Published on 11 April,
2013
अनिल नरेन्द्र
आखिरकार
बीएसपी नेता और अरबपति कारोबारी दीपक भारद्वाज की हत्या की गुत्थी को दिल्ली पुलिस
ने सुलझा लिया है। दक्षिण दिल्ली की डीसीपी छाया शर्मा ने बताया कि दीपक भारद्वाज की
हत्या किसी और ने नहीं बल्कि उनके अपने ही बेटे नीतेश ने कराई थी। पिता दीपक भारद्वाज
को मारने के लिए पांच करोड़ रुपए की सुपारी नीतेश ने वकील बलजीत सिंह सहरावत को दी
थी। इस कांट्रैक्ट किलिंग को सबसे बड़ा केस बताया जा रहा है। बेटे को गिरफ्तार कर लिया
गया है। दीपक की हत्या उनके फार्म हाउस नीतेश पुंज में गत 26 मार्च को कर दी गई थी।
कॉल डिटेल के आधार पर नीतेश शक के घेरे में था। पुलिस उससे लगातार पूछताछ कर रही थी। दो-तीन चीजों पर लगा कि वह झूठ बोल रहा है।
आखिरकार नीतेश ने सच उगल दिया। पूछताछ के दौरान उसने बताया कि अपने पिता के व्यवहार
से वह और उसका परिवार काफी परेशान था जिसके चलते मनमुटाव बढ़ रहा था। भारद्वाज बिजनेस
से भी अपने बेटे को दूर रखते थे। छह महीने पहले नीतेश ने फैसला किया कि कुछ करना होगा।
उसके सम्पर्प में वकील बलजीत सिंह सहरावत था जो वकालत में कम और प्रॉपर्टी डीलिंग में
ज्यादा रुचि लेता था। बलजीत महिपालपुर से विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहता था इसलिए उसे
एक बड़ी रकम की जरूरत थी। नीतेश ने अपने पिता दीपक भारद्वाज की हत्या का सौदा पांच
करोड़ में बलजीत के साथ किया और 50 लाख रुपए एडवांस में दे दिए। बलजीत ने इसे स्वामी
प्रतिभानन्द को दो करोड़ में आगे ट्रांसफर कर दिया। स्वामी ने इसे एक करोड़ में मोनू
को सुपारी दे दी। मोनू को दो लाख रुपए एडवांस दिए गए और उसने गाड़ी और हथियारों का
इंतजाम किया। बाकी रकम काम पूरा होने के बाद दी जानी थी। जहां तक बलजीत का सवाल है
तो उसका नाम भी कॉल डिटेल के आधार पर शक की वजह बना। स्वामी को आश्रम बनाने के लिए
डेढ़ करोड़ रुपए की जरूरत थी और इसी जरूरत के चलते स्वामी भी आसानी से इस हत्या के
लिए तैयार हो गया। लगभग 6 महीने पहले इस षड्यंत्र की शुरुआत हुई थी। हत्यारे दीपक की
हत्या फार्म हाउस से बाहर करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने दो बार कोशिश भी की लेकिन
असफल रहे। आखिरकार उन्होंने फार्म हाउस में ही दीपक को मारने का फैसला किया और ऐसे
करते समय सीसीटीवी में कैद हो गए। हालांकि दिल्ली पुलिस ने मामले को सुलझा लेने का
दावा तो किया है पर अभी भी कुछ बातों का स्पष्टीकरण जरूरी है। यह ठीक है कि नीतेश ने
पुलिस पूछताछ में अपने पिता की हत्या की सुपारी देने की बात कबूली है लेकिन इतने पर
भी हत्या का मोटिव साफ नहीं हो रहा। अभी यह भी साफ नहीं हो रहा है कि क्या परिवार के
अन्य सदस्यों को इस बारे में पता था और उनकी भी रजामंदी थी? चूंकि हत्या की सुपारी
तीन हाथों से गुजर कर शॉर्प शूटरों तक पहुंची इसलिए भी पुलिस को मामले को सुलझाने में
काफी मशक्कत करनी पड़ी और फिर स्वामी प्रतिभानन्द अभी तक गिरफ्तार नहीं हो सका जो इस
हत्या की महत्वपूर्ण कड़ी है।
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