Thursday 22 November 2012

उत्तर पदेश में निरन्तर बढ़ती महिलाओं से छेड़छाड़ व दुष्कर्म की घटनाएं


 Published on 22 November, 2012
 अनिल नरेन्द्र
उत्तर पदेश में कानून व्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है। लगता यह है कि इस अखिलेश की सरकार की कानून व्यवस्था पर पकड़ लगातार ढीली होती जा रही है। मानो दबंगों को दबंगई करने का लाइसेंस मिल गया हो। आए दिन अखबारों में पदेश के किसी कोने से चिंता बढ़ाने की खबर आती रहती है। हाल ही में खबर आई कि सहारनपुर जनपद में कमजोर तबके की छात्राओं और महिलाओं के साथ छेड़छाड़, दुष्कर्म और हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। पाकिस्तान में जिस तरह मलाला तालिबानी हिंसा की शिकार हुई ठीक उसी तरह जनपद में छात्राओं को परेशानी झेलनी पड़ रही है। उनके परिजन उन्हें स्कूल जाने से रोक रहे हैं। हकीमपुर में पांच साल की दलित बालिका रीना (बदला नाम) के साथ पड़ोसी युवक ने बाथरूम में उस समय दुष्कर्म किया जब वह टीवी देखने आई थी। उससे पहले बहेर थाने के गांव घरौंदी की 28 साल की मुस्लिम महिला शीबा (बदला नाम) को अगवा कर सामूहिक दुष्कर्म किया गया। आरोपी फरार हैं। दूधली निवासी विकलांग बालिका मीनू की गर्दन कटा शव गन्ने के खेत से बरामद हुआ। उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म की पुष्टि हुई। फिर पथसराय की 11 साल की दलित बालिका मोनिका को दो युवकों ने अगवा करने के बाद बेहोश कर उसके साथ दुष्कर्म किया। गंगोह में शाम को दुकान पर सामान लेने गई 15 साल की दलित बालिका के साथ दो युवकों ने दुष्कर्म किया। नौ अगस्त को देवबंद क्षेत्र में 14 साल की शगुफ्ता का सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद हत्या कर दी गई। ऐसे और बतहेरे केस हुए हैं। मैंने कुछ केसों का ही बताया है। ये सभी घटनाएं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार बनने के बाद घटित हुईं। जिससे पता चलता है कि इस सरकार में आरोपियों के हौंसले कितने बुलंद हैं। बीते महीने को सहारनपुर में महिला हिंसा के विरोध में एक सम्मेलन हुआ। सम्मेलन में सामाजिक संगठनों विकल्प, दिशा, परमय, सरोकार, नारी संसद, वूमन अगेंस्ट, सैक्सूअल हेरासमेंट एक्शन इंडिया, ज्ञानगंगा, शिक्षा समिति और राष्ट्रीय वन जन श्रमजीवी मंच के कार्यकर्ताओं ने बढ़ती महिला हिंसा पर गहरी चिंता जताई। बढ़ती महिला हिंसा का सबसे बुरा पभाव यह हुआ कि कई परिवारों ने बेटियों को स्कूल तक जाने से रोकना शुरू कर दिया है। बालिकाओं की शिक्षा पभवित हो रही है। ज्यादातर मामलों में पुलिस ने कार्रवाई तो की लेकिन सरकार और पुलिस पशासन के लोगों में विश्वास पैदा करने में नाकाम रहे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हाल ही में राज्य की कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने में कुछ अफसरों तथा मीडिया के एक वर्ग का अपेक्षित सहयोग न मिलने का इशारा देते हुए कहा कि उनकी सरकार बाकी मोर्चों पर तो बेहतर समन्वय स्थापित कर पा रही है, लेकिन कानून-व्यवस्था का राज कायम करने के मसले पर कहीं कोई कमी बाकी है। मुख्यमंत्री लखनऊ में महिलाओं के लिए हैल्पलाइन सेवा 1090 की शुरुआत कर रहे थे। उन्होंने कहा सबसे ज्यादा आरोप उत्तर पदेश की कानून व्यवस्था को लेकर लग रहे हैं। हम तमाम चीजों पर समन्वय कर पा रहे हैं लेकिन कानून व्यवस्था के मामले में ऐसा नहीं हो पा रहा है। पुलिस में अच्छे लोग भी हैं लेकिन कहीं न कहीं कुछ कमी भी है।

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