Saturday, 29 December 2012

`ठीक है' से ठिकाने लगाए कर्मियों के कारण दूरदर्शन-पीएमओ में ठनी


 Published on 29 December, 2012
 अनिल नरेन्द्र
डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार उनका पीएमओ की इन दिनों बौखलाहट का यह आलम है कि एक छोटी-सी घटना पर दूरदर्शन के पांच कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दे दिए गए हैं। मामला कुछ ऐसा है। प्रधानमंत्री को गत सोमवार को टेलीविजन पर देश की जनता को सम्बोधित करना था। इसके लिए पीएम हाउस पर सुबह 9.30 बजे रिकार्डिंग की जानी थी। आरोप है कि दूरदर्शन के कैमरामैन 9.40 पर जबकि इंजीनियरिंग विभाग के सभी कर्मी 10 बजे के बाद प्रधानमंत्री हाउस पहुंचे। इस कारण पीएम हाउस में पहले से मौजूद टीवी समाचार एजेंसी एएनआई ने पीएम के भाषण की रिकार्डिंग की। बाद में इसे सम्पादित किए बिना ही प्रसारित कर दिया गया और पीएम को संदेश के अन्त में `सब ठीक है' कहते सुना गया। दूरदर्शन के सूत्रों का कहना है कि कर्मचारियों के खिलाफ निलम्बन की कार्रवाई का पीएम के भाषण के गैर सम्पादित ही प्रसारित हो जाने के प्रकरण से कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें प्रधानमंत्री हाउस देर से पहुंचने के कारण निलम्बित किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री निवास 7 रेसकोर्स रोड जाने वाले मार्गों पर यातायात प्रतिबंध के चलते दूरदर्शन की रिकार्डिंग टीम समय से नहीं पहुंच सकी। उन्हें पीएमओ ने कुछ ही समय पहले रिकार्डिंग के लिए आने को कहा था। दूरदर्शन के पांच कर्मचारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर पीएमओ और दूरदर्शन आमने-सामने आ गए हैं। दूरदर्शन के अफसरों का साफ कहना है कि जिस गलती के लिए पांच कर्मचारी सस्पेंड किए गए हैं उसके लिए पीएमओ के अफसर जिम्मेदार हैं। दूरदर्शन के अफसरों का दावा है कि प्रधानमंत्री के भाषण की रिकार्डिंग के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन होता तो इस तरह की गड़बड़ी नहीं होती। इसके लिए वह खासतौर पर प्रधानमंत्री के संवाद सलाहकार यानि कम्युनिकेशन एडवाइजर के रवैये से नाराज हैं। माना जा रहा है कि पीएमओ के एक अधिकारी की जल्दबाजी से सब गड़बड़ हो गई। मगर दिलचस्प बात यह है कि पीएमओ में भी इस तरह की रिकार्डिंग के लिए जिम्मेदार अफसरों को इस दफा विश्वास में नहीं लिया गया। परम्परा है कि राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के देश के नाम संदेश दूरदर्शन ही रिकार्ड करता है। यह सवाल भी उठ रहा है कि इस बार संदेश की रिकार्डिंग एक निजी एजेंसी से क्यों करवाई गई? साथ ही यह दलील भी दी जा रही है कि अगर संदेश को ठीक से सुनकर व सम्पादित करके दिखाया जाता तो इस प्रकार की गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं रहती। दूसरी ओर पीएमओ के अधिकारी इसके लिए दूरदर्शन कर्मियों की लेट-लतीफी पर भी सवाल उठा रहे हैं। गफलत कहां हुई यह तो पता नहीं। हां, इसका खामियाजा जरूर उन पांच दूरदर्शन कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। वैसे इस घटना से पीएमओ की बौखलाहट भी सामने आती है। दरअसल गैंगरेप के मामले में यह सरकार इतनी कंफ्यूज चल रही है कि हमें आश्चर्य नहीं हुआ कि यह  बौखलाहट उन पांच दूरदर्शन कर्मियों पर जा उतरी।





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