Sunday, 2 December 2012

हरदीप चड्ढा की हत्या की गुत्थी सुलझाने का दावा


 Published on 2 December, 2012
 अनिल नरेन्द्र
 चड्ढा बंधु हत्याकांड में पहले दिन से जारी तमाम शंकाओं और अटकलों से धीरे-धीरे पर्दा हटने लगा है। हमने तो पहले दिन से ही कहा था कि इस हत्याकांड का सेंट्रल फिगर सुखदेव सिंह नामधारी है और इसी के इर्द-गिर्द सारा घटनाक्रम घूम रहा है। अब चड्ढा हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने में लगी दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सुखदेव सिंह को मुख्य आरोपी बनाकर उस पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस के अनुसार नामधारी ने ही पूरे षड्यंत्र के तहत छोटे भाई हरदीप चड्ढा की हत्या की थी। बृहस्पतिवार को नामधारी को पांच दिनों की पुलिस हिरासत से लाकर मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गौरव की अदालत में पेश किया गया। अदालत में नामधारी को पेश करते हुए अभियोजन पक्ष की तरफ से आरोप लगाया गया कि नामधारी ही इस मामले में हरदीप पर गोली चलाने के लिए जिम्मेदार है, जिसके चलते उसकी मौत हुई है। जिरह में कहा गया कि सुखदेव सिंह ने ही हरदीप पर अपनी पिस्टल से गोली चलाई और यह बात उसने अपने पुलिस को दिए बयान में कही है। यह भी बताया गया कि नामधारी पोंटी चड्ढा का फ्रंट मैन है और फार्म हाउस में गुंडागर्दी, लूटपाट, हत्या व हत्या के प्रयास के मामले में आरोपी है। इस पर नामधारी के वकील ने जिरह में कहा कि उनके मुवक्किल पर लगे आरोप गलत हैं। उनकी दलील थी कि नामधारी ने ही एफआईआर दर्ज कराई थी, उसी ने पोंटी को अस्पताल पहुंचाया जहां पोंटी को मृत घोषित कर दिया गया। नामधारी के वकील ने कहा कि नामधारी सिर्प पोंटी के साथ उसके फार्म हाउस में जा रहा था जहां पर पोंटी के भाई हरदीप ने उनके ऊपर खुले तौर पर फायरिंग शुरू कर दी जिसके बाद अपनी जान बचाने के चलते पोंटी के पीएसओ ने हरदीप पर गोली चला दी। अभी तक इस मामले में पोंटी के चार लोगों को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। यह लोग पोंटी के एक अन्य फार्म हाउस जो कि विजवासन में है, के केयरटेकर बताए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार हरदीप को लगी दो गोलियों में एक नामधारी की .30 बोर की पिस्टल की, जबकि दूसरी उसके सरकारी पीएसओ सचिन त्यागी की 9 एमएम की सरकारी कार्बाइन से निकली थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार 17 नवम्बर को छतरपुर फार्म हाउस संख्या 42 पर हुए हत्याकांड के चश्मदीद व खुद फायरिंग में शामिल सचिन त्यागी सरकारी गवाह बन चुका है। उसकी गवाही इस मामले में महत्वपूर्ण साबित होगी। इसके अलावा वारदात स्थल के समीप मौजूद पंजाब पुलिस के तीन जवानों के साथ पोंटी की कार का चालक और सिक्यूरिटी मैनेजर नरेन्द्र सिंह अहलावत केस की मजबूत कड़ी साबित हो सकते हैं। मामले की शुरुआती जांच करने वाली दक्षिण जिला पुलिस तथा अब मामले को देख रही क्राइम ब्रांच दोनों की जांच लगभग एक एंगल पर है। पहले दिन से ही नामधारी की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही थी। यही वजह है कि पोंटी हत्याकांड मामले में एफआईआर कराने महरौली थाने पहुंचे नामधारी के स्थानीय पुलिस ने उसी दिन गन पाउडर का पता लगाने वाले कैमिकल से हैंडवाश करा लिए थे, जिसकी रिपोर्ट आने पर पता चला कि नामधारी ने भी फायरिंग की थी। अधिकारी की मानें तो हाथ में गन पाउडर की बात सामने आने के बाद ही नामधारी को उत्तराखंड में बाजपुर स्थित उसके आवास से 23 नवम्बर को गिरफ्तार किया गया था। सूत्रों के अनुसार जो .30 बोर की पिस्टल नामधारी के बाजपुर स्थित फार्म हाउस से बरामद हुई, उसे रामपुर में शस्त्र रिपेयरिंग करने वाले जहांगीर के पास ले जाया गया था। नामधारी ने पिस्टल में तब्दीलियां कराने का प्रयास किया ताकि यह न साबित हो सके कि हरदीप को जो गोली लगी थी वह इसी पिस्टल से चली थी। चलो एक मिनट के लिए हम मान लें कि पुलिस ने हरदीप की हत्या की गुत्थी तो कुछ हद तक सुलझा ली है पर पोंटी पर किसने गोली चलाई और सबसे महत्वपूर्ण सवाल वहीं का वहीं है गोली क्यों चलाई? अधिकारियों के अनुसार प्रारम्भिक जांच में हरदीप द्वारा पोंटी पर गोली चलाने की बात आई है लेकिन हरदीप पर की गई गोलीबारी के दौरान कहीं पोंटी को भी नामधारी की गोली तो नहीं लगी थी? इस पर बैलेस्टिक जांच रिपोर्ट आने से पहले कोई टिप्पणी करना या किसी नतीजे पर पहुंचना उचित नहीं होगा। बैलेस्टिक रिपोर्ट से ही पता लगेगा कि पोंटी के शरीर में लगी गोलियां एक ही हथियार से चली थीं या उन्हें किसी दूसरे हथियार से चली गोली/गोलियां भी लगीं?

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