Thursday, 31 January 2013

सारे गिले-शिकवे दूर हो गए फिर भारत-पाक भाई-भाई?


 Published on 31 January, 2013
 अनिल नरेन्द्र
बात कड़वी है पर है कटु सत्य। यूपीए की इस सरकार में न तो इच्छाशक्ति नजर आती है और न ही यह किसी भी मुद्दे पर मजबूती से खड़ी हो सकती है। आज इस शासन का न तो देश के अन्दर किसी को कोई भय है और न ही देश के बाहर। पड़ोसी पाकिस्तान इस सत्य को समझ गया है। वह जानता है कि भारत एक सॉफ्ट स्टेट बन चुका है और हम जो चाहें, जब चाहें कर लें कोई पूछने वाला नहीं, कोई जवाबतलबी करने वाला नहीं। आज तक न लांस नायक हेमराज का कटा सिर ही हमें मिला, न चमेल सिंह की जेल में पीट-पीट कर हत्या का संतोषजनक जवाब मिला और न कभी मिलेगा।  पाकिस्तान हर बात से इंकार कर देता है और हम दो-तीन दिन शोर मचाते हैं और फिर शांत होकर भाईचारे की बातें करना शुरू कर देते हैं। ताजा खबर है कि भारत-पाकिस्तान में सब मतभेद दूर हो गए हैं और फिर से अमन की आशा वापस ट्रैक पर आ गई है। जम्मू-कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित करने वाली नियंत्रण रेखा के आर-पार आवागमन सोमवार को फिर से बहाल हो गया। वहीं व्यापार मंगलवार से शुरू हो गया। सबसे पहले 80 यात्रियों को लेकर भारत के उस पुंछ इलाके से जहां लांस नायक हेमराज का सिर काटा गया था ठीक वहीं से तीन बसें पाकिस्तान के रावल कोट के लिए रवाना हुईं। तनाव बढ़ने से करीब 100 लोग बस सेवा बन्द होने से फंस गए थे। आठ जनवरी से यह रास्ता बन्द था। पाकिस्तान की कथनी और करनी का एक और ताजा उदाहरण सामने आया है। वर्ष 1999 में पाकिस्तान के तत्कालीन सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ की ओर से कारगिल में मुजाहिद्दीनों के वेश में पाकिस्तानी सैनिकों की मूर्खतापूर्ण व दुस्साहसिक हरकत और उसे छुपाने का पर्दाफाश उस समय के आईएसआई की एनालिसिस विंग के प्रमुख शाहिद अजीज ने कुछ नए तथ्यों के साथ एक लेख में किया है। पाकिस्तानी अखबार `द नेशन' में `पुटिंग अवर चिल्ड्रन इन लाइन ऑफ फायर' शीर्षक से छह जनवरी को छपे अजीज के लेख ने पाकिस्तान में हलचल पैदा कर दी है। पाक सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल अजीज ने कहा है कि कारगिल युद्ध में पाकिस्तान की तरफ से मुजाहिद्दीन नहीं बल्कि पाक सेना के जवान लड़े थे। अब तक पाकिस्तान यह कहता रहा है कि कारगिल में हमला करने वाले आतंकवादी थे। लेख में शाहिद अजीज ने कहा है कि कारगिल में हमला झूठे अनुमानों पर आधारित एक बेकार योजना थी। बाद में जनरल मुशर्रफ ने इस पूरे मामले को दबा दिया और पाकिस्तानी जवानों को चारे की तरह इस्तेमाल किया गया। अजीज ने लिखा कि कारगिल की लड़ाई में कोई मुजाहिद्दीन नहीं था। सिर्प वायरलेस पर मुजाहिद्दीन के नाम को लेकर झूठे संदेश भेजे जा रहे थे। इससे किसी को बेवकूफ नहीं  बनाया जा सका। हमारे सैनिकों को हथियार और गोला-बारूद के साथ खंदकों में बिठाया गया था। पाकिस्तानी जवानों को कहा गया था कि भारत हमले का जवाब नहीं देगा, लेकिन भारत ने जब जवाबी हमला किया तो न सिर्प पाक जवान अलग-थलग पड़ गए बल्कि उनकी चौकियों से भी सम्पर्प कट गया। उस समय एनडीए का शासन था जिसने सेना को खुली छूट दे दी थी कि आप जवाबी कार्रवाई करें। इस सरकार में इतना दम नहीं है?

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