Tuesday 4 December 2012

राजा कोलंदर उर्प राम निरंजन का रौंगटे खड़े करने का केस


 Published on 4 December, 2012
 अनिल नरेन्द्र
यह कलयुग है और कलयुग में बर्बरता, कूरता और अमानवीय हरकतें बढ़ती जा रही हैं। कुछ आदमी तो कहने को मानव होते हैं पर व्यवहार में वह जानवर से भी बदतर होते हैं ऐसा ही एक केस राजा कोलंदर उर्प राम निरंजन का  प्रकाश में आया है। पत्रकार धीरेन्द्र सिंह की हत्या का राज न खुलता तो राम निरंजन उर्प राजा कोलंदर पता नहीं कितने लोगों को काटकर उनका नरमुंड अपने घर में सजाता। मगर धीरेन्द्र की हत्या के मामले में कीडगंज पुलिस पर दबाव बना तो पुलिस सक्रिय हुई और फिर मामला परत-दर-परत ऐसा खुला कि पुलिस अफसरों के भी रौंगटे खड़े हो गए। राजा कोलंदर आम या शातिर कातिल नहीं बल्कि आदमखोर निकला। राजा कोलंदर ने धीरेन्द्र की हत्या 14 दिसम्बर 2000 को की थी। उसके मन में यह बात घर गई थी कि धीरेन्द्र को उसके बारे में काफी कुछ मालूम हो चुका है। वह कभी भी अखबार में छापकर उसका खेल खत्म कर सकता है। धीरेन्द्र की हत्या की तफ्तीश करने  के लिए तत्कालीन एसओ श्री नारायण तिवारी ने धीरेन्द्र के मोबाइल से देखा कि अंतिम कॉल राजा कोलंदर की पत्नी फूलन देवी के मोबाइल पर हुई थी। पुलिस राजा कोलंदर के फार्म हाउस पहुंची तो धीरेन्द्र का मोबाइल चार्जर और बाइक बरामद हो गई। फिर पुलिस ने कोलंदर से कड़ाई से पूछताछ की तो उसने जो कुछ उगला, उससे सबकी रूह कांप गई। फार्म हाउस की सघन तलाशी ली गई तो दर्जनभर से अधिक नरमुंड मिले। धीरेन्द्र के धड़ को उसने मध्य प्रदेश की एक झील में फेंका था जबकि शेष हिस्से को फार्म हाउस में छिपाया था। धीरेन्द्र की हत्या से पूर्व कोलंदर ने जो भी हत्याएं की थीं उनमें कहीं उसके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी। राजा कोलंदर ने पुलिस को जो बयान दिया उसके मुताबिक वह नरपिशाच बन चुका था। हत्या करने के बाद वह धड़ को सिर से अलग कर देता। फिर खोपड़ी को उबालकर पी जाता। खून पीने की बात को उसने इतने सामान्य तरीके से बताया जैसे खून न हो कोई सूप हो। किसी की गाड़ी बुक कराता और जंगल में ले जाकर मार देता। फिर लाश को लेकर फार्म हाउस पर चला आता। फार्म हाउस पर इत्मीनान से धड़ को सिर से अलग करता। धड़ को जंगल में कहीं दूर फेंक आता या फिर गाड़ देता। मगर सिर को बड़ी हिफाजत से फार्म हाउस में टांग कर रखता। कई लोगों की हत्याएं उसने सिर्प इसलिए की थीं क्योंकि वे कोलंदर का सम्मान किसी राजा की तरह नहीं करते थे या उनसे उसकी शान में कोई गुस्ताखी हुई थी। नरमुंडों को उबालकर पीने के बाद कोलंदर उन्हें रंग देता था। हत्या के बाद जाति के आधार पर नरमुंड को अलग-अलग रंगों से रंगता था। कोलंदर धिनकी सीओडी में चतुर्थ श्रेणी कर्मी था। शुक्रवार को इलाहाबाद में अपर सेशन जज महताब अहमद ने कोलंदर को पत्रकार धीरेन्द्र सिंह की हत्या के मामले में दोषी पाया और उसे उम्र कैद की सजा के साथ 17-17 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। सुनवाई के दौरान जज साहब ने अभियोजन पक्ष की यह दलील खारिज कर दी कि यह हत्या रेयरेस्ट उर्प रेयर श्रेणी में आती है। ऐसे जानवर को हमारी राय में इस दुनिया में रहने का कोई हक नहीं, इसे तो सरेआम चौक पर फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए।



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