Friday 9 November 2012

गौवध रोकने के लिए मुस्लिम समाज की पहल


 Published on 9 November, 2012
 अनिल नरेन्द्र
गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए हमारा साधू समाज तो अक्सर संघर्ष करता रहा है पर जब हमारे मुसलमान भाई इस बीड़े को उठाएं तो अच्छा लगता है और उनका शुक्रगुजार होना चाहिए। ऐसा ही एक वाकया सहारनपुर में हुआ। सहारनपुर जिले में रोजाना बढ़ रहीं गौवंश कटान की घटनाओं से क्षुब्ध देवबंद के बन्हेड़ा गांव के मुस्लिम समाज के लोगों ने हाल ही में महापंचायत कर गौवध करने वालों के खिलाफ  फैसला किया उस पर  अब अमल भी करना शुरू कर दिया है। ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान राव अफजल के नेतृत्व में गांव में ही गौकशी के लिए ले जा रहे दो तस्करों को गौवंश के साथ दबोच लिया और उनकी जबरदस्त धुनाई करते हुए पुलिस को सौंप दिया। पकड़े गए नौ तस्करों ने पूछताछ के दौरान अपना नाम जौनी पुत्र बाऊ और गुलाब पुत्र हरिया निवासी कपूरी गोविंदपुर बताया। उन्होंने बताया कि पकड़े गए गौवंश को वे मायापुर गांव से खरीदकर ग्राम बन्हेड़ा में बेचने के लिए लाए थे और गांव के ही एक व्यक्ति से उनका गौवंश बेचने के लिए सौदा भी हो गया था लेकिन पंचायत के फैसले के मद्देनजर उस व्यक्ति ने तुरन्त इसकी सूचना ग्रामीणों को दे दी, जिससे वह पकड़े गए। ग्राम प्रधान राव अफजल, राव आशु राणा, राव शफकत, राव मन्नाना, राव असलम, राव नेक मोहम्मद, डॉ. फरमान अली, कुलबीर, दयानन्द, सुरेन्द्र प्रधान और राव गुलाम जहां आदि ने बताया कि ये दोनों तस्कर गांव के जिस व्यक्ति को गौवंश बेचने आए थे उसने जुर्माने के डर से उन्हें इसकी सूचना दे दी जिसके बाद उन्हें दबोच लिया गया। जिले में लगातार बढ़ रहीं गौकशी की घटनाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के उद्देश्य से हाल ही में ग्राम बन्हेड़ा में 20 गांव के लोगों की महापंचायत में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि अगर कोई गौवध करता पकड़ा गया तो उसकी पिटाई के साथ-साथ उससे 10 हजार रुपए जुर्माना भी वसूला जाएगा। महापंचायत के लोगों ने मुस्लिमों को अपना गौवंश न बेचने की अपील भी की। उधर ग्राम बन्हेड़ा के बाद अब क्षेत्र के घाटमपुर के मुस्लिमों ने भी पंचायत आयोजित कर गौकशी करने वालों के खिलाफ अपना मोर्चा खोलते हुए उनका सामाजिक बहिष्कार करने और गौ तस्करी को पकड़वाने में पुलिस की मदद करने का निर्णय किया है। गांव के मदरसे में सरपंच अयूब हसन की अध्यक्षता में हुई पंचायत में निर्णय लिया गया है कि मुस्लिम समाज के लोग गौकशी रोकने के साथ-साथ गौकशी करने वालों का पता चलने पर उसकी सूचना तुरन्त पुलिस को देने का काम भी करेंगे। पंचायत में कहा गया कि अगर कोई व्यक्ति गौकशी करने वालों की मदद करेगा तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। जहां हम मुस्लिम समाज में गौवध रोकने के प्रयासों की सराहना करते हैं वहीं यह भी कहना जरूरी समझते हैं कि सड़कों पर आवारा घूमती गऊओं को सही, सुरक्षित रखने के लिए उन्हें पेटभर खाने के लिए पर्याप्त खुराक देने के लिए हम क्या कर रहे हैं? क्या हम सबका फर्ज नहीं बनता कि हम भी गऊ माता की सुरक्षा में अपना योगदान दें?

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