Tuesday 13 November 2012

दीपावली पर नए संकल्पों के दीए जलाएं


 Published on 13 November,
अनिल नरेन्द्र
कार्तिक मास की अमावस्या को अत्यंत हर्षोल्लास व धूमधाम के साथ प्रति वर्ष मनाया जाने वाला पांच दिवसीय दीप पूर्व दीपावली अति प्राचीन पर्व होते हुए भी आत्मबोध, नवसृजन व कर्ममय जीवन का प्रतीक है। दीपावली पर्व हम सभी के जीवन में प्रति वर्ष नव ऊर्जा, नवचेतना एवं नव भाव, नवोल्लास व नवोत्साह का संचार करने आता है। दीपावली का ध्येय है असत्य पर सत्य की और अंधकार पर प्रकाश की चिरकालीन विजय। महंगाई के रोने, मुसीबत के किस्से, आंदोलन, बहस, धरना, प्रदर्शन एवं कुछ-कुछ दिनों के लिए छुट्टी पर चले जाते हैं। दिल्ली हो या लुधियाना, भोपाल हो या लखनऊ, इलाहाबाद हो या बनारस हर जगह त्यौहारी रौनक नजर आती है। दीपावली का स्वागत करने के लिए दिल्ली के बाजार तैयार हैं। इस पर्व पर ग्राहकों को रिझाने के लिए मार्केट में नए-नए अन्दाज में नए-नए प्रॉडक्ट्स पेश किए जा रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक दीपावली और उसके साथ सटे विभिन्न त्यौहारी अवसरों पर 50,000 करोड़ से ज्यादा की बिक्री होती है। इस तरह इस मौके पर खर्च करने के लिए उपभोक्ताओं के पास सामान्य मौके के मुकाबले 15 से 18 गुना पैसा होता है। 2012 का त्यौहारी सीजन समय के साथ बदल रहा है। आमतौर पर हम बढ़ती महंगाई की बात करते हैं पर अगर हम बाजारों में बिकते सामान को देखें तो लगता नहीं कि महंगाई की वजह से लोगों में खरीददारी में कोई कमी आई है। गिफ्टों से बाजार भरे पड़े हैं। अब लोग दीयों के झंझट से बचकर बिजली के बल्बों की लड़ियों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। मिठाइयों में मिलावट की रिपोर्टों के चलते लोगों ने अब विकल्पों पर ज्यादा ध्यान देना आरम्भ कर दिया है। ड्राई फ्रूट्स, क्रॉकरी, कोल्ड ड्रिंक्स व जूस के गिफ्ट पैक, कपड़े इत्यादि का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। ऐसा नहीं कि मिठाइयों की बिक्री समाप्त हो गई पर घट जरूर गई है। मिठाइयों में भी उन मिठाइयों को प्राथमिकता दी जा रही है जो कई दिनों तक चल सकती हैं। बिस्कुट के गिफ्ट आइटम भी हिट हो रहे हैं। एक जमाना था जब दीपावली पर स्टेशनरी गिफ्ट का चलन काफी ज्यादा था। लोग अपने बच्चों को, स्कूल और कॉलेज के दोस्त अपने दोस्तों को पेन, डायरी, प्रोग्राम कैलेंडर या इसी तरह की कई अन्य चीजें गिफ्ट करते थे लेकिन किताबों और स्टेशनरी बाजार को इंटरनेट ने प्रभावित किया है। लिखने-पढ़ने का काम कम होता जा रहा है। त्यौहार महज एक व्यक्ति की खुशियों का परिचायक नहीं होता वरन किसी देश की रीति को दर्शाता है, उस देश की परम्परा को पहचानने के लिए सहायक होता है। जरा सोचिए, दीपावली पर्व  क्या दर्शाता है? दीपावली यानि दीप का त्यौहार, दीपावली यानि उजले मन का त्यौहार। चूंकि दीपावली पर खुशियां जगमगाती नजर आती है, चारों तरफ रोशनी ही रोशनी नजर आती है, इसलिए दीपावली को संकल्पव्रत का त्यौहार भी कहा जाता है। अगर हम कोई प्रतिज्ञा या संकल्प इस दौरान लेते हैं तो उसके पूरे होने की सम्भावना ज्यादा होती है। संकल्प का मतलब यह नहीं कि आप ऐसी चीज करने का मन बना लें जो असम्भव है। दीपावली की बात करें तो पटाखों और आतिशबाजी की बात करना जरूरी हो जाता है। पहले लोग आतिशबाजी का खूब आनन्द लेते थे। बढ़ते प्रदूषण के कारण अब आतिशबाजी का जोर कम हुआ है। मैं यह तो दावे से नहीं कह सकता कि पटाखों की बिक्री में कितनी कमी आई है पर यह महंगे जरूर हो गए हैं। इको फ्रैंडली पटाखों का भी प्रचलन शुरू हो गया है। 2005 में जहां महज कुछ लाख रुपए के ही इको फ्रैंडली पटाखे दिल्ली में बिके थे वहीं आज दिल्ली में ही इनकी बिक्री 30 से 40 करोड़ रुपए  तक पहुंच गई है। आप सबको दीपावली मुबारक। जरा ध्यान रहे कि बमों और लड़ियों जैसे प्रदूषण बढ़ाने वाले पटाखों पर जोर कम रहे और ऐसे पटाखे जलाए जाएं जो हवा को और दूषित न करें। पहले से ही दिल्ली में स्मॉग की चादर घटी नहीं, इसे और मत बढ़ाएं। सेफ दीपावली मनाएं। हर साल दीपावली के दिन 200 से ज्यादा लोग जल जाते हैं। सावधानी बरतें और सेफ दीपावली मनाएं।
           

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