Saturday 1 December 2012

क्या बेटे को पिता जज के सामने अपीयर होना चाहिए?


 Published on 1 December, 2012
 अनिल नरेन्द्र
सुप्रीम कोर्ट में तो यह परम्परा रही है कि यदि किसी वकील का पिता सुप्रीम कोर्ट में जज है तो वह वहां प्रेक्टिस छोड़ देते हैं। पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एएम अहमदी और वीएन खरे इसका उदाहरण हैं। इन दोनों के बेटों ने पिताओं के सुप्रीम कोर्ट में रहते शीर्ष कोर्ट आना छोड़ दिया था। लेकिन अब शीर्ष अदालत में नियुक्त आठ जजों के बच्चे यहां प्रेक्टिस करते हैं। एक जज जस्टिस सीके प्रसाद के पुत्र तीन राज्यों के एओआर पैनल में हैं जिनके मुकदमे उनके पिता के सामने लगते रहते हैं। लेकिन वह इन मुकदमों में पेश नहीं होते। सूत्रों के अनुसार हितों के टकराव की इस समस्या से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रार  को अनौपचारिक निर्देश दिया है कि वह उन मुकदमों को जजों के सामने न लगाएं जिसमें उनके बच्चे वकील हैं। कमोबेश इस आदेश का पालन हो रहा है और अभी तक इस बारे में कोई विशेष शिकायत नहीं मिली है। सर्वोच्च न्यायालय के सूत्रों के अनुसार एक बार एक जज के पुत्र के बारे में शिकायत आई थी कि वह अपने पिता का हवाला देकर लोगों को प्रभावित कर रहे हैं। इस शिकायत पर मुख्य न्यायाधीश (अब सेवानिवृत्त) ने संबंधित जज को आगाह कर दिया जिसके बाद स्थिति सुलझ गई। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट एओआर (एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड) एसोसिएशन ने कहा है कि यह प्रेक्टिस गलत है। बच्चों को उस कोर्ट में प्रेक्टिस नहीं करनी चाहिए जिसमें उनके पिता जज हों। सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य पूर्व जज ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि बच्चों को उस कोर्ट में पिता के सामने अपीयर नहीं होना चाहिए जहां उनके पिता जज हैं। जहां तक कानून का सवाल है तो फिलहाल इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट कानून नहीं है। लेकिन न्यायपालिका में भ्रष्टाचार रोकने के लिए बनाए जा रहे जजेज एकाउंटेबिलिटी बिल में भी ऐसे प्रावधान रखे गए हैं जिसमें जजों के पुत्रों को पिता जज के कोर्ट में प्रेक्टिस करने से मना किया गया है। यह बिल राज्यसभा में लम्बित है। परिजनों के प्रेक्टिस करने की समस्या से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 1997 में रिस्टेटमेंट ऑफ वैल्यू बनाई थी जिसे 1999 में मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन में सर्वसम्मति से अपनाया गया था। इसमें प्रावधान था कि ऐसे मामलों की सुनवाई और फैसला नहीं करेंगे जिसमें उनके परिवार का निकट संबंधी या मित्र जुड़ा हुआ है। जज का कोई पुत्र यदि बार का मेम्बर है तो वह उसे अपने सामने पेश नहीं होने देंगे। मीडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों के बच्चे प्रेक्टिस कर रहे हैं वह हैं जस्टिस  डीके जैन, जस्टिस स्वतंत्र कुमार, जस्टिस एके पटनायक, जस्टिस केएस राधाकृष्णन, जस्टिस सीके प्रसाद, जस्टिस टीएस ठाकुर, जस्टिस एसएस निज्जर, जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई और जस्टिस मुपुंदकम (अब रिटायर)। यह तो बात सुप्रीम कोर्ट की है, निचली अदालतों और राज्यों की अदालतों में तो यह समस्या और भी ज्यादा गम्भीर है।

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