Tuesday 25 December 2012

क्या 2014 लोकसभा चुनाव मोदी बनाम राहुल होगा?


 Published on 25 December, 2012
 अनिल नरेन्द्र
क्या 2014 का लोकसभा चुनाव नरेन्द्र मोदी बनाम राहुल गांधी होगा? यह दावे से तो नहीं कहा जा सकता पर लग तो ऐसा ही रहा है। सब तरह के प्रयास करने के बाद भी गुजरात में नरेन्द्र मोदी को तीसरी बार जीत पर कांग्रेस भले ही कुछ कहे या न कहे लेकिन चुनावी नतीजों ने तो कांग्रेस नेतृत्व के सामने एक नई चुनौती की जमीन तैयार कर दी है। कांग्रेस ने गुजरात में मोदी बनाम राहुल लड़ाई के बचने की जो रणनीति बनाई थी वह काफी हद तक सफल भी रही। नरेन्द्र मोदी ने प्रयास किए कि कांग्रेस गुजरात चुनाव को मोदी बनाम राहुल बनाएं पर वह सफल नहीं हो सके। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति सुधरने के बाद बीते वर्षों में उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब, उत्तराखंड के चुनावों में कांग्रेस के प्रचार अभियान  की कमान राहुल गांधी के हाथ में थी। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और पंजाब में पार्टी वैसा कुछ नहीं कर सकी, जैसी उसे उम्मीद थी। राहुल क्राउड पुलर तो साबित हुए पर वोट पुलर नहीं हो पाए। इसमें इन राज्यों में कांग्रेस का संगठन, गुटबाजी, टिकटों के बंटवारे में गड़बड़ यह भी अन्य कारण रहे पर कांग्रेस को जो उम्मीद थी कि राहुल का करिश्मा इन सब कमियों को ढंक देगा वह सफल नहीं हो पाया। इस ट्रैक रिकार्ड के बावजूद कांग्रेस अगला लोकसभा चुनाव राहुल की अगुवाई में लड़ने के लिए उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपने का खाका तैयार कर चुकी है। राहुल के सबसे बड़े वफादार दिग्विजय सिंह ने तो कहना भी शुरू कर दिया है कि कांग्रेस 2014 का चुनाव उनके नेतृत्व में  लड़ेगी और राहुल कांग्रेस के भावी प्रधानमंत्री हैं। पार्टी के कई अन्य नेता व केंद्रीय मंत्री, मनमोहन सिंह के रहते ही 2014 चुनाव के बाद राहुल को प्रधानमंत्री बनाने का नारा अभी से लगा रहे हैं। रही बात खुद के बूते तीसरी बार चुनाव जीतकर गुजरात में भगवा फहराने वाले नरेन्द्र मोदी को अपनी मां के आशीर्वाद के अलावा भाजपा के बड़े नेताओं के एक हिस्से ने उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया है। नरेन्द्र मोदी को सबसे ज्यादा दिक्कत राजग घटक दलों से होगी। समस्या ले-देकर राजग के जद (यू) जैसे घटकों की है। नीतीश फिलहाल तो मोदी की जीत पर चुप्पी साधे हुए हैं पर उनके सिपहसालार यह कहने से कतराते नहीं कि प्रधानमंत्री पद का फैसला चुनाव से पहले ही हो जाए। भाजपा, फिलहाल इससे बच रही है, लेकिन रास्ता निकालने में लगता है जुट गई है। यह सम्भव है कि भाजपा नेतृत्व अभी तो कई राज्यों में होने वाले चुनावों में मोदी को स्टार प्रचारक बनाए। पूरे देश में घूमने से पता चलेगा कि मोदी गुजरात के बाहर कितने लोकप्रिय हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि भाजपा के पास मोदी को राहुल का मुकाबला करने के लिए और भी उपाय हैं, लेकिन उन पर अंतिम फैसला होना बाकी है। इस समय दिल्ली में युवाओं का आक्रोश सातवें आसमान पर है। राहुल तो युवाओं के सामने आने की हिम्मत नहीं जुटा पाए अगर नरेन्द्र मोदी यह साहस करें और छात्रों को दिल्ली आकर सम्बोधित करें तो उनकी लोकप्रियता भी बढ़ेगी और भाजपा का भी इस बहाने थोड़ा भला हो जाएगा।

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