Tuesday 2 April 2013

राजनाथ की नई टीम ः सही दिशा में सही कदम



 Published on 2 April, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
जनता पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अपनी नई टीम की घोषणा कर दी है। मेरी राय में यह एक सही दिशा में सही कदम है। किसी भी टीम की घोषणा आसान नहीं होती और कहीं न कहीं कुछ लोगों की नजरों में कमियां रह जाती हैं और वह उन्हें लेकर आलोचना करते हैं। देखना यह चाहिए कि किस उद्देश्य से यह टीम बनाई जा रही है और जो लोग टीम में शामिल किए गए हैं क्या वह डेलिवर कर सकते हैं? भाजपा का 2014 लोकसभा चुनाव का रोड मैप साफ है। उसे 2014 के लोकसभा चुनाव में 200 सीटें जीतनी होंगी तब जाकर वह सत्ता का सपना देख सकती है। इसके लिए उसे पहले अपना घर मजबूत करना होगा। राजनाथ सिंह द्वारा अपनी टीम के गठन और संसदीय बोर्ड के पुनर्गठन की पूरी कवायद में नरेन्द्र मोदी के बढ़ते प्रभाव की झलक साफ देखी जा सकती है। नरेन्द्र मोदी न केवल खुद पूरी दमदारी के साथ पार्टी की सर्वोच्च इकाई संसदीय बोर्ड में पुन वापसी करने में सफल रहे हैं बल्कि उन्हें अपने भरोसेमंद कई लोगों को अहम ओहदे दिलाने में भी कामयाबी हासिल हुई है। राजनाथ ने सामाजिक, राजनीतिक और क्षेत्रीय संतुलन बनाते हुए जो टीम घोषित की है उसमें लगभग एक दर्जन मोदी समर्थकों को जगह मिली है। केंद्रीय राजनीति में मोदी ने धमक के साथ पदार्पण कर दिया है। छह साल पहले पार्टी की जिस सर्वोच्च निर्णायक संस्था संसदीय बोर्ड से इन्हीं राजनाथ सिंह ने उन्हें हटाया था उसी में ही राजनाथ सिंह मोदी को अपनी शर्तों पर लाने को एक तरह मजबूर हुए। अब वह उस जगह खड़े हो गए हैं, जहां लोकसभा व विधानसभा चुनावों के लिए दावेदारों का भविष्य तय करेंगे। मिशन 2014 को ध्यान में रखकर तैयार की गई टीम में राजनाथ सिंह ने वरुण गांधी के जरिए एक बहुत बड़ा दांव खेलने की तैयारी की है। वरुण के जरिए एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की है। वरुण गांधी को लाकर उन्होंने यह संदेश तो दिया ही है कि वह उत्तर प्रदेश को ज्यादा अहमियत देने जा रहे हैं। साथ ही यह भी कि बीजेपी अब युवा चेहरों को आगे बढ़ाने में संकोच नहीं करेगी। वरुण की छवि से हिन्दुत्व को भी बल मिलता है और अगर कांग्रेस के पास  राहुल गांधी हैं तो भाजपा के पास वरुण गांधी हैं। पार्टी यह मानती है कि यूपी में जब तक बीजेपी बेहतरीन प्रदर्शन नहीं करती तब तक उसके लिए दिल्ली की सत्ता का रास्ता आसान नहीं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभा चुकी तेज-तर्रार हिन्दुत्व का एक और प्रतीक उमा भारती को उपाध्यक्ष बनाकर स्पष्ट संकेत दे दिया है कि  पार्टी अपने बुनियादी असूलों पर लौटेगी। दूसरी ओर बिहार में जद (यू) के साथ बनते-बिगड़ते रिश्तों के बीच मोदी समर्थक सीपी ठाकुर व रामेश्वर चौरसिया टीम में आए तो राजीव प्रताप रूडी, शाहनवाज हुसैन और एसएस आहलूवालिया को शामिल करके राजनाथ सिंह ने जता दिया कि उनकी नजरों में बिहार कितना महत्वपूर्ण है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अनंत कुमार के साथ-साथ सदानन्द गौड़ को भी केंद्रीय समिति में स्थान इसीलिए दिया गया है। राजनाथ सिंह की नई टीम में तीन खूबियां नजर आ रही हैं। महासचिवों की औसत उम्र 50 साल है जिससे युवा नेतृत्व को तरजीह देने का इरादा साफ है। 40 फीसदी महिलाओं को टीम में जगह मिली है। टीम में सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया गया है। साथ-साथ जमीनी कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज नहीं किया गया। टीम राजनाथ के सामने अब तीन चुनौतियां प्रमुख हैं। कर्नाटक व अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करना। जिन राज्यों में भाजपा सरकारें हैं उनमें सत्ता बरकरार रखना और जिनमें नहीं है वहां सत्ता में आना। राजग के घटक दलों से बेहतर संबंध बनाने की दिशा में काम जरूरी होगा। बेहतर हो कि जैसे अटल जी ने जॉर्ज फर्नांडीस को यह काम दे रखा था, उसी तर्ज पर एक-दो नेताओं को यह काम सौंपा जाए कि वह कुनबे को बरकरार रखते हुए बढ़ाने का प्रयास करे। श्री नरेन्द्र मोदी की छवि को राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य बनाना यह भी टीम राजनाथ के लिए एक चुनौतीपूर्ण काम होगा। हर टीम में घोषणा के बाद थोड़ा असंतोष तो होता है, असंतुष्टों को समझा-बुझा कर लाइन पर लाना। जैसा मैंने कहा मेरी राय में यह राजनाथ सिंह का सही दिशा में सही कदम है, बाकी तो आपको फैसला करना होगा।

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