Saturday 15 December 2012

...और अब आईसीयू में घुसकर गोलियां दागीं


 Published on 15 December, 2012  
अनिल नरेन्द्र
गुड़गांव में एक अस्पताल में हुई शूट आउट ने चौंका दिया है। ऐसा पहले शायद ही कभी हुआ हो कि अस्पताल के आईसीयू में घुसकर गंभीर हालत में भर्ती मरीजों पर गोलियां दागी गई हों? मगर ऐसा हुआ है। गुड़गांव के सनराइज अस्पताल में पिता-पुत्र आईसीयू में भर्ती थे। इससे पहले दोनों गुटों में मारपीट हुई। मारपीट में सतबीर नामक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया। सतबीर का बेटा जोगिन्द्र उर्प जानी उसे गांव के ही सनराइज अस्पताल में भर्ती कराने आया था। उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे आईसीयू में शिफ्ट किया जा रहा था। उसी वक्त दूसरे गुट के आठ-नौ लोगों ने पिता-पुत्र पर ताबड़तोड़ पांच गोलियां बरसा दीं। पुलिस के अनुसार जोगिन्द्र के सिर और पैर पर गोलियां लगी हैं और सतबीर के कंधे में। मारपीट के दौरान उसके सिर में गंभीर चोटें भी आई हैं। डीसीपी ने बताया कि खांडसा गांव में डेढ़ साल पहले जोगिन्द्र और मनोज में पोपर्टी को लेकर विवाद शुरू हुआ था। इसमें मनोज की शिकायत पर जोगिन्द्र और उसके चचेरे भाई रविन्द्र के खिलाफ हत्या के पयास का मामला दर्ज किया गया था। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। मंगलवार को सुनवाई के बाद दोनों गुट गांव में पहुंचे और आपस में भिड़ गए, जिसमें सतबीर घायल हो गया। उसे उसका बेटा और पहले से दर्ज मामले का आरोपी जोगिन्द्र सनराइज अस्पताल में भर्ती कराने आया था। उसी दौरान दूसरे गुट के लोगों ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया। घायल पिता-पुत्र को वेदांता अस्पताल के आईसीयू में दाखिल किया गया, जहां सतबीर की हालत गंभीर व चिंताजनक बनी हुई है। डीसीपी काइम महेश्वर दयाल ने बताया कि आरोपियों की धरपकड़ के लिए पांच पुलिस टीमें गठित की गई हैं। दो युवकों को हिरासत में लिया गया है, हमलावरों को पकड़ने की कोशिश जारी है। इस मामले में पुलिस की लापरवाही भी उजागर हुई है। बताया जाता है कि मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई के बाद दोनों गुटों में हुए झगड़े को अगर पुलिस संजीदगी से लेती तो शायद तस्वीर इतनी दुखद न होती। वहीं वेदांता अस्पताल में इलाज के दौरान बेटे की मौत के बाद बाप को दिल्ली रेफर किया जाना भी सवालों के घेरे में है। बताया जा रहा है कि शहर के पतिष्ठित वेदांता अस्पताल में इलाजरत गंभीर रूप से घायल बाप को अस्पताल में महंगा इलाज होने के चलते परिजनों की अनुशंसा पर दिल्ली रेफर किया गया है। दिनों दिन अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी अलग पहचान बना रहे गुड़गांव शहर के छोटे और मध्यम अस्पतालों की सुरक्षा राम भरोसे ही है। इतना तब है जब शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की 90 फीसदी आबादी शहर के इन्हीं अस्पतालों के सहारे है। कई अस्पतालों में मेटल डिटेक्टर तक नहीं हैं। कुछ बड़े अस्पतालों में जरूर औपचारिक तौर पर इसकी व्यवस्था है। यही कारण है कि अब इन अस्पतालों में गोलीबारी की घटनाएं होने लगी हैं। यह दीगर है कि आज गुड़गांव का विस्तार विश्वस्तरीय शहर के रूप में हो रहा है। यह शहर दिनों-दिन मेडिकल हब का रूप लेता जा रहा है लेकिन शहर का दूसरा हिस्सा ऐसा भी है जिसमें पुराने समय के कई नामचीन अस्पताल बेहतर इलाज का तो दम भरते हैं लेकिन सुरक्षा को लेकर कतई गंभीर नहीं हैं। कइयों में तो गार्ड तक नहीं हैं।

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