Published on 10 April,
2013
अनिल नरेन्द्र
भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के विचारों
से हम सहमत हैं। अपनी टीम की पहली बैठक में राजनाथ सिंह ने रविवार को दो टूक कहा कि
पहले देश का दिल जीतो फिर नेता भी तय कर लेंगे। भाजपा के अंदर पधानमंत्री कौन होगा
इस पर ज्यादा विवाद छिड़ा हुआ है। बनिस्बत 2014 के लोकसभा चुनाव जीतने के। मैं बार-बार
इसी कालम में लिखता रहा हूं कि भाजपा का पहला टारगेट दो सौ से ज्यादा लोकसभा सीटों
के जीतने का होना चाहिए। अगर भाजपा 200 सीटें लाती है तभी राजग सरकार बनाने की स्थिति
में आ सकती है। बताया गया है कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए ब्लू पिंट तैयार कर लिया
है। पता चला है कि लोकसभा की 383 सीटों को भाजपा रणनीतिकारों ने चिन्हित किया है जहां
पार्टी उम्मीदवार खड़ा करेगी और पूरा जोर लगा देगी। यदि अक्तूबर-नवम्बर में लोकसभा
चुनाव की नौबत आती है तो पार्टी उस चकव्यूह में भी भिड़ने के अलावा बाहर निकलने का
अस्त्र-शस्त्राsं का मंथन कर रही है। आने वाले 5 महीनों में चिन्हित 383 सीटों पर भाजपा
अपनी पदयात्राएं पूरी कर लेगी। संगठनात्मक आधार पर घोषणा पूर्व पत्याशियों के चयन करने,
सड़कों पर सभाएं, पदयात्राएं निकालने तथा संचार के नए तकनीकी तरीकों के जरिए मतदाताओं
तक अपनी बात पहुंचाने और कांग्रेस की कुरीतियों की पोल खोलने की मंडल स्तर पर तैयारियों
के निर्देश दिए जा रहे हैं। रविवार की इस महत्वपूर्ण बैठक में गुजरात के मुख्यमंत्री
अलग अन्दाज में छाए रहे। गुजरात चुनाव में 3डी पचार का इस्तेमाल कर चुके मोदी ने नेताओं
को सोशल मीडिया की ताकत का एहसास कराया। उन्होंने कहा कि 2014 तक देश में 14 करोड़
लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करेंगे। उन्होंने कहा कि 2004 के चुनाव में कांग्रेस 11 करोड़
मतदाताओं का वोट लेकर सत्ता में आई थी। जबकि 2014 तक इससे ज्यादा लोग इंटरनेट का उपयोग
कर रहे होंगे। उन्हें नहीं छोड़ा जा सकता है। लिहाजा, पारम्परिक चुनावी पचार के साथ-साथ
सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना होगा। नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव जीतने के लिए पांच
मंत्र भी दिए। पहला मंत्र सोशल मीडिया का इस्तेमाल। दूसरा मंत्र मुद्दे तय हों। उन्होंने
चुनाव के मुद्दे भी सुझाए। उन्होंने कहा कि चुनाव के लिए मुद्दे तय होने चाहिए ताकि
पार्टी कार्यकर्ताओं के सामने लाइन बिल्कुल साफ हो। महंगाई और केन्द्र सरकार के भ्रष्टाचार
को पब्लिक के बीच ले जाने की जरूरत है। उन्हें यह समझाना होगा कि इसका देश पर क्या
असर पड़ रहा है। तीसरा मंत्र विजन बनाम कमीशन। मोदी ने कहा कि कोरी भाषणबाजी के बजाए
लोगों को समझाना होगा कि कांग्रेस और बीजेपी में फर्प क्या है। उन्होंने फर्प बताते
हुए कहा कि कांग्रेस के पास अगर कमीशन है तो बीजेपी के पास विजन है। उनका कहना था कि
पार्टी कार्यकर्ताओं को कांग्रेस के कुशासन और सुशासन में अंतर समझाने की जरूरत है।
चौथा मंत्र मोदी ने भाजपा शासित राज्यों के कामकाज को भी चुनाव के दौरान फोकस में रखने
पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जब भाजपा शासित राज्य बेहतरीन काम कर सकते हैं तो कांग्रेस
शासित राज्य ऐसा क्यों नहीं कर सकते? वोटरों तक यह बात भी पहुंचानी होगी। पब्लिक को
बताना होगा कि भाजपा शासित राज्य सरकारें व राज्य किस तरह से इकॉनमी में योगदान दे
रहे हैं जबकि कांग्रेस शासित राज्यों का बुरा हाल है। पांचवां मंत्र है दूरदृष्टि।
सीनियर नेताओं की मौजूदगी में मोदी ने कहा कि पार्टी को इस वक्त चुनाव पर फोकस करने
की जरूरत है और इसके लिए बूथ स्तर पर जाकर काम किया जाना चाहिए। बैठक में वरिष्ठ नेता
लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि 2009 में कार्यकर्ताओं की नाराजगी भारी पड़ी थी और अनुकूल
माहौल होने के बाद भी पार्टी हार गई थी। इस बार ऐसा न हो। बैठक में कहा गया कि सत्तारूढ़
गठबंधन टूट रहा है। वहां नेतृत्व के भ्रम की स्थिति बन चुकी है। चुनावी रणनीति की चर्चा
करते हुए राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि 2009 में यूपीए को मिली
265 सीटों में 160 सीटें छह राज्यों हरियाणा, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र पदेश, पश्चिम
बंगाल और उत्तर पदेश से मिली थी। इन राज्यों में कांग्रेस कमजोर पड़ी है और सहयोगी
साथ छोड़ रहे हैं। बहुत दिनों के बाद भारतीय जनता पार्टी की सोच, विजन में फर्प आया
है। यह सही दिशा में सही कदम है। पधानमंत्री कौन बनेगा आज यह तय करना इतना जरूरी नहीं।
जरूरी है लोकसभा चुनाव के लिए सही फोकस, मुद्दे, उम्मीदवारों का चयन, सही पचार माध्यमों
का चयन अति आवश्यक है और राजनाथ सिंह यही करने का पयास कर रहे हैं।
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