Published on 17 January, 2013
अनिल नरेन्द्र
दरअसल हम तो इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि पाकिस्तान भारत
के साथ एलओसी पर बढ़ रहे तनाव को कम करने में दिलचस्पी रखता ही नहीं। उसका कोई बड़ा
गेम प्लान है जिसका मेंढर सेक्टर में दो भारतीय जवानों का सिर काटने की घटना एक हिस्सा
है। अगर ऐसा न होता तो नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने के लिए मुश्किल से हुई फ्लैग
मीटिंग से ठीक एक दिन पहले युद्ध विराम का फिर से उल्लंघन न करता। यही नहीं भारत ने
पाकिस्तान पर ताजा इल्जाम लगाया है कि दोनों देशों के बीच ब्रिगेडियर स्तर पर हुई फ्लैग
मीटिंग के बाद से अब तक वह पांच दफा संघर्ष विराम का उल्लंघन कर चुका है। लिहाजा सोमवार
को फ्लैग मीटिंग का जो नतीजा निकलना था वही निकला। यानी कुछ भी नहीं निकला। कोई 25
मिनट तक चली बैठक में दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात करते रहे पर इस बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल
ने पाकिस्तानियों को बख्शा नहीं, उनकी लल्लो चप्पो नहीं की। भारतीय सेना की ओर से बात कर रहे ब्रिगेडियर एमएम सुचित्रा ने पाकिस्तान से सीधा
पूछा कि क्या बार्डर पर पाक सेना की बजाए कोई और निगरानी कर रहा है? भारतीय ब्रिगेडियर
के इस प्रश्न को सुनकर पाकिस्तानी अफसर बगलें झांकने लगे। ब्रिगेडियर सुचित्रा ने यह
सवाल मेंढर घटना में पाक सेना द्वारा अपने आपको निर्दोष बताए जाने पर पूछा था। भारतीय
सैनिक अधिकारियों ने इस मामले पर अपना कड़ा विरोध दर्ज करते हुए ऐलानिया तौर पर कहा
कि सैनिकों के सिर काटने जैसी किसी भी बर्बर कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने पाकिस्तान को सीधी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि
उसकी करतूत माफी लायक नहीं है। अगर भविष्य में ऐसी कोई कारगुजारी सामने आई तो भारत
सिर्प जवाबी कार्रवाई ही नहीं करेगा बल्कि आक्रामक रुख अपनाएगा। पाकिस्तानी सेना सीमा
पर बर्बरता करतूत में अकसर आतंकवादियों का इस्तेमाल करती है। जनरल बिक्रम सिंह ने सोमवार
को साफ किया कि भारतीय सेना पाक की हरकतों व करतूतों को अच्छी तरह से समझती है और सकारात्मक
कार्रवाई की नीति में इस पहलू को भी शामिल किया जाता है। जनरल सिंह ने कहा कि पाक अधिकृत
कश्मीर (पीओके) में आतंकवादियों के कैम्प पूरी तरह बरकरार हैं और लश्कर प्रमुख हाफिज
सईद की मौजूदगी कई बार देखी गई है। फ्लैग मीटिंग में ब्रिगेडियर ने शहीद हेमराज के
सिर को पाकिस्तान से देने की मांग भी की लेकिन पाक सेना खामोश रही। पाकिस्तानी प्रतिनिधियों
ने भारतीय सेना के सभी तथ्यों को सिरे से खारिज कर दिया। उल्टा भारत पर ही संघर्ष विराम
के उल्लंघन का आरोप लगाया और मामले की जांच संयुक्त राष्ट्र से कराने की मांग कर डाली।
चलिए हम बताते हैं कि असल में क्या होगा? हमारी मिलिट्री इंटेलीजेंस ब्यूरो को मिली
सूचना के मुताबिक पाकिस्तान की स्पेशल सर्विसिस ग्रुप जिसमें 653 मुजाहिद्दीन रेजीमेंट
में, लश्कर-ए-तैयबा और तहरीके तालिबान के आतंकियों को भी शामिल किया गया है जैसे ही
अमेरिकी फौज हटेगी तालिबानी आतंकियों को हाफिज सईद भारतीय सेना की अग्रिम चौकियों पर
तैनात करेगा। यह खुलासा पाकिस्तान के सैनिक अफसरों और लश्कर मुखिया के बीच बातचीत में
हुआ है। एमआईबी ने इस बातचीत को इंटरसेप्ट
किया है। भारत ने अपने तमाम राजनयिकों को यह निर्देश दिया है कि वो कूटनीतिक स्तर पर
पाकिस्तान का चेहरा बेनकाब करें। ऐसे में भारत ने न सिर्प अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप
के प्रमुख देशों के साथ-साथ रूस और चीन को भी आगाह किया है कि एशिया महाद्वीप में पाकिस्तान
एक बार फिर अशांति फैलाना चाहता है। जो हुआ वह अमानवीय था। बर्बरता का परिचायक था पर
एक सवाल हम भारतीय सेना से भी पूछना चाहते हैं। भारतीय सैनिकों से भी मेंढर सेक्टर
में 8 जनवरी को भारी चूक हुई। गश्त लगाते सात सैनिकों में से सिर्प दो मारे गए। बाकी
सैनिक कहां फंस गए? उन्होंने जवाबी कार्रवाई क्यों नहीं की? सेना प्रमुख जनरल बिक्रम
सिंह ने भी स्वीकार किया है कि नियंत्रण रेखा पर गश्त के दौरान सम्भवत तकनीकी चूक हुई
है। सेना प्रमुख ने कहा कि सीमा पर तैनात सैनिकों से उम्मीद की जाती है कि वह चुस्त
और आक्रामक रहें। जनरल के मुताबिक एलओसी पर उनके सैनिकों ने जो कदम उठाया वह बहादुरी
भरा था और उन्हें उस पर गर्व है। बिक्रम सिंह ने कहा कि यह भी सम्भव है कि गश्त लगाते
समय सैनिकों ने गलत वक्त पर आक्रामक रुख अपनाया होगा और पाकिस्तानी सेना को सिर काटने
जैसी बर्बर हरकत का मौका मिल गया। मगर इसका मतलब यह नहीं कि उनका आक्रामक होने का फैसला
गलत था। वह एक खास हालात में लिया गया फैसला था। सेना अंदरुनी स्तर पर इसकी जांच कर
रही है। इस पूरी प्रक्रिया में खास ध्यान रखने की जरूरत है कि सैनिकों के मनोबल पर
इसका उल्टा असर नहीं पड़े। जहां तक भारत सरकार के रवैए का सवाल है सेनाध्यक्ष और वायुसेना
अध्यक्ष ने जो चेतावनी भरे सख्त बयान दिए यह सरकार से मंजूरी लेने के बाद ही दिए होंगे
पर इससे आगे बढ़ने के लिए सरकार लगता है अभी तैयार नहीं है। वह फिलहाल माहौल को शांत
करने में लगी हुई है। पाकिस्तान की रणनीति साफ है। वह बातचीत की रस्म अदायगी में भारत
को एंगेज भर करना चाहता है। वह अपने यहां हालात और सेना के नजरिए के मद्देनजर लगता
नहीं कि सही में तनाव कम करना चाहता है या करने का इच्छुक है। यह सब अचानक नहीं हुआ
है। पाकिस्तान के सैकेटरी और मंत्री भारत के साथ बातचीत कर दिखाते रहे कि आगे बढ़ रहे
हैं। प्रधानमंत्री को पाक आने का न्यौता दिया जाता रहा। यह सब कर पाक 2012 गुजार गया
और खुद पर चल रहे प्रेशरों को कम कर गया। दरअसल उसकी नीयत हर हालत में कश्मीर मुद्दे
को संयुक्त राष्ट्र में उठाने की है। इस समय वह इस पोजीशन में भी है। यह तो हमें देखना
है कि हम इन सब बातों का रिस्पांस क्या देते हैं? साफ है कि पाकिस्तान घुमा-फिराकर
किसी भी तरह से इस मामले में तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी चाहता है जबकि है यह द्विपक्षीय
मामला। भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी हालत में इस मामले का अंतर्राष्ट्रीयकरण
नहीं होने देगा। पाकिस्तानी सैनिकों के सिर काटने की घटना को लेकर देशभर में सेना में
नाराजगी का माहौल है। यह पहली बार नहीं कि पाक सेना ने यह बर्बर व्यवहार किया हो। पिछले
13 सालों में ऐसी तीन वारदातें हो चुकी हैं। इनमें चार सैनिक अपनी जान गंवा चुके हैं।
सैन्य मुख्यालय के सूत्रों के अनुसार सिर काटने की पहली घटना 2000 में सामने आई थी।
इसके बाद 2011 में हुई एक वारदात में दो सैनिकों के साथ अमानवीय कृत्य किया गया था।
सारा देश भारतीय रिस्पांस की प्रतीक्षा कर रहा है।
No comments:
Post a Comment