Published on 13 April,
2013
अनिल नरेन्द्र
आयरन लेडी के नाम से मशहूर ब्रिटेन की पहली और एकमात्र
महिला प्रधानमंत्री रहीं मारग्रेट थैचर का सोमवार को स्ट्रोक से निधन हो गया। दिमागी
बीमारी (डिमेशियां) से पीड़ित थैचर 87 वर्ष की थीं। मारग्रेट थैचर निसंदेह 20वीं सदी
की सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में से एक थीं। साथ ही उस सदी में ब्रिटेन की सबसे लम्बे
समय तक प्रधानमंत्री रहने (11 वर्ष) वाली नेता भी थीं। यों तो श्रीमती थैचर पिछले कई
वर्षों से सक्रिय राजनीति से अलग हो चुकी थीं, लेकिन उन्होंने अपने देश की सियासत के
साथ ही वैश्विक राजनीति पर जो छाप छोड़ी है, उसे भुलाना मुश्किल होगा। वास्तव में शीत
युद्ध के अंतिम दशक के जिन नेताओं को इतिहास में दर्ज किया जाएगा, उनमें मारग्रेट थैचर
भी होंगी, जिन्होंने अमेरिका और सोवियत संघ के ताकतवर नेतृत्व के बीच अपनी एक वैश्विक
छवि बनाई थी। घरेलू स्तर पर अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से लेकर अंतर्राष्ट्रीय
स्तर के अपने वैचारिक विरोधियों तक का उन्होंने जिस सख्ती से सामना किया, मजदूर यूनियनों
को तोड़ने से लेकर महंगाई से निपटने तक जैसा नेतृत्व उन्होंने दिखाया, उसकी वजह से
ही उन्हें `आयरन लेडी' तक कहा गया। अपने स्वभाव और हठधर्मिता के लिए बेशक थैचर जब प्रधानमंत्री
बनीं तो जनता में उनकी लोकप्रियता इतनी नहीं हुई पर इस बात से कोई इंकार शायद ही कर
सके कि आज की दुनिया बनाने में जितनी बड़ी भूमिका उन्होंने निभाई थी उसकी बराबरी और
किसी नेता से नहीं की जा सकती। वैचारिक खेमेबाजी से मुक्त खुली अर्थव्यवस्था, प्राइवेटाइजेशन,
नीची ब्याज दरें, सरकारी मदद के बजाय अपने पैरों पर खड़ा होने की समझ को प्रोत्साहनöइस
तरह की सारी नीतियों की बुनियाद मारग्रेट थैचर की ही रखी हुई है। थैचर 1979 में सत्ता
में जब आईं थीं तब ब्रिटेन की ख्याति पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा और सबसे लम्बी चलने
वाली हड़तालों के रूप में थी पर थैचर ने धीरे-धीरे ब्रिटेन की प्रमुख ट्रेड यूनियनों
को तोड़कर रख दिया। सत्ता में आने के तुरन्त बाद कुछ सरकारी कम्पनियों को निजी हाथों
में सौंपने का कदम हो, फॉकलैंड से अर्जेंटीना को खदेड़ने के लिए फौज भेजने का फैसला
या आयरलैंड का मसला, उन्होंने हमेशा दृढ़ता और दूरदर्शिता का परिचय दिया। कहते हैं
कि सियासत असीमित सम्भावनाओं का खेल है, जिसे मारग्रेट थैचर ने सच कर दिखाया। वह न
केवल ब्रिटेन की पहली प्रधानमंत्री बनीं बल्कि लगातार तीन बार शीर्ष पद पर चुनी जाने
वाली 20वीं सदी की अपने देश की पहली नेता भी साबित हुईं। कुछ विरोधाभासों और अंतर्विरोध
के साथ यह संयोग ही है कि मारग्रेट थैचर भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा
गांधी की तरह ही कद्दावर नेता थीं, जिनकी वह खुद भी प्रशंसा करती थीं। 1984 में जब
इन्दिरा जी की हत्या हुई तो थैचर की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा था कि मैं श्रीमती
इन्दिरा गांधी को बहुत मिस करूंगी। दोनों नेताओं में गहरी मित्रता भी थी। वह उनके अंतिम
संस्कार में शामिल भी हुई थीं। जैसा किसी ने कहा, कमजोर व्यक्ति हमेशा सुअवसरों का
इंतजार करता रहता है, जबकि निर्भीक व्यक्ति इन्हें बनाते हैं। मारग्रेट थैचर इसी श्रेणी
की महिला थीं।
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