Published on 3 April,
2013
अनिल नरेन्द्र
चढ़ते सूरज को देर-सवेर सभी सलाम करते हैं। विकास के
बूते पर गुजरात में तीसरी बार जीत का डंका बजाने और प्रधानमंत्री पद की दौड़ में सबसे
आगे नजर आने वाले मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से मेल-जोल बढ़ाने के लिए गत गुरुवार को
खुद अमेरिकी सांसदों और उद्यमियों का एक प्रतिनिधिमंडल आगे आया। इससे पहले यूरोपियन
यूनियन और ब्रिटेन के प्रतिनिधि उनसे मुलाकात कर उनके विकास का गुणगान कर चुके हैं।
गुरुवार को तीन अमेरिकी सांसदों समेत 18 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने न केवल मोदी से मुलाकात
की बल्कि उन्हें अमेरिका आने का निमंत्रण भी दिया। अमेरिकी सांसदों ने यह भी भरोसा
दिलाया कि वे अन्य सांसदों के साथ अमेरिकी प्रशासन से मिलकर मोदी को वीजा दिलाने की
कोशिश करेंगे। यह निमंत्रण इस लिहाज से भाजपा
और मोदी के लिए खुशी की बात है कि यूरोप के बाद अब अमेरिका में भी मोदी के महत्व को
समझा जा रहा है। कम से कम महत्व समझने की शुरुआत तो हो रही है। लेकिन जानकारों का मानना
है कि दावत देने का मतलब वीजा दे देना नहीं है। क्या ये सांसद अमेरिकी प्रशासन को इप्रेस
कर पाएंगे, इसका जवाब वक्त ही दे पाएगा लेकिन यह सही है कि गुजरात में अमेरिकी कारोबारियों
के लिए निवेश की अपार सम्भावनाओं के बारे में अमेरिका में लाबिंग की शुरुआत तो हो ही
गई है। सच तो यह है कि इसका कोई औचित्य नहीं कि एक से बढ़कर एक कुख्यात तानाशाहों को
गले लगाने वाला, अपनी धरती पर उनकी अगवानी करने वाला अमेरिका इस आधार पर मोदी की मुखालफत
करता रहे कि गुजरात में 2002 में जो भीषण दंगे हुए थे उन्हें रोकने में मोदी नाकाम
रहे थे। एक तो इस सन्दर्भ में नरेन्द्र मोदी को सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिल चुकी
है और दूसरे वह लगातार तीन बार भारी बहुमत से विधानसभा चुनाव भी जीत चुके हैं। इसके
अलावा देश की जनता का एक बड़ा वर्ग उन्हें भावी प्रधानमंत्री के रूप में भी देख रहा
है। वर्तमान में विपक्षी नेताओं में उनके सरीखा
कद्दावर कद का कोई नेता नहीं है। फिलहाल यह तय नहीं कि मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे
या नहीं, लेकिन इसका कोई अर्थ नहीं कि अन्य देश उन पर किसी तरह की पाबंदी लगाएं पर
मोदी का नाम आए और कांग्रेस और उसके समर्थक चुप बैठे रहें? शिकागो से प्रकाशित समाचार
पत्र `हाई इंडिया' के अनुसार इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने के लिए अमेरिकी कारोबारियों
से 7000 से 16,000 डॉलर (करीब डेढ़ लाख से आठ लाख रुपए) प्रति व्यक्ति की दर से धन
लिया गया। कानून के मुताबिक अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य किसी भी प्रकार के उपहार या
यात्रा प्रायोजन स्वीकार नहीं कर सकते। भाजपा नेता विजय जौली ने मोदी से अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल
के सदस्यों की भेंट के नाम पर पैसे लेने की बात को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि इसमें
कोई सच्चाई नहीं, जबकि कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद की टिप्पणी थीöइस घटनाक्रम से साफ
है कि नरेन्द्र मोदी अमेरिकी वीजा पाने के लिए इस कदर बेचैन हैं कि कुछ भी करने को
तैयार हैं। मोदी को देश से माफी मांगनी चाहिए। जहां तक मोदी के राजनीतिक विरोधियों
की बात है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने ही देश के एक लोकप्रिय
नेता की बदनामी करने में लगे हैं। ऐसे लोगों को यह समझना होगा कि नरेन्द्र मोदी को
अछूत बनाने के लिए उनकी ओर से की जा रही अतिरिक्त मेहनत के बावजूद गुजरात के मुख्यमंत्री
की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है। अमेरिकी सांसदों ने जिस तरह गुजरात जाकर मोदी
के घर पर दस्तक दी और उन्हें अमेरिका आने का निमंत्रण दिया उससे भी नरेन्द्र मोदी की
लोकप्रियता बढ़ेगी ही।
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