Published on 30 April,
2013
अनिल नरेन्द्र
अमेरिका की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस नीति के
तहत अमेरिकी हवाई अड्डों पर बड़े से बड़े व्यक्ति चाहे वह एक डिपलोमेट हो, मंत्री हो,
उसकी गहन जांच होती है। अमेरिका के हवाई अड्डों पर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम,
फिल्म अभिनेता शाहरुख खान, आमिर खान समेत कई प्रमुख भारतीय लोगों को सुरक्षा के नाम
पर रोका जा चुका है। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री आजम खान से जुड़ा
है। आजम खान को बोस्टन हवाई अड्डे पर रोकने और उनसे पूछताछ की घटना से एक बार फिर विवाद
छिड़ गया है कि मुस्लिम नामों वाले व्यक्तियों को ही विशेष रूप से पूछा जाता है? क्या
अमेरिकी अधिकारी यह समझते हैं कि भारत सरकार या भारत के किसी राज्य का एक जिम्मेदार
मंत्री किसी भी प्रकार की आतंकी गतिविधि में शामिल हो सकता है। अभिनेता कमल हासन तो
इसके शिकार इसलिए हुए कि उनका नाम मुस्लिम मालूम देता है, हालांकि वह मुस्लिम नहीं
है। यही नहीं, जिस व्यक्ति का रंग-रूप कॉकेशियन नस्ल का गोरा न हो, वह भी इनकी चपेट
में आ सकता है, खासतौर पर अगर वह मध्य पूर्व या मध्य एशियाई दिखता हो। वैसे बोस्टन
इन दिनों इसलिए भी ज्यादा संवेदनशील माना जाएगा क्योंकि कुछ ही दिनों पहले बोस्टन मैराथन
में दो बम धमाके हो चुके हैं। सम्भव है कि इसके मद्देनजर हवाई अड्डे पर सुरक्षा के
प्रबंध ज्यादा पुख्ता हों। विडम्बना यह है कि बोस्टन मैराथन में हमला करने वाले कथित
दोनों व्यक्ति गोरे थे और न ही वह मध्य पूर्व से थे और न ही मध्य एशिया के थे। चूंकि
अमेरिका आज एकमात्र महाशक्ति है और अपने आपको किसी को भी जवाबदेही नहीं मानता इसलिए
उसे इस बात की कतई फिक्र नहीं कि किस अमुक व्यक्ति से किस प्रकार का व्यवहार कर रहा
है और क्या वह जरूरी भी है। वैसे भी अमेरिका को न तो दूसरी संस्कृतियों के बारे में
कोई जानकारी है और न ही वह जानने का प्रयास करता है। जो व्यक्ति मरने-मारने के इरादों
से आता है वह तो अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए में भी गोलाबारी कर देता है। दुनिया
में अब तक का सबसे बड़ा हमला 9/11 को समय से रोकने में असफल रही अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां
सुरक्षा के नाम पर जिसे चाहें अपमानित कर देती हैं। बहुत से लोग तो इन ओच्छी हरकतों
की वजह से अमेरिकी दुश्मन बन जाते हैं। बाहर की बात छोड़ो अमेरिका के अन्दर ही काले
और हिस्पानी नागरिकों के साथ अमेरिकी समाज का बर्ताव एक जैसा नहीं है। अब व्यक्ति अमेरिका
जाने से पहले 10 बार सोचता है। आजम खान से एयर पोर्ट पर बदसलूकी के बाद अमेरिका का
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के व्याख्यान का बहिष्कार करके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने
न केवल अमेरिका को माकूल जवाब ही दिया बल्कि उन्होंने एक तीर से कई निशाने साधे हैं।
उन्होंने न केवल अमेरिकी व्यवस्था को माकूल जवाब दिया है बल्कि ऐसी घटनाओं से आहत मुसलमानों
के जख्मों पर मरहम भी लगाया है। दरअसल 9/11 की घटना के बाद अमेरिका में सुरक्षा के
नाम पर सारे विश्व के मुसलमानों का उत्पीड़न बढ़ा है। यूं भी दुनियाभर में खासतौर पर
भारत के मुसलमानों की भावनाएं अमेरिका के खिलाफ होती जा रही हैं और यह तब है कि जब
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा खुद मुसलमान हैं।