Thursday, 25 April 2013

मुकेश अम्बानी को जेड श्रेणी की सरकारी सुरक्षा?



 Published on 25 April, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
देश के जाने-माने उद्योगपति मुकेश अम्बानी को जेड श्रेणी की सुरक्षा देने का फैसला सरकार के लिए सिरदर्द हो रहा है। जनता को सुरक्षा प्रदान करने में बुरी तरह फेल यूपीए सरकार को आम जनता से ज्यादा चिन्ता उद्योगपतियों की है, इससे साबित होता है। ऐसे समय में जब सारा देश यह मांग कर रहा हो कि वीआईपी सुरक्षा में तैनात जवानों को वहां से हटाकर जनसेवा में लगाना चाहिए, सरकार इस तरह का फैसला कर एक निहायत गलत परम्परा की शुरुआत करने जा रही है। कई बार सरकार द्वारा गठित समितियां भी यह कह चुकी हैं कि विशेष सुरक्षा खतरे के आंकलन के मुताबिक नहीं दी जाती बल्कि वह एक स्टेटस सिम्बल या रसूख का प्रतीक बन गई है। इसका नतीजा यह हुआ कि देश दो वर्गों में बंट गया है। एक वर्ग में वह वीआईपी हैं जिन्हें विशेष सुरक्षा हासिल है और जो हर नियम और कानून से ऊपर हैं, दूसरे वर्ग में वह बहुसंख्यक लोग हैं, जिनकी सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है, जो किसी खतरे या अपराध की सूचना देने थाने जाएं तो उनसे अपराधी की तरह बर्ताव होता है। आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविन्द केजरीवाल ने ट्विटर पर लिखा हैöमुकेश अम्बानी को जेड सिक्यूरिटी? इतना अमीर आदमी अपने सिक्यूरिटी गार्ड नहीं रख सकता? कोई भी राजनीतिक पार्टी इसका विरोध नहीं जता रही है। इससे लगता है कि अम्बानी सभी पार्टियों की गुड बुक में हैं। लेखक चेतन भगत का कहना है कि अरबपतियों को से जेड श्रेणी तक की सुरक्षा मिल रही है जबकि से जेड तक भी नहीं सीख पाने वाली नन्हीं बच्ची को पुलिस स्टेशन से भगा दिया जा रहा है। मौजूदा वीआईपी सुरक्षा की स्थिति चौंकाने वाली है। 253 दिल्लीवासियों की सुरक्षा पर औसतन एक पुलिसकर्मी तैनात हैं। 427 प्रभुत्वशाली लोगों की सुरक्षा में तैनात हैं 5183 पुलिसकर्मी। देशभर में 14842 लोगों को सुरक्षा मुहैया करवाई गई है और इनकी सुरक्षा में लगे हैं 47,557 पुलिसकर्मी। वीआईपी सुरक्षा पर सालाना खर्च है 341 करोड़ रुपए। चौतरफा आलोचना से घबराई सरकार ने सोमवार को इस मुद्दे पर सफाई देने का प्रयास किया। गृह मंत्रालय के मुताबिक पिछले महीने मुकेश अम्बानी को इंडियन मुजाहिद्दीन की ओर से धमकी भरी चिट्ठी मिली थी। उसमें उनकी हत्या और उनके आलीशान महलनुमा घर अंतिला पर हमले की धमकी दी गई थी। साथ ही रिलायंस की फैक्ट्रियों पर भी हमले की आशंका जताई गई। सोमवार को गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने साफ किया कि सुरक्षा का तमाम खर्च सरकार नहीं बल्कि मुकेश अम्बानी खुद ही उठाएंगे। उनका कहना है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अम्बानी राष्ट्रीय सम्पत्ति हैं और उन्हें मिल रही धमकियों के मद्देनजर जेड स्तर की सुरक्षा दी गई है। यह सुविधा मुफ्त नहीं दी जा रही, इसके लिए मुकेश को 15 लाख रुपए चुकाने होंगे। सीआरपीएफ सूत्रों के मुताबिक 25 से 30 कमांडो वाले इस सुरक्षा घेरे का हर महीने का खर्च करीब 14 लाख रुपए होगा, जिसमें उनका वेतन भी शामिल है। इस खर्च  के अलावा अम्बानी सुरक्षा टीम को बैरक भी मुहैया करवाएंगे। मुकेश अम्बानी तो चाहते थे कि उनकी बिल्डिंग में ही पुलिस थाना बनाया जाए। हो सकता है कि सरकार की नजरों में मुकेश अम्बानी को सुरक्षा मुहैया कराना जायज हो पर आम भारतीय. इसे अपनी सुरक्षा और सरकारी संवेदनहीनता के आइने में ही देखेगा।



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