Tuesday, 11 December 2012

अभी लंबी है एफडीआई की राह


 Published on 11 December, 2012
 अनिल नरेन्द्र
वालमार्ट ने अमेरिकी सीनेट को दी गई अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि उसने भारत में निवेश तथा अन्य लाबिंग गतिविधियों पर उसने 2008 से 2.5 करोड़ डॉलर (लगभग 125 करोड़ रुपए) खर्च किए हैं। इसमें भारत में एफडीआई पर चर्चा से संबंधित मुद्दा भी शामिल है। तिमाही के दौरान वालमार्ट ने अमेरिकी सीनेट, अमेरिकी पतिनिधि सभा, अमेरिकी व्यापार पतिनिधि (यूएसटीआर) और अमेरिकी विदेश विभाग के समक्ष अपने मामले में लाबिंग की। अमेरिका में कंपनियों को किसी मामले में विभागों या एजेंसियों के समक्ष लाबिंग की अनुमति तो है लेकिन लाबिंग पर हुए खर्च की रिपोर्ट तिमाही आधार पर सीनेट में देनी होती है। इधर जैसी उम्मीद थी अमेरिका ने एफडीआई को मंजूरी देने के फैसले का स्वागत किया है। उसने कहा कि इससे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग पगाढ़ होगा। पाप्त संकेतों से लगता है कि दिल्ली में सबसे पहले वालमार्ट अपने स्टोर खोलेगी। दिल्ली सरकार ने सबसे पहले एफडीआई के लिए अपना मॉडल एक्ट तैयार कर लिया है। दिल्ली कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही इस मॉडल एक्ट को केन्द्र सरकार को भेज दिया जाएगा। केन्द्र की हरी झंडी मिलते ही दिल्ली अपने द्वार विदेशी रिटेल स्टोर चलाने वाली कंपनियों के लिए खोल देगी। सबसे पहले एफडीआई मंडियों में लाया जाएगा। उधर वालमार्ट के पेजिडेंट और सीईओ (एशिया) स्कॉट पाइस ने उम्मीद पकट की कि वालमार्ट डेढ़ साल के अंदर भारत में अपने रिटेल आउटलेट्स खोल सकता है। उन्होंने कहा अभी तक यह फैसला नहीं किया गया है कि भारत में कितने स्टोर खोलें। पाइस ने यह भी कहा कि कंपनी भारती इंटरपाइजेज के साथ चल रहे 17 स्टोरों की भागीदारी जारी रखेगी। सरकार ने मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई पर भले ही संसद के दोनों सदनों की मंजूरी हासिल कर ली है, लेकिन आम आदमी को विदेशी किराना स्टोर के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा। देश के कई शहरों में तो 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद ही यह सुविधा उपलब्ध होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के इस फैसले के मूर्त रूप लेने में अभी वक्त लेगा। क्योंकि सरकार ने एक शर्त जोड़ी है, जिसके अनुसार एफडीआई का कम से कम 50 फीसद हिस्सा तीन साल के भीतर कोल्ड स्टोरेज बनाने जैसे इन्फास्ट्रक्चर पर खर्च होना चाहिए। खास बात यह है कि कोल्ड स्टोरेज के लिए जमीन खरीदने या किराए को इन्फास्ट्रक्चर पर खर्च नहीं माना जाएगा। इसके अलावा 2014 में होने वाले आम चुनाव के चलते भी कई राज्य एफडीआई लागू करने में तेजी से बच सकते हैं क्योंकि अधिकांश दलों ने इसका विरोध किया है। संसद की मंजूरी मिलते ही केन्द्राrय वाणिज्य मंत्रालय दुनिया की 4 सबसे बड़ी रिटेल कंपनियों के करीब 3 दर्जन पस्तावों पर अमल करने की तैयारी में जुट गई है। इनमें से करीब 10 पस्ताव अमेरिकी कंपनी वालमार्ट से आए हैं। करीब इतने ही पस्ताव स्वीडन की मुख्यत फर्नीचर की सबसे बड़ी रिटेल चेन आइकिया ने दिए हैं। ब्रिटेन के सबसे बड़े रिटेल ब्रांड रेस्को से 8 और फांस की मल्टीनेशनल कंपनी कैरफोर से 6 पस्ताव आए हैं। इनमें से ज्यादातर पस्ताव खाद्यान्न, टेक्सटाइल, इलैक्ट्रानिक सामान और टैक्नोलॉजी से जुड़े उत्पादों की श्रेणियों में दिए गए हैं। इसके अलावा कंपनियों ने गिफ्ट आइटम, किताबें, खिलौनों और दूसरे किस्म के कंज्यूमर गुड्स बेचने के लिए भी पस्ताव दिए हैं। राज्यों में इनकी पहली पसंद महाराष्ट्र और हरियाणा हैं। इन दोनों राज्यों से सबसे ज्यादा पस्ताव आए हैं।

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