Tuesday, 2 April 2013

तमिलनाडु की राजनीतिक लड़ाई का शिकार आईपीएल-6



 Published on 2 April, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
सारे क्रिकेट प्रेमी आईपीएल शुरू होने की  प्रतीक्षा कर रहे हैं। 20-20 के इन मैचों से शाम का एंटरटेनमेंट अच्छा हो जाता है और इतने लम्बे भी नहीं होते कि आदमी को इसको देखने के लिए खास कार्यक्रम बनाना पड़े पर इस साल के आईपीएल में एक करारा झटका लगा है। यह अत्यंत दुर्भाग्य की बात है कि राजनीतिक कारणों से राजनीतिक लड़ाई को क्रिकेट के मैदान पर उतार दिया गया है। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने राज्य में सिंहली विरोधी भावनाओं को देखते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर कहा कि राज्य में (तमिलनाडु) में आईपीएल मैचों को तभी खेलने की अनुमति दी जाएगी जब इन मैचों में श्रीलंका का कोई खिलाड़ी, अम्पायर, अधिकारी या सहयोगी स्टाफ शामिल न हो। इसके बाद आईपीएल संचालन परिषद ने फैसला किया कि श्रीलंकाई क्रिकेटर चेन्नई में होने वाले आईपीएल मैचों में भाग नहीं लेंगे। श्रीलंका के 13 खिलाड़ी 3 अप्रैल से शुरू होने वाले आईपीएल-6 में भाग लेंगे। चेन्नई सुपर किंग्स के घरेलू मैदान पर कुल 10 मैच होंगे जिनमें एलिमिनेशन के दो मैच भी हैं और वह स्थल बरकरार रहेगा। श्रीलंका के पूर्व कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने क्रिकेट बोर्ड और सरकार की श्रीलंकाई खिलाड़ियों को आईपीएल खेलने की अनुमति देने के फैसले की आलोचना करते हुए इसे श्रीलंका के खिलाफ लगाए जा रहे मानव अधिकार हनन का समर्थन करार दिया। रणतुंगा ने कहा कि इस बात को नजरअंदाज कर दिया गया कि जयललिता और करुणानिधि दोनों श्रीलंकाई खिलाड़ियों को तमिलनाडु में खेलने से इसलिए रोकना चाहते हैं क्योंकि वे श्रीलंका पर मानव अधिकारों के हनन का आरोप लगा रहे हैं। इसलिए तमिलनाडु को छोड़कर अन्य (भारतीय) राज्यों में खेलने का मतलब हमारे देश के खिलाफ लगाए गए मानव अधिकारों के हनन के आरोपों का समर्थन है। रणतुंगा ने तमिलनाडु के दोनों नेताओं पर खेलों के साथ राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे तमिलनाडु में चुनावों के समय को छोड़कर कभी उत्तर और पूर्व (श्रीलंका) के तमिलों के कल्याण के लिए चिंतित नहीं दिखे। इधर श्रीलंकाई खिलाड़ियों को चेन्नई में नहीं खेलने के आईपीएल संचालन परिषद के फैसले पर कई फ्रेंचाइजी टीमों ने गहरी निराशा जताते हुए सवाल उठाया है कि ऐसा करने की बजाय मैचों को चेन्नई से बाहर क्यों नहीं स्थानांतरित किया गया। इस बात की भी इन्हें नाराजगी है कि संचालन परिषद ने इस मामले में उनसे कोई सलाह-मशविरा किए बगैर एकतरफा फैसला ले लिया और ऐसे करते समय पहले के अपने फैसले की भी अनदेखी की। साथ ही उन्हें इस बात की भी चिन्ता है कि बदली परिस्थिति में चेन्नई सुपर किंग्स को घरेलू परिस्थितियों का फायदा मिलेगा। चेन्नई सुपर किंग्स में दो श्रीलंकाई खिलाड़ी अकिला धनंजय और नुवान कुलशेखरा शामिल हैं, लेकिन टीम में उनकी कोई खास अहमित नहीं है। दूसरी टीमों में तो कई ऐसे श्रीलंकाई खिलाड़ी हैं जो काफी अहम हैं। इनमें कुमार संगकारा, महेला जयवर्धने मुथैया मुरली धरन, लसित मलिंगा और तिलक रत्ने दिलशान जैसे दिग्गज शामिल हैं जो किसी भी टीम के लिए बेहद अहम हैं। सुपर किंग्स को छोड़कर अन्य आठों टीमों के अधिकारी आधिकारिक रूप से कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं और न ही वे इसे लेकर कोई औपचारिक शिकायत दर्ज कराने जा रहे हैं। लेकिन वह इस बात को लेकर नाराज हैं कि संचालन परिषद ने पिछले फैसले का अनुसरण क्यों नहीं किया। बेंगलुरु में दो बम धमाके के बाद और हैदराबाद में तेलंगाना मुद्दे पर विरोध भड़कने के कारण वहां से मैचों को अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया था। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं किया गया। कुल मिलाकर यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि तमिलनाडु की दो पार्टियों में लगी राजनीतिक होड़ का शिकार आईपीएल-6 बन गया है।

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