Published on 2 November, 2012
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का सितारा धीरे-धीरे बुलंदियों की ओर बढ़ रहा है। अब तो उनकी अंतर्राष्ट्रीय छवि भी बदलने लगी है। अब तो अमेरिका भी कहने लगा है कि नरेन्द्र मोदी का उनके यहां स्वागत है। गौरतलब है कि सन 2002 में गुजरात में भड़के दंगों के बाद अमेरिका ने 10 साल के लिए नरेन्द्र मोदी के बहिष्कार की घोषणा की थी। उन्हें अमेरिका आने की अनुमति नहीं दी गई थी। यही स्थिति ब्रिटेन की भी थी। गत दिनों ब्रिटिश उच्चायुक्त जेम्स बेवन ने अचानक नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की। एक छोटे शिष्टमंडल के साथ मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए सुबह 11 बजे बेवन गांधी नगर स्थानीय प्रदेश सचिवालय पहुंचे। गुजरात के साथ कारोबार और व्यवसाय के अवसर बढ़ाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, `गुजरात के साथ सहयोग राज्य में ब्रिटेन के हितों को बढ़ाने के लिए सही रास्ता है। यह गुजरात के साथ सहयोग का विषय है और किसी एक व्यक्ति से जुड़ा मामला नहीं है।' उन्होंने कहा, `अगर हम किसी राज्य के साथ जुड़ना चाहते हैं तो हमें उस राज्य के मुख्यमंत्री से जुड़ना होगा और मोदी गुजरात के लोकतांत्रिक ढंग से चुने गए नेता हैं।' मुख्यमंत्री ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा, `देर आए दुरुस्त आए।' श्री मोदी से ब्रिटिश उच्चायुक्त की हाई-प्रोफाइल मुलाकात को व्यावसायिक कम और राजनीतिक ज्यादा माना जा रहा है। भारत सरकार को लेकर भाजपा नेताओं तक, सभी मान रहे हैं कि ब्रिटिश सरकार के रवैये में बदलाव भारत के राजनीतिक हालात के आंकलन का नतीजा है। ब्रिटेन और अब अमेरिका के रुख में बदलाव आखिर क्यों आ रहा है? मार्केट एक्सपर्ट के अनुसार अमेरिकी रुख में बदलाव के तीन अहम कारण हैं। पहला, मोदी भारत के प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी के सबसे कद्दावर नेता के रूप में उभर रहे हैं। दूसरा, नरेन्द्र मोदी आर्थिक विकास को लेकर काफी गम्भीर हैं। गुजरात में उनके कार्यकाल में हुए आर्थिक विकास को विश्व के कई देशों ने खुलकर सराहा है। तीसरा अहम कारण यह है कि मोदी की छवि ऐसे नेता के रूप में सामने आ रही है जो राज्य की राजनीति से उठकर सीधे तौर पर राष्ट्रीय राजनीति में आ सकते हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का प्रचार जोरों पर है। चुनाव में ओबामा अपने हर भाषण में इस बात को दोहराने से कतराते नहीं कि उन्हें अमेरिका को आर्थिक मंदी से बाहर निकालने के लिए भारत जैसे देशों का समर्थन प्राप्त है। विदेशी मामलों के एक्सपर्ट का कहना है कि अमेरिकी जानते हैं कि अमेरिका का कांग्रेस के साथ समीकरण ठीक है, लेकिन बीजेपी के साथ वह बात नहीं है। ऐसे में अमेरिकी प्रशासन इस बात का संकेत देना चाहता है कि वह बीजेपी के साथ संबंध सुधारना चाहता है ताकि भविष्य में भारत से संबंध प्रगाढ़ बनाने में उसे दिक्कत न हो। ब्रिटेन और अमेरिका के बदले रुख से जाहिर-सी बात है कि कांग्रेस पार्टी में परेशानी का सबब बन सकता है। रहा सवाल बीजेपी का तो पार्टी ने बदली हवा का फायदा उठाना शुरू भी कर दिया है। पार्टी के प्रवक्ता बलबीर पुंज का कहना है कि अंतत सच की ही जीत हुई। देश और पूरी दुनिया की नजरें इस समय गुजरात चुनाव पर लगी हुई हैं। कांग्रेस के सामने जहां मोदी के विजय रथ को रोकने की चुनौती है वहीं मोदी के सामने जीत की हैट्रिक लगाने की चुनौती है। चुनावी जंग का नतीजा तो 20 दिसम्बर को सामने आएगा, लेकिन गुजरात में नरेन्द्र मोदी का सितारा अब भी चमक रहा है। ईमानदार, विकास पुरुष नेता के तौर पर मोदी एक बार फिर दिसम्बर में होने वाले चुनाव में भाजपा की विजय पताका लहरा सकते हैं। विभिन्न ओपिनियन पोल इस बात पर एकमत हैं कि गुजरात चुनाव नरेन्द्र मोदी जीत रहे हैं। बस देखना तो इतना है कि भाजपा कितनी विधानसभा सीटें जीत सकती है। दुनिया झुकती है, झुकाने वाला चाहिए।
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