Thursday 22 November 2012

क्या राहुल दल-दल में फंसी कांग्रेस को बाहर निकाल पाएंगे?


  Published on 22 November, 2012
 अनिल नरेन्द्र
कांग्रेस पार्टी में राहुल गांधी की 2014 के लोकसभा चुनाव में बड़ी भूमिका होगी। यह कांग्रेस समन्वय समिति के हाल में गठन से साफ हो गया है। कांग्रेस समन्वय समिति का राहुल को अध्यक्ष बनाया गया है और उनकी टीम को पाथमिकता दी गई है। हाई पावर इस टीम के अन्य सदस्यों से पता चलता है कि इस समिति को ही 2014 के लोकसभा चुनाव को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। टीम में अहमद पटेल, जनार्दन द्विवेदी व दिग्विजय सिंह ऐसे चेहरे हैं जिससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि समिति को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी का पूरा आशीर्वाद है। समिति के गठन से यह भी साफ हो गया है कि सोनिया गांधी के बाद सबसे महत्वपूर्ण राहुल गांधी हैं। यों पार्टी में उनकी अहमियत को लेकर कभी कोई संशय नहीं रहा है लेकिन औपचारिक तौर पर अभी तक उनकी सकियता पर्दे के पीछे और युवा और छात्र संगठनों में ज्यादा रही है। पिछले कुछ दिनों से यह कयास लगाया जा रहा था कि राहुल गांधी को संगठन में ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी। अब उम्मीदवार के चयन से लेकर तमाम चुनाव पचार चलाने का जिम्मा उन्हें सौंपकर कांग्रेस ने अपनी नीति साफ कर दी है। सवाल महत्वपूर्ण यहां यह है कि क्या चेहरे बदलने से कांग्रेस का भविष्य उज्ज्वल हो जाएगा? राहुल गांधी का चुनाव जिताने का ट्रैक रिकॉर्ड भी कोई ज्यादा उत्साह भरने वाला नहीं। बिहार व उत्तर पदेश में उनके नेतृत्व में पार्टी का क्या हाल हुआ किसी से छिपा नहीं। अगर मनमोहन सरकार की नीतियां नहीं बदलीं तो शायद राहुल भी फेल हो जाएं। आज पार्टी और सरकार दोनों ही आम आदमी से कट चुके हैं। लोग भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी से परेशान हैं। जब तक उन्हें इन मामलों में राहत नहीं मिलती हमें नहीं लगता कि कांग्रेस का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है। पर राहुल को आगे करने से दो बातें उनके पक्ष में जरूर जाती हैं। पहली यह कि नेहरू गांधी परिवार की वजह से कांग्रेसियों की संदिग्ध वफादारी उनके साथ होगी। दूसरी 2009 के चुनावों के बाद जैसी अतिशय उम्मीदें और पचार उनके साथ जुड़ गया था, अब वह नहीं होगा। 2009 के बाद वह मध्यवर्ग के नायक थे। तमाम नौजवान उनमें अपना नेता देख रहे थे। अब ऐसा नहीं, इसलिए वह बिना किसी बोझ के काम कर सकते हैं। अब उन्हें अपेक्षाओं की चकाचौंध नहीं घेरेगी। राहुल गांधी को सौंपी गई नई जिम्मेदारी कांग्रेसी कार्यकर्ता की आम भावना को ही पतिबिंबित करती है। पर यही उनकी सबसे बड़ी चुनौती व परीक्षा भी होगी, क्योंकि कांग्रेस अपने इतिहास में शायद अब तक की सबसे कठिन चुनौती का सामना करने जा रही है। क्या राहुल गांधी का नेतृत्व अगले आम चुनाव में खरा था उम्मीदों के अनुरूप साबित होगा? जहां तक नीतियों और मुद्दों का सवाल है अभी तक तो राहुल गांधी ने कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिए हैं। वे अपनी पसंद या सुविधा से किसी मुद्दे को उठाते हैं और फिर उसे बीच में ही छोड़ देते हैं। चुनाव में राहुल गांधी पार्टी को कितनी सफलता दिला पाएंगे यह तो बाद में ही पता चलेगा, पर चुनाव अभियान की बागडोर थाम कर वे मनमोहन सिंह सरकार के कामकाज की जवाबदेही से बच नहीं सकते। वह जीतते हैं तो सारा जग उनका, पर हारते हैं तो शायद कांग्रेस का स्वरूप ही बदल जाए।

1 comment:

  1. पता नहीं यह क्या हो रहा है, पहले तो विश्वास करना ही मुश्किल है कि कांग्रेस ऐसा सोच सकती है. कांग्रेस ... aagey padhne ke liye yaha clik kare http://politics.jagranjunction.com/2012/11/29/congress-new-policy-of-subsidy/

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