Tuesday 29 January 2013

पाकिस्तानियों ने भारतीय कैदी को पीट-पीटकर मार डाला


 Published on 29 January, 2013
 अनिल नरेन्द्र
 दो भारतीय सैनिकों के शवों के साथ पाक सैनिकों की बर्बरता का मामला शांत नहीं हुआ था कि वहां की जेल में भारतीयों के साथ कूरता की एक और घटना सामने आई है। आरोप है कि कोट लखपत जेल के अफसरों ने नल पर कपड़े धोने जैसी मामूली बात पर न सिर्प जम्मू-कश्मीर के अखनूर निवासी कैदी चमेल सिंह की हत्या कर दी बल्कि घटना के हफ्तेभर बाद भी चमेल सिंह का शव भारत भेजने की कोई व्यवस्था नहीं की। पाक जेल अफसरों की कूरता को उजागर करने वाले लाहौर के वकील तहसीन खान के मुताबिक पाकिस्तान के अफसर चाहते हैं कि शव इतनी देर में भारत भेजा जाए जिससे चोट और खून के निशान मिट जाएं। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी चमेल सिंह की मौत की पुष्टि की है। लाहौर में अल्पसंख्यकों के हक के लिए जीजस रेस्क्यू नाम की एनजीओ चलाने वाले वकील तहसीन खान ने बताया कि 15 जनवरी को वह भी लाहौर की कोट लखपत सेंट्रल जेल में बन्द थे। उस दिन सुबह आठ बजे गलती से सीमा पार कर जाने से पांच साल की सजा भुगत रहे जम्मू के अखनूर सेक्टर में परगवाल निवासी चमेल सिंह पुत्र रसाल सिंह बैरक के बाहर लगे नल पर गंदे कपड़े धोने लगा। तभी हेड वार्डन मो. नवाज और मो. सदीक ने उसे गंदगी न फैलाने को कहा। इस पर चमेल (उम्र करीब 45) ने कहा कि उसे कपड़े धोने की जगह बता दें। उस समय वहां जेल का असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट भी आ गया। उसके सामने ही दोनों वार्डन ने चमेल के सिर और आंख पर वार करना शुरू कर दिया। अचानक चमेल की मार से आंख और माथे से खून निकलता देख जेल के असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट वहां से चले गए। वकील ने बताया कि वह और दूसरे कैदी जब चमेल के पास पहुंचे तो उसकी मौत हो चुकी थी। पाकिस्तान की जैसी आदत है उसने चमेल की मौत की एक और ही कहानी सुना दी। कोट लखपत जेल के अतिरिक्त अधीक्षक इश्तियाक अहमद का कहना है कि 15 जनवरी को नाश्ता करते वक्त चमेल के सीने में दर्द हुआ था। उन्हें फौरन एक सरकारी अस्पताल ले जाया गया। हम उन्हें जिन्ना अस्पताल में ले गए लेकिन वहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। डाक्टरों के मुताबिक चमेल को दिल का दौरा पड़ा था। बहरहाल तमाम आरोपों और मीडिया रिपोर्ट की वजह से जेल अधिकारियों ने न्यायिक जांच का आदेश दिया है। ज्यूडिशल मैजिस्ट्रेट अफजल अब्बास ने उन 14 भारतीय कैदियों के बयान दर्ज किए जो चमेल की बैरक में  ही  बन्द थे। जिन्ना अस्पताल में फोरेंसिक डिपार्टमेंट के सैयद मुद्दसर हुसैन ने कहा कि चमेल की लाश का अभी पोस्टमार्टम नहीं हुआ है। कोट लखपत जेल के रिकार्ड के मुताबिक चमेल को 2010 में सियालकोट बार्डर के पास पकड़ा गया था। उन्हें पिछले साल जून में ही लाहौर के कोट लखपत जेल में शिफ्ट किया गया था। सबसे दुखद पहलू यह है कि चमेल सिंह की 2015 में सजा पूरी होने वाली थी। कोट लखपत जेल में इस समय 33 भारतीय कैदी बन्द हैं। एक बार फिर पाकिस्तान बेनकाब हुआ है। न उन्हें भारतीय सैनिकों के साथ मानवीय व्यवहार करना आता है और न ही उनकी जेलों में बन्द भारतीयों की सुरक्षा की कोई फिक्र है।





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