Sunday 30 December 2012

महिलाओं के प्रति असंवेदनशील होता राजनीतिक वर्ग


 Published on 30 December, 2012
 अनिल नरेन्द्र
महिलाओं के खिलाफ अनर्गल टिप्पणियां करना राजनेताओं की आदत-सी बन  गई है। आए दिन यह नेतागण कुछ न कुछ बकवास करने से बाज नहीं आते। इस लम्बी श्रृंखला में ताजा नाम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे व कांग्रेस सांसद अभिजीत मुखर्जी का जुड़ गया है। उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय की जब समूचा देश दिल्ली में एक दुष्कर्म की नृशंस घटना के खिलाफ आक्रोश से भरा हुआ है। सुनिए अभिजीत साहब क्या कहते हैं, `दिल्ली में गैंगरेप के विरोध में प्रदर्शन कर रहीं महिलाएं मेकअप से रंगी-पुती होती हैं। वे पहले कैंडल मार्च निकालती हैं और रात में डिस्कोथेक पहुंच जाती हैं। वे कहीं से भी छात्राएं नजर नहीं आतीं।' हालांकि अभिजीत की बहन शर्मिष्ठा ने उनके बयान के लिए माफी मांग ली और खुद अभिजीत ने भी टिप्पणी के लिए खेद जताया पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी और पूरे देश में इसके खिलाफ आवाजें उठने लगीं। महिला संगठनों ने उनकी टिप्पणी पर कड़ा ऐतराज जताया। अभिजीत ने एक टीवी चैनल पर कहा ः दिल्ली में जो हो रहा है, वह मिस्र या दूसरी जगहों पर हुईं घटनाओं की तरह है, जिसे अरब बसंत कहा गया। लेकिन भारत की जमीनी वास्तविकताएं कुछ और हैं। कैंडल मार्च और डिस्को में जाना एक साथ चलता रहता है। हमने भी छात्र जीवन में ऐसा किया है। लेकिन फिलहाल तो डेंटेड-पेंटेड महिलाएं टीवी इंटरव्यू देती हैं और अपने बच्चों को भी दिखाने के लिए साथ लाती हैं। मुझे संदेह है कि ये छात्र होंगी क्योंकि इस उम्र की महिलाएं पढ़ने नहीं जातीं। इस पर माकपा नेता वृंदा करात ने फौरन कहा कि ऐसे बयान देने वाले सांसदों और विधायकों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इससे उनकी बीमार और विकृत मानसिकता का पता चलता है। शाहनवाज हुसैन और स्मृति ईरानी ने कहा कि बयान देने से पहले क्यों नहीं सोचा-समझा जाता? इस तरह के बयान देने की कोई हिम्मत कैसे कर सकता है? राष्ट्रपति की बेटी और अभिजीत की बहन शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि मैं बहुत हैरान हूंöएक बहन होने के नाते सारी महिलाओं से शर्मिंदगी महसूस कर रही हूं। इतना तय है कि वे इससे कतई सहमत नहीं हो सकते। हमारा परिवार ऐसा नहीं है। वैसे राजनीतिक वर्ग में महिलाओं के प्रति असंवेदनशील बयानों का सिलसिला भी नया नहीं है। नरेन्द्र मोदी, श्रीप्रकाश  जायसवाल, संजय निरूपम, मुलायम सिंह यादव, ऐसे बयान देने वालों की फेहरिस्त काफी लम्बी है। मोदी ने तो मानव संसाधन राज्यमंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनन्दा को 50 करोड़ की गर्लफ्रेंड कह दिया था। हाल में कांग्रेस सांसद संजय निरूपम ने एक टीवी बहस में भाजपा नेता स्मृति ईरानी को कह दियाöकल तक टीवी पर ठुमके लगाती थीं, आज चुनाव विश्लेषक बन गई हैं। महिला आरक्षण बिल का विरोध करते हुए सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने एक जनसभा में कहाöबड़े-बड़े घरों की लड़कियां और महिलाएं केवल ऊपर जा सकती हैं... याद रखना आपको मौका नहीं मिलेगा। हमारे गांव की महिला का आकर्षण इतना नहीं है। कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कानपुर की एक सभा में कहाöपुरानी जीत पुरानी पत्नी की तरह है, जो समय बीतने के साथ-साथ अपना आकर्षण खो बैठती है। तो क्या राजनतीकि वर्ग महिलाओं के प्रति लगातार असंवेदनशील होता जा रहा है या फिर वह अपना असली रंग दिखा रहा है।







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