Published on 18 April,
2013
अनिल नरेन्द्र
9/11के आतंकी हमले के बाद अमेरिका में कोई और आतंकी
हमला नहीं हो सका। यह बात अमेरिकी अधिकारी बड़े फक से कहते थे और फक होना भी चाहिए
क्योंकि वैश्विक आतंकवाद से बचना आज-कल असम्भव न सही अत्यन्त कठिन तो है ही। 12 साल
बाद आतंकियों ने अमेरिका में वापसी करते हुए बोस्टन शहर में दोहरे धमाकों की वारदात
को अंजाम दिया। इन धमाकों ने अमेरिका को फिर हिला दिया और 9/11 की याद ताजा कर दी।
इस बार बोस्टन मैराथन को निशाना बनाया गया। धमाका मैराथन की फिनिश लाइन के नजदीक हुआ
जिसमें तीन की मौत हो गई जबकि 176 घायल हो गए हैं। घायलों में दो दर्जन से ज्यादा लोगों
की हालत गम्भीर बनी हुई है और मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। हाथ-पांव कई लोगों
के गए हैं। 116 साल पुरानी मैराथन रेस में 23 हजार लोग हिस्सा ले रहे थे, जिन्हें उत्साहित
करने के लिए लाखों लोग सड़क के दोनों ओर मौजूद थे। मरने वालों में एक आठ वर्षीय मार्टिन
रिचर्ड भी है। धमाकों के लिए पेशर कुकर बम इस्तेमाल किए गए। कीलों और धातु के टुकड़ों
से भरे छह लीटर वाले पेशर कुकर काले रंग के बैगों में सड़क किनारे रखे गए थे। भारत
में भी कुछ आतंकी वारदातों में पेशर कुकर बम इस्तेमाल हुए हैं। 9/11 के बाद अमेरिकी
सरकार ने अपने देश को सुरक्षित रखने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। जरा-सा भी शक होने
पर संदिग्धों की निगरानी शुरू हो जाती और हवाई अड्डों पर तो अभूतपूर्व सुरक्षा पबंध
कर दिए जाते हैं। यह सुरक्षा अमेरिका के इतिहास में अभूतपूर्व थी और इसकी वजह से 9/11
के बाद आतंकी अमेरिका पर दूसरा हमला नहीं कर पाए। इसलिए लगता यह है कि इस हमले के पीछे
अलकायदा जैसे अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन का हाथ नहीं है और यह काम अमेरिका के अंदर
बैठे होमग्रोन टेरोरिस्टों का ज्यादा लगता है। बम धमाकों का समय और मौका भी खासतौर
से चुना गया था। बोस्टन मैराथन सिर्प एक खेल आयोजन नहीं, वह बोस्टन की पहचान है और
इस शहर का सबसे बड़ा उत्सव भी। 1897 से लगातार आयोजित किया जा रहा यह आयोजन दुनिया
की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी मैराथन दौड़ों में से एक है, जिसमें हजारों लोग भाग लेते
हैं। यह दौड़ पेट्रियंट्स डे के मौके पर आयोजित की जाती है। इंटरनेट के जहां अनेकों
लाभ हुए हैं वहीं इन आधुनिक वेबसाइटों ने आतंक फैलाने वालों के लिए भी टेक्नोलॉजी हासिल
करने का रास्ता खोल दिया है। सूचना पौद्योगिकी के विकास का एक नुकसान यह भी हुआ है
कि आज घर बैठ कर परमाणु बम कैसे बनाना है, छोटे घातक बम कैसे बनाने हैं की जानकारी
मिल जाती है और अमेरिका में टेक्नोलॉजी बहुत एडवांस हो चुकी है। इसके अलावा फीडम ऑफ
स्पीच की आजादी ने अमेरिका में तरह-तरह के विध्वंसक और उग्र विचारों को पनपने का मौका
दिया है। इंटरनेट ने खतरनाक विचारों के पचार के लिए कई रास्ते खोल दिए हैं। दुनिया
में बढ़ते आतंकवाद के कारणों में एक बड़ा कारण यह इंटरनेट भी शामिल है। बोस्टन मैराथन
पर हमला करना एक सांस्कृतिक परम्परा पर हमला करना है जिसका पभाव पूरी दुनिया में होगा।
हम पभावित लोगों के दुख में साथ हैं और मरने वालों के परिजनों से कहना चाहेंगे कि आप
के दुख में हम भी शरीक हैं और ऐसे कायरता पूर्ण हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते
हैं।
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