Published on 20 April,
2013
अनिल नरेन्द्र
नोएडा के बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में मुख्य
जांच अधिकारी रहे सीबीआई के एएसपी एजीएल कौल ने मंगलवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश
एम लाल की कोर्ट में दावा किया कि आरुषि-हेमराज हत्याकांड को आरुषि के माता-पिता डा.
राजेश तलवार और डा. नूपुर तलवार ने ही अंजाम दिया था। पांच साल पुराने इस मर्डर केस
से जांच एजेंसी की ओर से गवाह के तौर पर पेश एजीएल कौल ने कहा कि पूरी जांच और परिस्थितियों
से मैंने यह निष्कर्ष निकाला है कि तलवार दंपति ने ही यह हत्याएं की हैं। एएसपी एजीएल
कौल की ओर से अदालत में आरुषि-हेमराज मर्डर में पिता और मां को ही हत्या में शामिल
बताए जाने पर और किसी को संतोष हुआ हो या न पर इससे नोएडा पुलिस ने जरूर राहत की सांस
ली होगी। पुलिस ने जिन साक्ष्यों के आधार पर डाक्टर तलवार को गिरफ्तार कर जेल भेजा
उसी थ्योरी पर सीबीआई काम कर रही है। कौल ने इस मामले में आरोपी बताए गए कंपाउंडर कृष्णा,
नौकर राज कुमार और विजय मंडल को क्लीन चिट दी थी। सेक्टर-25 के जलवायु विहार स्थित
फ्लैट-32 में डाक्टर तलवार की बेटी आरुषि और नौकर हेमराज का कत्ल हुआ था। नोएडा पुलिस
ने अपनी जांच में डा. तलवार को आरोपी बनाया था। पुलिस की इस जांच पर तलवार दंपति ने
ही नहीं और लोगों ने भी उंगलियां उठाई थीं। सीबीआई की पहली जांच टीम ने भी नोएडा पुलिस
की तफ्तीश पर सवाल उठाते हुए नौकरों को आरोपी बनाकर जेल भेज दिया था। सीबीआई की तफ्तीश
घूमती रही, जिसके बाद नौकरों को हत्या का आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया गया लेकिन अदालत
में उनके इन आरोपों की भी धज्जियां उड़ीं। ऐसे में देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी एक
बार फिर सवालों के घेरे में आ गई। जांच आगे बढ़ी और सीबीआई की दूसरी टीम ने फिर आरुषि
कांड का सच खोजा। नोएडा पुलिस के तत्कालीन जांच अधिकारियों के मुताबिक लगातार पूछताछ
से परेशान डॉक्टर तलवार ने अपने वकील से अग्रिम जमानत के बारे में बात की थी। सर्विलेंस
पर सुनी गई इस बातचीत के बाद नोएडा पुलिस का शक पक्का हो गया। पहले की पुलिस जांच के
अनुसार आरुषि व तलवार के बीच मेल के आदान-पदान में जो मैसेज थे वह साफ बयां कर रहे
थे कि आरुषि व पिता के बीच संबंधों में कटुता थी। फ्लैट की जिस तरह से स्थिति थी, उससे
स्पष्ट था कि फ्लैट के भीतर कोई बाहरी व्यक्ति नहीं आया है। पुलिस को डा. तलवार के
खिलाफ ऐसे कई सबूत मिले थे जिसके आधार पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। खचाखच भरी
अदालत में एएसपी कौल ने कहा कि जब वे घटनास्थल का मुआयना करने पहुंचे तो उन्हें डा.
राजेश व उनकी पत्नी डा. नूपुर तलवार मिले। मकान में पवेश करने का एक दरवाजा था जो बाहर
से बिना चाबी के नहीं खुलता था। आरुषि और उसके पिता डा. राजेश के कमरों के बीच दीवार
का एक हिस्सा तीन-चार फुट प्लाइवुड का था। पूछताछ में डा. तलवार कई मौकों पर निरुत्तर
दिखे। तफ्तीश के दौरान उन्होंने डा. तलवार से उनकी गोल्फ स्टिक मांग कर सीएफएसएल भेजी।
सीएफएसएल की जांच रिपोर्ट में दो गोल्फ स्टिक एक अन्य से ज्यादा थी। खास बात यह है
कि इनमें एक गोल्फ स्टिक का क्षेत्रफल आरुषि और हेमराज को आई चोटों से मेल खाता था।
डा. राजेश के ड्राइवर उमेश ने बताया कि इन्हीं दोनों स्टिक को उसने हेमराज के कमरे
में रखा था। कौल के अनुसार वे मौके पर पहुंचे तो बाहर का लोहे का दरवाजा हटाया जा चुका
था। सारी जांच व परिस्थितियों के बाद उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि दोनों की हत्या
नौकर कृष्णा, राजकुमार व विजय मंडल सहित किसी बाहरी व्यक्ति ने नहीं की। दावा किया
कि साक्ष्यों के आधार पर दोनों की हत्या राजेश व नूपुर तलवार ने की थी। कौल ने अदालत
को यह भी बताया कि जिस बैड पर आरुषि का शव पड़ा था उसकी चादर में कहीं भी सिलवट नहीं
थी। उन्हें आश्चर्य हुआ कि आरुषि का गला काटने से खून की बौछार रूपी फव्वारा नहीं निकला
था। इससे स्पष्ट है कि अपराध स्थल पर छेड़छाड़ भी की गई। कौल ने अदालत को यह भी बताया
कि आरुषि के बिस्तर से लगी दीवार पर खून के हल्के धब्बे थे। अभी तो एएसपी कौल का बयान
दर्ज हुआ है, केस तो अब चलेगा। परिस्थितियों के अनुसार तो डॉक्टर राजेश और डा. नूपुर
तलवार दोषी दिखते हैं, बाकी तो अदालत की आगे की कार्रवाई में सीबीआई कितना कुछ साबित
कर सकती है, उस पर निर्भर करेगा।
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