी कांग्रेस की ही है तो शेयर पार्टी के नाम क्यों नहीं? स्वामी आरोप लगा रहे हैं कि नेशनल हेराल्ड की दिल्ली स्थित 1600 करोड़ की सम्पत्ति पर कब्जा करने की नीयत से यह कर्ज दिया गया। इस तरह की गतिविधियों में संलिप्त होने पर किसी संस्थान की मान्यता खत्म पहले भी की गई है जब खुद को गैर सहायता प्राप्त संस्थान बताने वाले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा आईपीएल को कर्ज देने पर उसकी मान्यता रद्द कर दी गई थी।
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