Sunday 16 December 2012

मुलायम व अखिलेश को दिया सुप्रीम कोर्ट ने तगड़ा झटका


 Published on 16 December, 2012
 अनिल नरेन्द्र
समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश व प्रतीक यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। आय से अधिक सम्पत्ति मामले में मुलायम, अखिलेश व प्रतीक यादव के खिलाफ सीबीआई जांच जारी रखने के लिए शीर्ष अदालत ने हरी झंडी दे दी है। हालांकि मुलायम की बहू व अखिलेश की पत्नी डिम्पल यादव के खिलाफ जांच समाप्त करने का आदेश दिया है। यह फैसला मुलायम और अखिलेश के लिए राजनीतिक दृष्टि से असहज स्थिति जरूर पैदा करेगा और केंद्र सरकार के साथ उनके रिश्तों के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा। केंद्र सरकार ने हाल ही में मुलायम की मदद से रिटेल में एफडीआई को संसद में पास कराया है। पिछले पांच-सात साल से सीबीआई के रुख के कारण कभी तेज तो कभी धीमे चलते रहे मुलायम के इस केस पर गुरुवार को न सिर्प फैसला ही आया बल्कि सीबीआई को इस मामले में केंद्र सरकार के दखल से भी मुक्त कर दिया गया है। मुख्य न्यायाधीश अल्तमश कबीर व न्यायमूर्ति एचएल दत्तू ने गुरुवार को मुलायम सिंह की याचिका को ठुकराते हुए मुलायम, अखिलेश और प्रतीक यादव के खिलाफ सीबीआई की प्रारम्भिक जांच के फैसले को बरकरार रखा है। पीठ ने कहा है कि सीबीआई अपनी प्रारम्भिक जांच उसे सौंपेगी, केंद्र सरकार को नहीं। इस फैसले ने सूबे की सियासत को खासी हवा दे दी है। एक ओर जहां इसे अब सियासी चश्मे से देखते हुए सीबीआई के अब तक हुए इस्तेमाल के मद्देनजर समाजवादी पार्टी द्वारा कांग्रेस को समर्थन दिए जाने की नई मजबूरी माना जा रहा है, वहीं उत्तर प्रदेश में  बहुमत की सरकार बनाने के बाद दिल्ली की गद्दी पर राज करने के सपने देखने वाले मुलायम सिंह यादव की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। यह भी तय हो गया है कि भ्रष्टाचार के सवाल पर चारों ओर से घिरी कांग्रेस को सपा की ओर से तीर और ताने नहीं सहन होंगे। भाजपा ने तो अखिलेश यादव से इस्तीफा मांगते हुए डिम्पल यादव को मुख्यमंत्री बनाने का सुझाव तक दे डाला है। बसपा ने जिस तरह आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में अपनी सुप्रीमो को मिली क्लीन चिट का जश्न मनाया था। उससे यह तो साफ है कि वह अब सपा को इस मुद्दे पर छोड़ने वाली नहीं है। एक ओर जहां सपा के दोनों बड़े चेहरे आरोपों की जद में लाकर खड़े किए गए हैं उनसे उभरने का प्रयास सपा को जल्द करना होगा वहीं प्रोन्नति में आरक्षण के सवाल पर अचानक 18 लाख कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से उपजी स्थिति से निपटने के लिए भी अखिलेश यादव को जद्दोजहद करनी होगी। अदालती फैसले के चलते समाजवादी पार्टी के अश्वमेध के घोड़े को लगाम लगाने की कोशिश में कांग्रेस पार्टी कामयाब होती हुई दिखती है। यही नहीं, एक ऐसे समय जब मायावती के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति केस में क्लीन चिट मिल गई हो। यह बात दीगर है कि कांग्रेस कुछ भी बोलने से बचेगी। क्योंकि उसे राज्यसभा में मुलायम और मायावती दोनों की मदद की दरकार है। सपा के अन्दर भी अखिलेश सरकार की भूमिका पर संदेह जताया जा रहा है। नाराजगी भी है क्योंकि सरकार अपने कामकाज को सुचारु रूप से चलाने में अब तक तो असफल साबित हुई है। देखना है, इस ताजे झटके से मुलायम और अखिलेश कैसे उभर पाते हैं?




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