Tuesday 11 December 2012

मिस्र के तहरीर स्क्वायर से शुरू कांति अब भी जारी है


 Published on 11 December, 2012
 अनिल नरेन्द्र
एक कामयाब कांति के बाद लोकतंत्र के गठन और संविधान बनाने की डगर काफी मुश्किल होती है। हमने अपने पड़ोसी नेपाल का हाल देखा है। नेपाल अब तक इस संकट से उभर नहीं सका है। जिस देश के तहरीर स्क्वायर से अरब दुनिया में कांति शुरू हुई उसी देश का इतने दिन बीतने के बाद भी हाल बुरा है। मैं इजिप्ट यानी मिस्र की बात कर रहा हूं। तानाशाह हुस्नी मुबारक को उखाड़ फैंकने वाली इजिप्ट की जनता एक बार फिर तहरीर स्क्वायर पर उतर आई है और इस बार निशाने पर हैं मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी। इसकी वजह है उनकी एक विवादास्पद घोषणा। 22 नवम्बर को मोर्सी ने एक संवैधानिक घोषणा की। उसके मुताबिक उनके कामकाज को कानूनी तौर पर चुनौती नहीं दी जा सकती। मतलब यह है कि वह जो फैसला करेंगे, कोर्ट भी उसमें दखल नहीं दे पाएगा। हालांकि उन्होंने इजिप्ट का नया संविधान बना रही संविधान सभा की सुरक्षा के संदर्भ में यह व्यवस्था बनाने की बात कही है। इसके अलावा हुस्नी मुबारक के वक्त में जिन लोगों पर विरोध पदर्शन कर रहे लोगों पर जुल्म ढाने का आरोप था, उनके खिलाफ फिर से मामला चलाने की बात कही गई। मोर्सी का कहना है कि यह घोषणा तब तक पभावी रहेगी जब तक कि देश के नए संविधान पर जनमत संग्रह नहीं हो जाता। मोर्सी की इस घोषणा के बाद से ही देश में विरोध शुरू हो गया। लिबरल सहित दूसरे विपक्षी दलों ने उनके इस कदम का जोरदार विरोध किया है। जजों की बिरादरी इस घोषणा का विरोध कर रही है। जजों के समूह व सुपीम काउंसिल का कहना है कि यह देश की जुडीशियरी की आजादी पर जबरदस्त हमला है। मोर्सी पर खुलेआम आरोप लगाए जा रहे हैं कि वह तो मुबारक से भी ज्यादा ताकत हासिल करना चाहते हैं। कई लोगों का कहना है कि वे देश में इस्लामी कानून लागू करना चाहते हैं। इजिप्ट में हालात लगातार तनावपूर्ण हो रहे हैं। विपक्षी पदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन के बाहर लगाए गए अवरोधों को तोड़ दिया। सुरक्षा बलों ने पदर्शनकारियों को राष्ट्रपति भवन पहुंचने से रोकने के लिए ये अवरोध लगाए थे। हजारों लोगों ने राजधानी काहिरा में मार्च निकाला और विपक्ष के साथ बातचीत की राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी की अपील को खारिज कर दिया। मिस्र के चुनाव समिति के पमुख का कहना है कि विदेश में रहने वाले मिस्रवासियों के लिए वोटिंग में अब देर होगी। ये लोग जनमत संग्रह में वोट करने वाले थे। हजारों लोग मांग कर रहे हैं कि जनमत संग्रह टाल दिया जाए। मिस्र के उपराष्ट्रपति महमूद येकी ने संकेत दिया था कि राष्ट्रपति जनमत संग्रह टालने पर राजी हो सकते हैं अगर ये कानूनी तौर पर स्वीकार्य तरीके से किया जाए। विपक्ष का कहना है कि राष्ट्रपति ने अपनी शक्तियों में विस्तार करने और नए संविधान के मसौदे पर कोई रियायत नहीं दी है। इस मसौदे पर 15 दिसम्बर को जनमत संग्रह होना है, मिस्र के कई शहरों में सरकार विरोधियों और समर्थकों ने पदर्शन किए हैं। मोर्सी समर्थकों ने मिस्र में हुई हिंसा में मारे गए लोगों की मौत का बदला लेने का संकल्प जताया। भीड़ नारे लगा रही थी, मिस्र इस्लामिक है। ये धर्मनिरपेक्ष का उदारवादी देश नहीं बनेगा। कुल मिलाकर मिस्र में हालात विस्फोटक बने हुए हैं। तहरीर स्क्वायर से शुरू हुई कांति अभी तक एक तरह से जारी है। मिस्र के नाटकीय बदलाव से देश के इस्लामी राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी ने स्वयं को व्यापक शक्तियां देने वाले विवादास्पद आदेश को रविवार को निरस्त कर दिया लेकिन विपक्ष की इस मांग को खारिज कर दिया कि नए संविधान पर जनमत संग्रह टाल दिया जाए। जनमत संग्रह घोषित कार्यकम के अनुसार 15 दिसम्बर को ही होगा।

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