Published on 12 December, 2012
जी न्यूज बनाम नवीन जिंदल केस में जिंदल भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। जहां सुधीर चौधरी और समीर आहलूवालिया तिहाड़ जेल में बंद हैं और दो बार उनकी जमानत याचिका खारिज हो चुकी है वहीं मालिक सुभाष चंद्रा और उनके बेटे पुनीत गोयनका को कड़ी मशक्कत के बाद थोड़ी राहत मिल पाई है। दिल्ली की एक अदालत ने पिता-पुत्र को अंतरिम राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर 14 दिसम्बर तक रोक लगा दी है। अदालत ने सुभाष चंद्रा और जी एंटरटेनमेंट के पबंधक निदेशक गोयनका को जांच में शामिल होने और सहयोग करने का निर्देश दिया। जांच करने वाली दिल्ली पुलिस को भी अदालत ने निर्देश दिया कि वह 14 दिसम्बर को एक ताजा रिपोर्ट दायर करे। अदालत ने चंद्रा और गोयनका को निर्देश दिया कि वे पुलिस के पास अपना पासपोर्ट जमा करा दें। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राज रानी मित्रा ने कहा- मैंने बड़े ध्यान से बहस सुनी है और मेरे सामने रखे गए दस्तावेजों का अध्ययन करते हुए मामले की परिस्थितियों की संपूर्णता को ध्यान में रखते हुए इस नतीजे पर पहुंची हूं कि अभियोजन पक्ष इस बाबत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा है कि आवेदकों को हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी है या नहीं। जिस तरह से यह केस अभी तक चला है उसमें दो-तीन बातें तो उभर कर सामने आ रही हैं। पहली कि नवीन जिंदल ने पूरी तैयारी करके ही केस दर्ज कराया। उनके सबूतों की अभी तक तो जी वाले काट नहीं कर सके। न ही जी वाले अपने बचाव में कुछ ठोस सबूत अभी तक पेश कर पाए हैं। जी चैनल डिफेंसिंग मोड़ में दिखाई दे रहा है। आश्चर्य इस बात का भी है कि कोई इलेक्ट्रॉनिक चैनल, समाचार पत्र जी चैनल का पक्ष लेते नजर नहीं आ रहे हैं। सुधीर चौधरी और समीर आहलूवालिया की बेशक दो बार जमानत याचिका रद्द हो चुकी है पर उससे ऊपरी अदालतों से जमानत लेने की कोशिश क्यों नहीं की जा रही? पाप्त संकेतों से तो लगता है कि जिंदल ग्रुप से 100 करोड़ रुपए की उगाही के मामले में जी न्यूज के चेयरमैन सुभाष चंद्रा पर 286 सेकेंड भारी पड़ सकते हैं। जी न्यूज के संपादक सुधीर चौधरी और समीर आहलूवालिया की जब हयात होटल में जिंदल ग्रुप के अधिकारियों के साथ बैठक खत्म हुई तो समीर ने सुभाष चंद्रा से फोन पर लगभग पांच मिनट बात की थी। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा चंद्रा और गिरफ्तार संपादकों को आमने-सामने बैठाकर यह जानने का पयास करेगी कि इस दौरान क्या बात हुई थी? अपराध शाखा ने दावा किया है कि पुलिस के पास चंद्रा के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। पुलिस सूत्रों ने बताया कि होटल की बैठक खत्म होने के बाद हुई, यह बातचीत ही चंद्रा के खिलाफ सबूत बनती जा रही है। संपादकों की जिंदल ग्रुप के साथ तीन बैठकें हुई थीं। संपादक बैठक से पहले और बाद भी चंद्रा से बात करते थे। मोबाइल कॉल रिकॉर्ड से यह बातें स्पष्ट हुई हैं। दूसरी तरफ जी ग्रुप के जिंदल से रुपए वसूलने के लिए जो कानूनी कागजात तैयार किए थे उनमें 100 करोड़ रुपए चैक से देने की बात कही गई थी। चैक जी ग्रुप के नाम से मांगे गए थे। वसूली का लीगल पत्र जी ग्रुप के टेन स्पोर्ट्स के लॉ डिपार्ट में तैनात एडवाइजर वीरेश दहिवार ने बनाया था। अपराध शाखा ने पूछताछ के लिए उन्हें बुलाया था, लेकिन वे पेश नहीं हुए। अभी तक तो यही कहा जाएगा कि नवीन जिंदल जी ग्रुप पर भारी पड़ रहे हैं।
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