Thursday 8 November 2012

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दी बहन जी को बड़ी राहत


 Published on 8 November, 2012
 अनिल नरेन्द्र
सोमवार का दिन बसपा सुपीमो मायावती के लिए अत्यन्त शुभ समाचार लेकर आया। सोमवार को उन्हें एक बड़ी राहत मिल गई। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बैंच ने बहुचर्चित ताज कॉरिडोर मामले में बहन जी के खिलाफ दाखिल की गई आधी दर्जन याचिकाओं को खारिज कर दिया। उल्लेखनीय है कि 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती पर आरोप लगा था कि उन्होंने आगरा स्थित ताजमहल के पास गलत ढंग से कई तरह के निर्माण करने की अनुमति दी। इस मामले में 175 करोड़ रुपए की आर्थिक धांधली का भी आरोप लगा था। इस मामले को लेकर 2005 में सीबीआई ने मायावती के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इस पकरण में बहन जी के करीबी सहयोगी नसीमुद्दीन सिद्दीकी भी लपेटे में आ गए थे। 2007 में उत्तर पदेश के तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेस्वर ने मायावती के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। उन्होंने अपने आर्डर में लिखा था कि इस मामले में मुकदमा चलाने लायक तथ्य दिखाई नहीं पड़ते। यह मामला सुपीम कोर्ट तक पहुंचा था। सुपीम कोर्ट ने यही कहा था कि याचिकाकर्ता हाई कोर्ट में अपनी गुहार लगाएं। 2009 में लोकसभा चुनाव के दौर में 6-7 लोगों ने हाई कोर्ट में माया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दिए जाने के लिए याचिकाएं दायर की थीं। सोमवार को हाई कोर्ट ने इन सब को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा और न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह की पीठ ने मुकदमा चलाए जाने की स्वीकृति न मिलने पर मायावती और नसीमुद्दीन को क्लीन चिट दे दी। पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश चन्द्र मिश्रा ने पीठ के सामने बहस की थी। फैसला आने के बाद सतीश चन्द्र मिश्रा ने मीडिया से कहा कि कुछ लोग राजनीतिक कारणों से जानबूझकर बसपा सुपीमो मायावती को बदनाम करने के लिए फंसाना चाहते थे। मीडिया में भी गलत ढंग से इसे 175 करोड़ रुपए का घोटाला कहा गया। जबकि जांच में यह पाया गया कि माया सरकार ने ताज कॉरिडोर निर्माण के लिए केवल 17 करोड़ रुपए जारी किए थे। ऐसे में अरबों रुपयों का घोटाला कैसे कहा जा सकता है। मिश्रा ने यह भी जानकारी दी कि अदालत के सामने यह भी सच्चाई आई कि ताज कॉरिडोर की फाइल में मुख्यमंत्री के तौर पर मायावती ने हस्ताक्षर नहीं किए थे। इसकी संस्तुति मायावती के तत्कालीन सचिव पीएल पूनिया ने की थी। जो अब कांग्रेस के सांसद हैं। मिश्रा ने दावा किया कि लखनऊ बैंच के फैसले से माया के खिलाफ राजनीतिक साजिश करने वालों का झूठ सामने आ गया है। हालांकि सोमवार को कुछ याचिकाकर्ताओं ने संकेत दिए हैं कि वे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुपीम कोर्ट में याचिका जरूर दायर करेंगे। अदालत के फैसले के बाद लखनऊ से लेकर दिल्ली तक कई जगहों पर बसपा समर्थकों ने पटाखे जलाकर खुशी मनाई और खुशी मनाएं भी क्यों नहीं? बहन जी को बड़ी राहत मिलने के साथ-साथ जो तलवार कुछ लोगों ने उन पर लटका रखी थी उससे भी तो निजात कुछ हद तक मिलेगी। पर बहन जी की समस्याएं अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई हैं। इस मामले ने एक बार फिर दिखाया कि राजनीतिक हितों के लिए पतिद्वंद्वी को हैरान-परेशान करने के लिए सत्ता पक्ष किस ढंग से सीबीआई का दुरुपयोग करता है। बहरहाल, ताज कॉरिडोर मामले में तो मायावती को फौरी राहत जरूर मिल गई है पर उनकी परेशानी कम होती नहीं दिख रही है क्योंकि सुपीम कोर्ट ने पहले ही सीबीआई को उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच की अनुमति दे रखी है।

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