Sunday, 18 November 2012

क्या इस सत्र में संप्रग एफडीआई प्रस्ताव पारित करा पाएगा?



    Published on 18 November, 2012   
अनिल नरेन्द्र
22 नवम्बर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है। यह सत्र करीब एक महीना चलेगा। यह सत्र कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। मनमोहन सिंह सरकार के लिए यह सत्र अग्नि-परीक्षा होगा। सरकार ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वह खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश (एफडीआई) पास कराना चाह रही है। इस मुद्दे पर विपक्ष एकजुट हो रहा है। पिछले दो महीनों से विपक्षी दल इस मुद्दे पर अपना विरोध जताते आ रहे हैं। भाजपा, वामदल और तृणमूल कांग्रेस सांसदों ने वोटिंग नियमों के तहत संसद के दोनों सदनों में एफडीआई के मुद्दे पर बहस कराने के लिए नोटिस दे दिए हैं। यदि लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति इन्हें मंजूर कर लेते हैं तो सरकार की अग्नि-परीक्षा काफी कड़ी हो सकती है। जहां तमाम विरोधी दल आपसी मतभेदों के बावजूद इस मुद्दे पर सदन में सरकार की खबर लेने के लिए एक दिख रहे हैं, वहीं सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे दलों के साथ-साथ द्रमुक जैसे संप्रग घटक दल ने भी एफडीआई पर अपने पत्ते खोलकर कांग्रेस के लिए मुसीबतें बढ़ा दी हैं। तृणमूल कांग्रेस तो इसी मुद्दे पर यूपीए सरकार से अलग हो चुकी है। अब बदली हुई भूमिका में उसने सरकार के खिलाफ आक्रामक रणनीति अपना ली है। इसी के तहत इस पार्टी के सांसद शताब्दी रॉय ने नियम-184 के तहत एफडीआई के मुद्दे पर लोकसभा में बहस कराने के लिए बुधवार को नोटिस दे दिया है। भाजपा, जद (यू) और सीपीएम के सांसदों ने भी इस आशय के नोटिस लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय को दे दिए हैं। सीपीएम के नेता यूपीए के सहयोगी दलों को यह समझाने में जुट गए हैं कि संसद में एफडीआई के विरुद्ध प्रस्ताव पारित होने से सरकार नहीं गिरेगी। बस उसकी राजनीतिक फजीहत होगी। ऐसे में वे लोग सरकार को जरूरी पाठ पढ़ाने के लिए इस पहल का आराम से निसंकोच समर्थन कर सकते हैं। कांग्रेस रणनीतिकार विपक्ष की घेराबंदी को समझ रहे हैं और जवाबी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। प्रधानमंत्री ने इस काम का खुद बीड़ा उठाया है। मनमोहन सिंह ने सपा, बसपा और नेशनल कांफ्रेंस जैसे घटक दलों के नेताओं को अलग-अलग इसी मकसद से रात्रि भोज दिया था। मनमोहन सिंह ने पिछले हफ्ते सपा प्रमुख मुलायम सिंह और उनके बेटे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को रात्रि भोज पर बुलाया। इसके बाद रविवार को बसपा प्रमुख मायावती को दिन के भोज के लिए बुलाया। संसद में एफडीआई मुद्दे पर विपक्ष की ओर से मत विभाजन के प्रावधान वाले नियमों के तहत चर्चा कराने या अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने को लेकर आशंकित प्रधानमंत्री सहयोगी दलों और सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे दलों से तालमेल बिठाने का प्रयास कर रहे हैं। यही नहीं प्रधानमंत्री ने तो इसी महीने की 22 तारीख को सत्र में माहौल ठीक रखने के लिए मुख्य विपक्षी दल भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को रात्रि भोज के लिए भी आमंत्रित किया है। इस रात्रि भोज के लिए आडवाणी, सुषमा और जेटली को बुलाया है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री मनीष तिवारी का दावा है कि तमाम राजनीतिक चुनौतियों को सफलतापूर्वक हम झेल चुके हैं। ऐसे में एफडीआई के मुद्दे पर भी सरकार विपक्षी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार है। जरूरत पड़ने पर दिखा दिया जाएगा कि बहुमत का आंकड़ा इस मुद्दे पर भी उसी के साथ है। लोकसभा में 545 सांसदों में द्रमुक सहित 265 सदस्यों का संप्रग को समर्थन प्राप्त है। अगर 22 सांसदों वाली समाजवादी पार्टी और 21 सांसदों वाली बसपा का समर्थन उसे मिल जाता है तो इस सदन में उसके समर्थक सदस्यों की संख्या 300 को पार कर जाएगी। लोकसभा में बहुमत साबित करने के लिए 273 सदस्यों का समर्थन चाहिए। कांग्रेसी नेता बढ़चढ़ कर दावे कर रहे हैं लेकिन हकीकत यही है कि विपक्ष की लामबंदी ने संप्रग सरकार के सामने एक पहाड़ जैसी मुसीबत खड़ी कर दी है। यह सत्र संप्रग के लिए अग्नि-परीक्षा साबित होगा।

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