Wednesday 7 November 2012

गडकरी जैसे दोस्त हों तो भाजपा को दुश्मनों की जरूरत नहीं


 Published on 7 November, 2012
 अनिल नरेन्द्र
ऐसा लगता है कि अब जुबान ने भी भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी का साथ छोड़ना शुरू कर दिया है। पूर्ति ग्रुप की संदेहास्पद गतिविधि का मामला अभी चल ही रहा है कि गडकरी ने एक नया विवाद खड़ा कर लिया है। हुआ यूं कि भोपाल में एक स्थानीय पत्रिका ओजस्विनी द्वारा स्थापित राष्ट्रीय अलंकरण समारोह में रविवार को सम्बोधित करते हुए गडकरी ने मनोविज्ञान के आधार पर बुद्धि नापने के पैमाने इंटेलीजेंट कोसेंट (आईक्यू) का हवाला देते हुए कहा कि यदि दाऊद इब्राहिम और स्वामी विवेकानन्द की बुद्धिलब्धि (आईक्यू) को देखा जाए तो एक समान पाई जाती, लेकिन एक ने इसका उपयोग गुनाह के लिए किया और दूसरे ने समाज, देशभक्ति और आध्यात्म की सर्वश्रेष्ठता के लिए किया। उन्होंने चूंकि यह सब कुछ ऑन रिकॉर्ड कहा तो टीवी वालों ने इसका प्रसारण कर दिया। यह बयान आते ही हंगामा मच गया। चारों तरफ से गडकरी और भाजपा को गालियां पड़ने लगीं। नितिन गडकरी को तब जाकर अहसास हुआ कि मैंने गलत उदाहरण दे दिया और उन्होंने सफाई भी पेश की। गडकरी ने कहा कि मैंने सिर्प इतना कहा था कि अगर किसी ने अपनी बुद्धि का सही इस्तेमाल किया है तो वह विवेकानन्द हैं और नहीं तो फिर वह बुरा आदमी है। इसमें कोई तुलना नहीं है। मेरे बयान को गलत ढंग से पेश किया गया। लेकिन गडकरी की सफाई किसी के गले नहीं उतरी। गडकरी का यह बयान हिमाचल में वोटिंग के एक दिन बाद आया और गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले। गडकरी से परेशान भाजपा के अन्दर बगावत का बहाना मिल गया। राम जेठमलानी की ओर से की गई खुली आलोचना के बाद उनके पुत्र महेश जेठमलानी ने गडकरी पर सीधा हमला बोल दिया। महेश जेठमलानी ने पत्र लिखकर कहा ः `जब तक गडकरी पार्टी अध्यक्ष हैं, मेरे लिए नैतिक और बौद्धिक रूप से पार्टी मंच पर काम करना मुश्किल है।' राम जेठमलानी पहले ही गडकरी का इस्तीफा मांग चुके हैं। कभी भाजपा के थिंक टैंक रह चुके गोविंदाचार्य ने कहा ः `गडकरी शायद हालिया घटनाओं से विचलित हो गए हैं। उन्होंने आगे जोड़ाöजाकी रही भावना जैसी...।' पार्टी प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी ने जरूर गडकरी के बचाव की कोशिश की पर भाजपा का कोई बड़ा नेता या संघ की ओर से बचाव में सामने नहीं आया। भाजपा मुख्यालय में मौजूद भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने यह जरूर कहा कि विनाश काले विपरीत बुद्धि। पहले भी कुछ टिप्पणियों के कारण विवादों में रहे गडकरी के ताजा बयान से उन्होंने खुद ही हिट विकेट कर ली। इन परिस्थितियों में जहां यह तय हुआ कि गडकरी को दूसरा कार्यकाल जरूर मिलेगा। भाजपा ने तो अपना संविधान संशोधन भी कर लिया था पर अब गडकरी को दूसरा कार्यकाल मिलना बहुत मुश्किल लगता है। संघ ने भी अपने आपको गडकरी के समर्थन से अलग कर लिया है। अपना दामन बचाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पहले ही उनकी पीठ से हाथ हटा लिया था। गौरतलब है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी स्वामी विवेकानन्द के नाम की रैली से चुनावी अभियान शुरू किया। ऐसे में विवेकानन्द का नाम दाऊद से तुलना ने जहां कांग्रेस को बड़ा अवसर दे दिया है, वहीं मोदी और पार्टी के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। बयान की कड़ी आलोचना करते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि यह भाजपा की मानसिकता को दर्शाता है। महान विचारक की तुलना अपराधी या माफिया सरगना से कैसे की जा सकती है। उन्होंने भाजपा से माफी मांगने की मांग की। वहीं कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने चुटकी लेते हुए ट्विट किया कि अब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रशंसक क्या कहेंगे? कांग्रेसी नेता जगदम्बिका पाल ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द की तुलना  कुख्यात अपराधी दाऊद से करना सही नहीं है। कल को अगर कोई नितिन गडकरी की तुलना मुंबई हमलों के अपराधी कसाब से कर दे तो उन्हें कैसा लगेगा?

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