Published on 3 November, 2012
राजीव गांधी हत्याकांड की जांच करने वाले सीबीआई के एक पूर्व अधिकारी ने सनसनीखेज खुलासा अपनी किताब में किया है। तत्कालीन मुख्य जांच अधिकारी के. रागोथमन ने अपनी नवीनतम पुस्तक `कांसीपरेसी टू किल राजीव गांधी'.... फ्राम सीबीआई फाइल्स में कहा है उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन को श्रीपेरुम्बदूर में आम सभा में हत्यारी धनु को दिखाने वाले वीडियो को तत्कालीन आईबी प्रमुख एमके नारायणन ने दबा दिया। नारायणन इस समय पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं। श्री रागोथमन ने कहा है कि इस संबंध में नारायणन द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर को लिखे पत्र में वीडियो का जिक्र है लेकिन इसे कभी भी विशेष जांच दल के संज्ञान में नहीं लाया गया। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा आयोग (हत्या की जांच के लिए गठित) के जिक्र के बाद एसआईटी को वीडियो के बारे में पता चला क्योंकि इसे कभी भी एसआईटी के संज्ञान में नहीं लाया गया था। उन्होंने कहा कि आयोजकों ने उस दिन की आम सभा की वीडियोग्रॉफी के लिए एक स्थानीय वीडियोग्राफर की सेवा ली थी। किताब में परिशिष्ट में प्रकाशित नारायण के पत्र में कहा गया है, बैठक स्थल पर बैरीकेडिंग कमजोर थी। इसीलिए लोगों का विशेष क्षेत्र में पहुंचना सम्भव था। यह स्पष्ट नहीं हो सका कि राजीव गांधी के वहां आने पर महिला (हत्यारी धनु) विशेष रूप में पहुंची या वह पहले से ही राजीव गांधी का सम्मान करने वाले लोगों की कतार में खड़ी थी। रागोथमन की किताब में जिक्र किए गए नारायणन के पत्र में कहा गया है कि बैठक के इस हिस्से के वीडियो की फिलहाल स्केनिंग कर महिला की पहचान का प्रयास किए जा रहे हैं। रोगोथमन ने कहा, उनकी तरफ से यह घातक नोट था। अगर उन्होंने यह नहीं लिखा होता तो इसके बारे में पता नहीं चलता। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विशेष जांच दल के तत्कालीन प्रमुख डीआर कार्तिकेयन ने मामले को तूल नहीं दिया और नारायणन बच निकले। रागोथमन के आरोप के बारे में पूछने पर कार्तिकेयन ने कहा कि टिप्पणी करने से पहले वह किताब को पढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि 22 वर्ष पहले की घटना है और भारत एवं दुनिया के अखबारों, पत्रिकाओं में लाखों पन्ने लिखे गए। दो आयोगों ने जांच की और वर्षों से अदालतों में सुनवाई चल रही है और अंतिम फैसला भी दिया जा चुका है। वीडियो के बारे में पूछने पर कार्तिकेयन ने कहाöयाद नहीं है। राजीव गांधी की हत्या को 22 साल हो गए हैं और गुत्थी सुलझने का नाम नहीं ले रही। रागोथमन ने यह भी आरोप लगाया कि जांच के दौरान जो वीडियो उपलब्ध कराया गया उसके साथ छेड़छाड़ की गई है। उनका कहना है कि असली वीडियो टेप को जानबूझ कर छुपाया गया है और यह किसी बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकता है। अभी इस मामले में नारायणन की कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है पर अगर रागोथमन का आरोप सही है तो यह मामला अत्यंत गम्भीर है और इसमें कड़ी जांच की जरूरत है। क्योंकि इस तथाकथित वीडियो से पूरी साजिश का पर्दाफाश हो सकता है। शायद साजिशकर्ता यह कभी न होने दें।
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