Published on 9 December, 2012
अनिल नरेन्द्र
बेशक मनमोहन सिंह सरकार ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की मदद से दोनों सदनों में एफडीआई पर बहुमत का आंकड़ा जुटा लिया हो पर इसकी सरकार और कांग्रेस को भविष्य में कीमत चुकानी पड़ सकती है। देखना यह भी होगा कि उत्तर प्रदेश की राजनीति पर ताजा समीकरण का क्या असर पड़ता है। बहन जी ने जहां 10 साल पुरानी बात सार्वजनिक करके यह साबित करने की कोशिश की हो कि कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों में से कोई कम नहीं, वहीं माया ने धुर विरोधी मुलायम सिंह को भी करारा झटका देने का प्रयास किया। उत्तर प्रदेश की सत्ता से माया को बेदखल करने वाले मुलायम सिंह लगातार कोशिश कर रहे हैं कि लोकसभा चुनाव जल्द हो जाएं। विधानसभा चुनावों में जो बहुमत एसपी को मिला था वह लोकसभा में भी मिले। ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर वह दिल्ली पर राज करें। इसके लिए उन्होंने तैयारी भी कर ली है। यह सभी जानते हैं कि विधानसभा चुनावों के समय जो माहौल एसपी के पक्ष में बना था, वह घट रहा है। जो फायदा सपा को अभी मिल सकता है वह शायद 2014 में न मिले। माया के सरकार के साथ खड़े होने से एसपी को अपनी रणनीति में परिवर्तन करना पड़ सकता है। सभी जानते हैं कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। उन्होंने संप्रग सरकार की मदद तो की पर अब वह इसकी कीमत मांग रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक सपा ने समर्थन के बदले कांग्रेस पर भारी दबाव बनाया है कि वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी से आय से अधिक सम्पत्ति वाले केस में उनसे याचिका वापस कराएं। बताया जाता है कि इस दबाव के चलते कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोती लाल वोरा ने वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी को बुलाकर सारी बात बताई और मुलायम, अखिलेश, डिम्पल व प्रतीक के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका वापस लेने को कहा। सूत्रों के अनुसार चतुर्वेदी ने कहा कि केटीएस तुलसी को इस मामले में वकील रखा गया है। आपको पता ही है कि वह प्रति सुनवाई काफी रुपए लेते हैं। अभी तक जितनी सुनवाई हो चुकी है वह भी जानते हैं। कई सालों से इस मुकदमे पर फैसला पैंडिंग चल रहा है। चतुर्वेदी ने यह भी कहा कि इस केस से कुपित मुलायम सिंह व उनकी सरकार ने हम पर, हमारे परिवार पर कितना घोर जुर्म किया, आप इस बारे में भी जानते हैं। मुझे तो लगभग उजाड़ ही दिया है। मुझ पर 7 केस किए हैं। ऐसी हालत में जब मेरी जान को खतरा है आप मुझसे केस वापस लेने को कह रहे हैं? मालूम हो कि विश्वनाथ चतुर्वेदी ने सर्वोच्च न्यायालय में रिट पटीशन (सिविल) नम्बर 633 दायर की जिस पर अदालत ने 1.3.2007 को सीबीआई को जांच के आदेश दिए। इस आदेश के आधार पर सीबीआई ने मुलायम सिंह यादव, उनके बेटे अखिलेश यादव, अखिलेश की पत्नी डिम्पल यादव, मुलायम की दूसरी पत्नी के पुत्र प्रतीक व अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ 5.3.2007 को आय से अधिक सम्पत्ति का केस (प्रारम्भिक जांच नम्बर 2/ए/2007 सीबीआई/एसीयू, आईबी/नई दिल्ली दर्ज किया। इस केस के स्टेटस रिपोर्ट के पेज 10 के क्रमांक 26 पर लिखा हैöऑन द बेसिस ऑफ रिजल्ट ऑफ एफोस सेड इन्क्वाइरी, रजिस्ट्रेशन ऑफ ए रेगुलर केस अंडर सैक्शन 13(2) आर-1 डब्ल्यू-13(1)(ई) ऑफ पीसी एक्ट, 1988 अगेंस्ट मुलायम सिंह यादव एण्ड सैक्शन 109 आईपीसीआर-1 डब्ल्यू-13(2) आरडब्ल्यू 13(1)(ई) ऑफ पीसी एक्ट, 1988 अगेंस्ट अखिलेश यादव एवं अदर्स इज वारेंटेड। यहां देखने वाली बात यह भी होगी कि इतनी एडवांस स्टेज पर क्या विश्वनाथ चतुर्वेदी मुकदमा वापस ले भी सकते हैं या नहीं? क्या सर्वोच्च अदालत अब उन्हें ऐसा करने की इजाजत भी देगी? सदन में जिस तरह से सपा और बसपा ने सरकार का समर्थन किया है उसका प्रदेश में भाजपा को फायदा हो सकता है। दोनों ने भाजपा को एक मुद्दा थमा दिया है। भाजपा प्रदेश में यह साबित करने की कोशिश करेगी कि कांग्रेस, सपा और बसपा अन्दरखाते आपस में मिले हुए हैं।
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