Wednesday, 21 November 2012

इजरायल बनाम हमास लड़ाई खतरनाक मोड़ पर


 Published on 21 November, 2012
 अनिल नरेन्द्र
मध्य पूर्व एशिया में गाजा पट्टी और इजरायल में पिछले कई दिनों से लड़ाई खतरनाक स्थिति में पहुंचती जा रही है। गत दिनों फिलीस्तीनी चरमपंथियों ने यरुशलम पर एक रॉकेट से हमला किया। फिलीस्तीनी संगठन हमास ने कहा कि इस रॉकेट का निशाना इजरायली संसद सीनेट था। पिछले कई दशकों में यह पहली बार है कि यरुशलम को निशाना बनाया गया है और गाजा पट्टी से इस तरह का यह पहला हमला था। इजरायल ने जवाबी कार्रवाई करते हुए रविवार को पांचवें दिन गाजा क्षेत्र में जमीन और समुद्र से मिसाइल हमले किए। इनमें चार बच्चों सहित 18 लोगों की मौत हो गई। अब तक इजरायली हमलों में 60 जानें जा चुकी हैं और यह हमले जारी हैं। इजरायली गृहमंत्री ने कहा कि तभी हम 40 साल तक शांति से रह पाएंगे। इजरायल के हवाई हमलों में मीडिया दफ्तरों की इमारतें भी चपेट में आईं और आठ फिलीस्तीनी पत्रकार घायल हो गए। गाजा में हमास की ओर से किए गए दो रॉकेट हमलों को इजरायल की मिसाइल रोधक प्रणाली ने नाकाम कर दिया। बुधवार को इजरायली हमले में हमास के कमांडर के मारे जाने के बाद से यहां इजरायल-हमास संघर्ष भड़क गया। सीमा पर इजरायली सेना का बड़ा जमावड़ा हो गया है। इससे जमीनी हमले की भी आशंकाएं बढ़ गई हैं। हालांकि ब्रिटेन ने चेतावनी दी है कि अगर उसने ऐसा किया तो उसे अंतर्राष्ट्रीय समर्थन बन्द हो सकता है। मिस्र ने भी इसके गम्भीर नतीजों की चेतावनी दी है। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि वह बचाव करने के इजरायल के अधिकार का सम्मान करते हैं। रविवार का दिन पिछले हफ्ते शुरू हुए इस संघर्ष के बाद सबसे ज्यादा खतरनाक दिन रहा। ये हमले हमास के कमांडर को लक्ष्य करके किए गए थे। लेकिन इसमें कमांडर के साथ-साथ कई बच्चों की भी जान चली गई। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने कहा है कि इजरायल हमले और तेज करने के लिए तैयार बैठा है। इस बीच हमास के चरमपंथी भी जवाबी कार्रवाई जारी रखे हुए हैं। उन्होंने इजरायल की ओर रॉकेटों से कई हमले किए हैं। सभी ओर से संघर्ष विराम की कोशिशें लगातार जारी हैं। इजरायली सरकार का एक दूत इस बारे में बातचीत करने काहिरा गया हुआ है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून भी काहिरा पहुंचने वाले हैं, जबकि अरब लीग का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को गाजा का दौरा करने वाला है। पिछले कई दिनों से हमास तथा इजरायल की तरफ से एक-दूसरे को निशाना बनाया जा रहा है और दोनों ही यह स्वीकार भी कर रहे हैं। अन्तर बस इतना है कि इजरायली डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) इसे आतंकी ठिकानों पर किया गया हमला मानती है और हमास सहित अरब दुनिया या उससे जुड़े तमाम चरमपंथी संगठन इसे गाजा के निर्दोष लोगों के खिलाफ हमला मान रहे हैं। दोनों देशों द्वारा अपनाई जा रही गतिविधियों को देखते हुए यह कहना शायद गलत होगा कि इस स्थिति के लिए कोई एक दोषी है। प्राप्त संकेतों से तो लगता है कि सारा मामला हमास द्वारा यरुशलम पर रॉकेट दागने से शुरू हुआ और अपनी सर-जमीन की सुरक्षा करने हेतु इजरायल ने जवाबी कार्रवाई की। जरूरी है कि यह लड़ाई रुकनी चाहिए और इसे और खतरनाक रूप नहीं लेना चाहिए नहीं तो स्थिति नियंत्रण से बाहर होगी।

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