Friday 28 December 2012

सिपाही सुभाष तोमर की मौत पब्लिक पिटाई से हुई या हार्टअटैक से?


 Published on 28 December, 2012
 अनिल नरेन्द्र
पिछले दो दिनों से एक नया ही विवाद शुरू हो गया है। दिल्ली पुलिस का अभागा कांस्टेबल सुभाष चन्द्र तोमर की मौत कैसे हुई? उल्लेखनीय है कि रविवार को सामूहिक दुष्कर्म मामले के विरोध में चल रहे प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसक झड़प में घायल हुए सुभाष तोमर ने मंगलवार को  सुबह दम तोड़ दिया। पोस्टमार्टम कराने के बाद पूरे पुलिस सम्मान के साथ उनके शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। कांस्टेबल सुभाष चन्द्र तोमर की मौत भीड़ की पिटाई से हुई या धुएं व लाठीचार्ज से मची भगदड़ से लगे सदमे से? दिल्ली पुलिस के आयुक्त नीरज कुमार कहते हैं कि पेट, छाती और गर्दन में चोट के निशान पाए गए हैं। वह रविवार को इंडिया गेट पर उपद्रव का शिकार हुए हैं। दूसरी ओर राम मनोहर लोहिया अस्पताल जहां सिपाही की मौत हुई वहां के चिकित्सक अधीक्षक डॉ. टीएस सिद्धू कहते हैं कि सदमे से सिपाही को हार्ट अटैक आया था। शरीर पर गम्भीर चोट के निशान नहीं थे। इस बीच 47 वर्षीय सिपाही तोमर के पोस्टमार्टम के बाद आई रिपोर्ट में उनकी मौत का एक कारण नहीं बताया गया। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. टीएस सिद्धू ने बताया कि जब तोमर को लाया गया था, उस समय वह मरणासन था और हमारे डाक्टर उसे होश में लाए, क्योंकि उसकी हालत बहुत खराब थी इसलिए हमने उसे गहन चिकित्सा कक्ष में स्थानांतरित कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उनकी मौत किसी पुंद चीज से सीने और गर्दन पर लगी चोटों के कारण दिल का दौरा पड़ने से हुई। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट डॉ. सिद्धू के इस बयान के विपरीत है कि कुछ मामूली चोटों के अलावा तोमर को कोई बड़ी बाहरी चोट नहीं थी और न ही कोई गम्भीर अंदरूनी चोट थी। उधर तोमर के पुत्र आदित्य ने कहा कि मेरे पिता की मौत इंडिया गेट पर प्रदर्शनों के दौरान मची अफरातफरी के कारण हुई। प्रदर्शनकारियों ने उन्हें धक्का दिया, उन्हें कुचल दिया। उन्हें अंदरूनी चोटें आईं। उन्हें हृदय संबंधी कोई बीमारी नहीं थी। घटना में एक नया मोड़ तब आया जब घटना के दो चश्मदीद गवाहों ने दावा किया कि तोमर को चोट नहीं आई थी। पत्रकारिता के छात्र व चश्मदीद गवाह योगेन्द्र ने दावा किया ः `मैं अपनी एक महिला मित्र के साथ इंडिया गेट पर था जो घायल हो गई थी। मैंने देखा कि प्रदर्शनकारियों के पीछे एक पुलिसकर्मी भाग रहा है और वह अचानक गिर गया। इसके बाद नजदीक खड़ी पीसीआर वैन उसे अस्पताल ले गई। मैं भी उसी वाहन में गया था। मैंने उसे अस्पताल में देखा और उसके शरीर पर चोट का कोई निशान नहीं था। वह भीड़ द्वारा कुचला नहीं गया और न ही उसे कोई चोट लगी थी। सवाल यह उठता है कि कौन-सी बात से घटनाक्रम को सच माना जाए?' हालांकि इससे जाने वाले को फर्प नहीं पड़ेगा। कारण कोई भी रहा हो, वह अपनी ड्यूटी पर शहीद हुआ।

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