Tuesday, 18 December 2012

हिन्दू तीर्थ स्थलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published From Delhi

 Published on 18 December, 2012
 अनिल नरेन्द्र
 हम सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया करना चाहते हैं कि उन्होंने हिन्दू धर्म स्थलों की दुर्दशा पर संज्ञान लिया। सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ ने जम्मू-कश्मीर सरकार से कहा है कि पंचतरणी से अमरनाथ की पवित्र गुफा तक सीमेंट की पूर्व गढ़ी हुई टाइल बिछाई जाए ताकि रास्ते में तीर्थ यात्री फिसले नहीं। खंडपीठ ने यह भी कहा कि तीर्थ यात्रियों को पहाड़ों से नीचे गिरने से बचाने के लिए लोहे की चेन या खम्भे लगाए जाएं। न्यायाधीशों ने कहा कि आपको ऐसा कुछ करना होगा जिससे लोग फिसले नहीं। पंचतरणी से गुफा तक के रास्ते को सुरक्षित किया जाए। अमरनाथ यात्रा के दौरान सुविधाओं के अभाव में तीर्थ यात्रियों की मृत्यु की खबरों का न्यायालय ने स्वत ही संज्ञान लिया। इस साल अमरनाथ यात्रा पर करीब 621145 तीर्थ यात्री गए थे। इस दौरान 93 तीर्थ यात्रियों की मृत्यु हो गई थी। अमरनाथ बाबा की यात्रा में दोहरा जोखिम होता है। आतंकवादी हमले का खतरा और मौसमी मार का। इस पर अगर बेसिक सुविधाओं का भी अभाव हो तो यह दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा। हर साल अमरनाथ यात्रा के दौरान कई लोगों के मारे जाने की खबरें आती रहती हैं। हालांकि सुरक्षा आदि के मद्देनजर इस यात्रा में शामिल होने वालों का पहले ही पंजीकरण कर लिया जाता है। फिर चरणबद्ध तरीके से जत्थे रवाना किए जाते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर सरकार और अमरनाथ श्राइन बोर्ड पूरे रास्ते में खाने-पीने, ठहरने, चिकित्सा आदि की व्यवस्था तो करता है पर फिर भी हर साल कुछ दुखद घटनाएं हो जाती हैं बल्कि हर साल मरने वालों की संख्या कुछ बढ़ जाती है। अब अमरनाथ यात्रा पर जाने से पहले निर्धारित अस्पताल से स्वास्थ्य प्रमाण पत्र लेना आवश्यक होगा। सर्वोच्च न्यायालय ने इसके लिए उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ और हिमाचल सरकारों से मदद मुहैया कराने को कहा है। ये राज्य अमरनाथ यात्रा के दौरान अपने डाक्टर भेजेंगे और यात्रियों को प्रमाण पत्र मुहैया कराने के लिए अस्पताल चिन्हित करेंगे। इस व्यवस्था से अमरनाथ यात्रा के दौरान होने वाले हादसों पर लगाम लगने की उम्मीद बनी है। दरअसल यह यात्रा कठिन और दुर्गम रास्तों से गुजरती है। ऐसे में बर्फीली आंधी, तेज बारिश या किसी अफरातफरी की अवस्था में लोगों के फिसलकर गहरी खाई में गिरकर दम तोड़ देने की घटना आम है। मैं अक्सर धार्मिक यात्राओं पर जाता हूं। माता वैष्णो देवी में प्रबंध अच्छा है। दौसा में महंदीपुर के बालाजी मंदिर में मंदिर के सामने सड़क वर्षों से सही से नहीं बन सकी। बारिशों में यहां घुटने तक पानी भर जाता है। मैंने मुख्यमंत्री से लेकर दोनों संबंधित सांसदों से भी सम्पर्प किया पर आज तक यह सड़क ठीक नहीं हो सकी। दो वर्ष पहले मैं गंगोत्री गया था। वहां न तो बिजली का सही प्रबंध था और न ही पानी का। कड़ाके की ठंड में हमें लालटेन थमा दी गई। आज तक वहां जेनेरेटर तक का प्रबंध नहीं हो सका। तीन महीने पहले मैं केदारनाथ यात्रा पर गया था। हालांकि यह रास्ता कठिन और जोखिमभरा है पर यहां रास्ते में सुविधाएं ठीक-ठाक ही हैं। पहाड़ों में एक मुश्किल यह जरूर है कि इतनी बारिश, बर्प पड़ती है कि कोई स्थायी स्ट्रक्चर बनाना मुश्किल हो जाता है पर इसका मतलब यह नहीं कि हम प्रयास ही नहीं करें।

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