Wednesday, 28 November 2012

राम जेठमलानी, यशवंत सिन्हा के बाद अब शत्रुघ्न सिन्हा


 Published on 28 November, 2012
 अनिल नरेन्द्र
भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। एक तरफ जहां पार्टी में उनके इस्तीफे की मांग करने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है वहीं दूसरी तरफ पूर्ति कम्पनी को लेकर नए खुलासे से पार्टी बैकफुट पर आ गई है। गडकरी की कम्पनी में निवेश करने वाली कम्पनियों में उनके परिवार के सदस्यों के शामिल होने की खबर के बाद पार्टी ने पहले की तरह बचाव नहीं किया है। पूर्ति में पैसा लगाने वाली कम्पनियों के खुलासे से आरएसएस विचारक और अकाउंटेंट एस. गुरुमूर्ति की नितिन गडकरी को दी गई क्लीन चिट पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि पूर्ति में निवेश करने वाली 18 में 6 कम्पनियां नितिन गडकरी के परिवार के लोगों की हैं। गुरुमूर्ति ने भाजपा नेताओं को बताया था कि 18 कम्पनियों के जरिए निवेश का सारा घालमेल व्यापारी मनीष मेहता ने किया है पर इन खुलासों के बाद वह गलत साबित हो गए हैं। भाजपा अध्यक्ष के तौर पर नितिन गडकरी का कार्यकाल अगले माह (दिसम्बर) में खत्म हो रहा है। राम जेठमलानी और यशवंत सिन्हा की खुली बगावत के बाद अब शत्रुघ्न सिन्हा भी मैदान में उतर आए हैं। नितिन गडकरी के इस्तीफे की मांग करने वालों में अब `बिहारी बाबू' शत्रुघ्न सिन्हा का नाम भी जुड़ गया है। सिन्हा ने शनिवार को पटना में जेठमलानी और यशवंत सिन्हा की तरफ से गडकरी के इस्तीफे की मांग को सही ठहराते हुए कहा कि जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों को न सिर्प ईमानदार होना चाहिए बल्कि दिखना भी चाहिए। अगले ही दिन शत्रुघ्न ने पटना में कहा कि लाल कृष्ण आडवाणी प्रधानमंत्री पद के सबसे योग्य उम्मीदवार हैं। बिहारी बाबू ने कहा कि आडवाणी अटल बिहारी वाजपेयी की तरह अंधेरी सुरंग में रोशनी की लकीर हैं। बिहारी बाबू ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री पद के लिए सक्षम उम्मीदवार हैं, लेकिन उम्मीदवार का चयन संख्या बल को ध्यान में रखकर किया जाएगा। शत्रुघ्न ने कहा कि उन्हें किसी अनुशासनात्मक कार्रवाई का डर नहीं है। कहाöमैं अब सीनियर हो गया हूं। मैंने कभी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया है। सच बोलने पर सजा नहीं मिलती। भाजपा में आडवाणी, यशवंत सिन्हा, राम जेठमलानी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, नरेन्द्र मोदी जैसे कई नेता हैं लेकिन आडवाणी सबसे बेहतर हैं। उनकी दृष्टि व्यापक, अनुभव व स्वच्छ छवि उन्हें सबसे बेहतर उम्मीदवार बनाते हैं। पार्टी के लिए बेहतर रहेगा कि 2014 के आम चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा कर दें। शत्रुघ्न सिन्हा ने एक और मुद्दे पर पार्टी लाइन से हटकर स्टैंड लिया। सीबीआई के नए निदेशक रंजीत सिन्हा की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर भाजपा आलाकमान द्वारा उठाए गए सवालों को खारिज करते हुए शत्रुघ्न ने पार्टी स्टैंड के खिलाफ खुली बगावत कर दी। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने नए सीबीआई निदेशक पर आपत्ति जाहिर की थी। अब शत्रुघ्न ने कहा है कि रंजीत सिन्हा बेहद योग्य अफसर हैं इसलिए उनकी नियुक्ति बिल्कुल जायज है। उन्होंने कहा कि रंजीत सिन्हा 1974 बैच के आईपीएस अफसर हैं और वे बिल्कुल सक्षम हैं। नए सीबीआई निदेशक की नियुक्ति सीवीसी की सिफारिश पर हुई है। यह बिल्कुल सही कदम है, इसलिए इसका विरोध गलत है। शत्रुघ्न यशवंत सिन्हा के पहले से करीब रहे हैं। तीनों सिन्हा का यह समीकरण बिहार के संदर्भ में जातीय समीकरण से भी जोड़कर देखा जा सकता है। सीबीआई के नए निदेशक रंजीत सिन्हा बिहार कैडर के हैं। इसलिए हर बिहारी नेता खुलकर भले ही उनका समर्थन न करे लेकिन खुलकर विरोध भी नहीं करेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी व्यक्तिगत बातचीत में बिहार कैडर के अफसर को सीबीआई निदेशक बनाने के समर्थक हैं और बात हमने शुरू की थी। अध्यक्ष नितिन गडकरी के खिलाफ पार्टी में बढ़ रही बगावत की। अब इतना तो तय लगता है कि संघ चाहे जितना चाहे वह नितिन गडकरी को दूसरा कार्यकाल नहीं दिलवा सकता। अब जबकि उनके कार्यकाल में कुछ ही दिन बचे हैं, हम समझते हैं कि नितिन गडकरी को स्वेच्छा से बयान दे देना चाहिए कि वह दूसरे टर्म के लिए पार्टी अध्यक्ष के उम्मीदवार के रूप में खड़े नहीं होंगे और वह स्वेच्छा से स्टैप डाउन कर रहे हैं पर सवाल यह है कि क्या नितिन गडकरी ऐसा करेंगे या यूं कहें कि उन्हें ऐसा करने दिया जाएगा?

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