Published on 16 April,
2013
अनिल नरेन्द्र
भारतीय जनता पार्टी के नए अध्यक्ष राजनाथ सिंह और उनकी
नवगठित टीम के लिए सबसे पहली चुनौती कर्नाटक विधानसभा है जो 5 मई को होने हैं। कर्नाटक
विधानसभा चुनाव में 110 सीटें जीतकर राज्य में पहली बार या यूं भी कहें कि दक्षिण भारत
में पहली बार सरकार बनाने में सफल रही भाजपा के लिए पुन सत्ता में आना आसान नहीं दिखता।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव कई कारणों से राष्ट्रीय महत्व रखता है। सबसे पहले तो यह है
कि यह 2014 के आम चुनावों से पहले हो रहा है इसलिए इसके परिणामों से अन्दाजा लगाया
जा सकता है कि हवा का रुख किस ओर बह रहा है। खासकर इसलिए भी क्योंकि इस चुनाव में न
केवल दोनों पमुख पार्टियां कांग्रेस व बीजेपी आमने-सामने हैं बल्कि संभावित तीसरे मोर्चे
के (देवगौड़ा, येदियुरप्पा) जैसे दिग्गज भी मैदान में हैं। इसके अतिरिक्त इस चुनाव
से यह भी मालूम हो सकेगा कि देश के सामने जो भ्रष्टाचार व अन्य ज्वलन्त मुद्दे हैं
उन पर मतदाताओं की क्या पतिकिया है। भाजपा के लिए यह चुनाव इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण
है कि वह दक्षिण में अपने पभाव को बचाए रख सकती है या नहीं और साथ ही अपनी टीम व चुनावी
चेहरों की वजह से उसको लाभ हो सकता है या नहीं? भाजपा के केन्द्राrय नेता मान रहे हैं
कि पिछली बार की तरह 110 सीटें जीतने की इस बार उम्मीद नहीं है। बिना किसी बड़े विवाद
के अपनी टीम का गठन करने में कामयाब रहे राजनाथ सिंह की टीम के लिए पहली चुनौती बेहद
मुश्किल होने जा रही है। दरअसल नई टीम के गठन के बाद सबसे पहली चुनौती ही कठिन आ गई
है। कर्नाटक में संघर्ष इसलिए भी ज्यादा हो गया है कि बीजेपी के लिए कांग्रेस ही नहीं,
बल्कि पार्टी से निकले बीएस येदियुरप्पा भी चुनौती पेश करने जा रहे हैं। दक्षिण में
कर्नाटक ही ऐसा पहला राज्य है जहां बीजेपी ने सरकार बनाने में सफलता हासिल की। पार्टी
सूत्रों का कहना है कि पिछली बार हालांकि कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी को लगभग एक फीसदी
वोट मिले थे लेकिन इसके बावजूद बीजेपी ने 110 सीटें जीती थीं और वह सरकार बनाने में
कामयाब रही थी। येदियुरप्पा के जाने के बाद पार्टी खुद ही यह भरोसा नहीं कर पा रही
है कि वह कर्नाटक में लगातार दूसरी सरकार बनाने में कामयाब रहेगी। येदियुरप्पा के जाने
से पार्टी को भारी नुकसान तो होगा पर पार्टी का कहना है कि उसके पास कर्नाटक में ही
कई ऐसे नेता हैं जो न सिर्प चुनाव में कार्यकर्ताओं की सफल अगुवाई कर सकते हैं बल्कि
पार्टी को जीत भी दिला सकते हैं। कर्नाटक के बीजेपी नेता व उपाध्यक्ष सदानंद गौड़ा
का भी मानना है कि पार्टी को इस बार भी राज्य में कामयाबी मिलेगी। कर्नाटक विधानसभा
चुनाव के लिए बीजेपी ने आंतरिक स्तर पर जो सर्वे करवाया है उसके मुताबिक पार्टी
224 विधानसभा सीटों में से मात्र 80 सीटों पर ही खुद को पभावी मान रही है। लिहाजा बीजेपी
ने 80 सीटों को ए श्रेणी में रखा है। भाजपा के केन्द्राrय नेता मान रहे हैं कि यदि
इतनी सीटें पार्टी ने जीत लीं तो जोड़-तोड़ कर सरकार बनाने की स्थिति में आ सकती है।
भाजपा ने लगभग 50 सीटें बी श्रेणी में रखी हैं जिन पर कांटे का मुकाबला है, किसी ओर
भी जा सकती हैं। टीम राजनाथ के लिए पहली चुनौती कर्नाटक में अपनी पार्टी को सफलता दिलाना
है। यहां नरेन्द्र मोदी की लोकपियता का इतना महत्व नहीं जितना राजनाथ सिंह की पतिष्ठा
का है।
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