Published on 23 April,
2013
अनिल नरेन्द्र
चर्चित महिला सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने शुकवार
को शरद पवार के भतीजे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री राकंपा नेता अजीत पवार पर एक
सिंचाई योजना में 27.5 करोड़ रुपए रिश्वत लेने का आरोप लगाया। पाटकर का आरोप है कि
कुल 43.83 करोड़ की रिश्वत राशि में भाजपा नेता और पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी और लोकसभा
में भाजपा के उपनेता को 50 लाख और 20 लाख रुपए दिए। मेधा ने बताया कि महालक्ष्मी इन्फास्ट्रक्चर
ने गोसीखुर्द सिंचाई परियोजना का ठेका लिया था। ठेकेदार ने कमीशन के तौर पर कुल 43.83
करोड़ रुपए विभिन्न नेताओं व कुछ अधिकारियों को बांटे। पवार के अलावा ठेकेदार ने नितिन
गडकरी को 50 लाख और गोपीनाथ मुंडे को 20 लाख रुपए दिए। कांग्रेस के विधायक विजय बडेट्टीवार
व पार्टी नेता सुनील देशमुख को भी कमीशन दिया गया। पाटकर ने बताया कि कंपनी के कार्यालय
पर आयकर विभाग ने छापा मारा था। इस दौरान कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले थे। इन दस्तावेजों
को उन्होंने आरटीआई के तहत हासिल किया है जिनसे उन्हें कमीशन की जानकारी मिली। मेधा
पाटकर के आरोपों से मेरा दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है, यह कहना है अजीत पवार का। मैं
वरिष्ठ समाजसेवी के रूप में पाटकर का सम्मान करता हूं किंतु कमीशनखोरी का जो आरोप लगाया
है वह बेबुनियाद है। उधर आम आदमी पार्टी (आप) ने शुकवार को मांग की कि सिंचाई घोटाले
में कथित भूमिका के लिए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को तुरन्त बर्खास्त
किया जाए और इस मामले की निष्पक्ष न्यायिक जांच कराई जाए। आप की पवक्ता पीति शर्मा
मेनन ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट और महालक्ष्मी आधारभूत
ढांचा परियोजना में रिश्वत के खुलासे के बाद अजीत पवार के उपमुख्यमंत्री बने रहने के
लिए कोई जगह नहीं बची है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र भीषण सूखे से जूझ रहा है जो घटिया
तरीके से डिजाइन की गईं परियोजनाओं का सीधा परिणाम है। इससे न केवल सरकारी खजाने को
लूट कर सुखा दिया गया है बल्कि हमारी मिट्टी को भी भूजल रहित कर दिया गया है। पीति
ने कहा कि सिंचाई परियोजनाओं पर 27 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं जबकि मूल बजट सात
हजार करोड़ रुपए का था। एक अन्य घटनाकम में कैग की गुरुवार को महाराष्ट्र विधानसभा
में पेश हुई रिपोर्ट में बताया गया कि सिंचाई विभाग की 426 परियोजनाएं पिछले 40 वर्षों
से अटकी पड़ी हैं। इनमें से 242 योजनाओं का खर्च शुरुआत में 7,215 करोड़ रुपए अनुमानित
था। इसमें 26,617 करोड़ रुपए तक वृद्धि होने से इनकी कुल लागत करीब 33,832 करोड़ हो
गई है। कुछ नेताओं को विवादों में बने रहने का शौक होता है बेशक यह नेगेटिव पब्लिसिटी
ही क्यों न हो। पिछले दिनों आपने एक बयान ऐसा दे दिया, जिससे अभी तक आपका पीछा नहीं
छूट रहा। महाराष्ट्र में सूखे की बात करते हुए अजीत पवार ने कहा कि अब अगर बांध में
पानी नहीं तो कैसे छोड़ा जा सकता है? क्या हम वहां जाकर पेशाब करें? अब अगर पीने को
ही पानी नहीं है तो पेशाब भी कैसे होगी। मैं देख रहा हूं कि जब से यहां रात को बिजली
नहीं होती, तब से ज्यादा बच्चे पैदा होने लगे हैं। लोगों के पास और कोई काम नहीं बचा
है। जब उनके बयान पर हंगामा मच गया तो श्रीमान जी ने रविवार को सुबह से कराड में दिन
भर का पायश्चित और उपवास किया। इससे पहले शनिवार को अजीत के चाचा और एनसीपी पमुख शरद
पवार ने उनके बयान को गलत बताते हुए मामले को खत्म करने की बात कही। अजीत पवार ने हालांकि
माफी भी मांग ली है पर विपक्षी दल शिवसेना और भाजपा उनके इस्तीफे की मांग को लेकर विधानसभा
की कार्यवाही नहीं चलने दे रही हैं। अब इनको अजीत के खिलाफ और बारूद मिल गई है। अजीत
पवार ने अपनी हरकतों से न केवल अपनी पार्टी को ही बल्कि कांग्रेस गठबंधन सरकार को भी
आलोचना का शिकार बना दिया है। अजीत पवार मुख्यमंत्री चव्हाण के लिए एक सिरदर्द बन गए
हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2014 में होने हैं। देखना है कि कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन
पर इसका क्या पभाव पड़ता है।
No comments:
Post a Comment