Saturday, 8 December 2012

हाथी पर सवार होकर आएगी एफडीआई


 Published on 8 December, 2012
 अनिल नरेन्द्र 
खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश के फैसले को अब राज्यसभा की मंजूरी मिल गई मगर इसके साथ ही इतिहास में यह भी दर्ज हो गया है कि किसानों, दलितों, दस्तकारों, कारीगरों, बुनकरों, मजदूरों और छोटा-छोटा धंधा करने वाले करोड़ों भारतीयों के पेट पर लात मारने  के लिए इस फैसले को लागू करवाने में उत्तर प्रदेश की दो पार्टियां बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की उल्लेखनीय भूमिका रही। जहां अनुमान के मुताबिक समाजवादी पार्टी ने लोकसभा में वोटिंग के समय वॉकआउट करके सरकार का समर्थन किया वहीं बसपा  ने राज्यसभा में सरकार के पक्ष में वोट डालकर  एफडीआई लागू करवाई। क्या श्री मुलायम सिंह और मायावती बहन भारत की जनता को बेवकूफ समझते हैं? क्या जनता इनकी चालबाजियों को समझ नहीं सकती? मुलायम सिंह ने मंगलवार को कहा था कि एफडीआई देश हित के खिलाफ है। एफडीआई के आने से करोड़ों किसानों और छोटे तथा फुटकर व्यापारियों का रोजगार छिन जाएगा मगर जब प्रस्ताव पर मतदान की बारी आती है तो वह सदन से बाहर चले जाते हैं। मायावती की पार्टी के दारा सिंह ने मंगलवार को कहा था कि एफडीआई देश को दूसरी बार गुलामी की ओर ले जाएगी। मायावती ने विरोध में महारैली की थी। मगर रातोंरात अपना स्टैंड बदलकर अब बहन मायावती की पार्टी ने तो इस प्रस्ताव को धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिकता से ही जोड़ दिया। अगर वाकई ऐसा है तो भाजपा के इस प्रस्ताव के पक्ष में माकपा सहित अन्य वाम दलों ने कैसे वोट दिया? राज्यसभा में जब मायावती के भाषण का नम्बर आया तो उन्होंने बहस का रुख एफडीआई की बजाय भाजपा की ओर ही मोड़ दिया। बसपा के सीबीआई के दबाव में आने के सुषमा स्वराज के लोकसभा में दिए बयान पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा, `भाजपा इसलिए ऐसे आरोप लगा रही है क्योंकि अंगूर खट्टे हैं और उसकी योजना विफल हो गई। यह भाजपा ही है जिसने मुझे ताज कारिडोर और आय से अधिक सम्पत्ति मामले में सीबीआई के चंगुल में फंसाने की कोशिश की। मेरी पार्टी भाजपा को कोई मौका न देते हुए एफडीआई पर सरकार के पक्ष में मतदान करेगी।' अब सुनिए समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल राज्यसभा में क्या कहते हैं? `सरकार के पास अब भी वक्त है। सरकार इस फैसले को वापस ले। एफडीआई दस्ते कातिल हैं, किसानों को मार डालेंगे। जब सरकार राजनीति के बिचौलियों को समाप्त नहीं कर पाई तो रिटेल एफडीआई में कैसे करेगी? 20 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए तो देश का क्या होगा? व्यापारियों के हित में इस काले कानून को वापस लिया जाए। हम वाम दलों की तारीफ करना चाहेंगे जिन्होंने सारे तानों के बावजूद अपना स्टैंड नहीं बदला। राज्यसभा में माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि इससे देश के लोगों या अर्थव्यवस्था को थोड़ा भी लाभ पहुंचता होता तो हम इसका समर्थन करते, लेकिन ऐसा नहीं है। हमने अमेरिका के साथ परमाणु समझौते के दौरान भी यही तर्प सुने थे कि इससे लाखों घरों में बिजली पहुंचेगी, लेकिन हकीकत में हमने पिछली गर्मी में अब तक का सबसे गंभीर बिजली संकट झेला। आप कहते हैं रोजगार बढ़ेगा। इसमें कितनी सच्चाई है? जिस अमेरिका की आप नकल करना चाहते हैं वहां क्या हुआ? अमेरिकी संसदीय समिति की रिपोर्ट कहती है कि वॉलमार्ट ने छोटे दुकानदारों और श्रमिकों के लिए ताबूत की आखिरी कील का काम किया है। आप कहते हैं कि खुदरा कारोबार में एफडीआई आने से किसानों को फायदा मिलेगा, लेकिन चाहे घाना के किसान हों या लैटिन अमेरिका के, इससे किसी को फायदा नहीं हुआ। इस नीति से किसानों से लेकर उपभोक्ताओं तक के हितों का नुकसान ही होगा। हमारा मानना है कि एफडीआई लाने का यह फैसला देश को नुकसान पहुंचाने वाला है। हम अब भी सरकार से अनुरोध करते हैं कि इसे लागू न करे, इस पर पुनर्विचार करे। यह हमारे देश के हित में नहीं।

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