Thursday 3 January 2013

सीधी घूस का नया नाम डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी


 Published on 3 January, 2013
 अनिल नरेन्द्र
केन्द्र सरकार की गेम चेंजर योजना कैश सब्सिडी पहले ही कदम पर कैश हो गई। सरकार आधी-अधूरी तैयारी के बावजूद इस योजना को एक जनवरी 2013 से लागू करने वाली थी। तय तो यह किया गया था कि 57 जिलों में इसे 1 जनवरी 2013 से लागू किया जाएगा। लेकिन पहले चरण में योजना के लड़खड़ाते कदम सिर्प 20 जिलों में ही पड़ने वाले हैं। इस पर भी आलम यह है कि यह योजना सिर्प छात्रवृत्तियों तक सिमट कर रह गई है। फिलहाल इस योजना में केवल सात स्कीमों को शामिल किया जा सका है। डीजल, खाद, खाद्य और केरोसिन पर फिलहाल कैश सब्सिडी नहीं मिलेगी। सब्सिडी की राशि सीधे लाभार्थी के खाते में पहुंचाने की सरकार की तैयारी भी अभी पूरी नहीं हो सकी है। बहरहाल, कैश सब्सिडी योजना पहली जनवरी से जिन जिलों में लागू हो रही है, उनमें उत्तर पदेश और उत्तराखंड के एक भी जिले शामिल नहीं हैं। 20 जिलों में लगभग दो लाख लोगों के बैंक खातों में सात स्कीमों का पैसा ट्रांसफर किया जाएगा। फरवरी व मार्च से जिलों की संख्या बढ़ाई जाएगी, जबकि साल के अंत तक इसे पूरे देश में लागू करने का पस्ताव है। राजनीतिक इस्तेमाल के आरोपों के बाद सरकार ने इस स्कीम का नाम में नकदी शब्द हटाकर इसे पत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर-डीबीटी) नाम दिया है। जिन योजनाओं पर कैश सब्सिडी मिलेगी वह हैं अनुसूचित जाति के छात्रों को मैट्रिक के पहले मिलने वाली छात्रवृत्ति, अनुसूचित जाति के छात्रों को पोस्ट मैट्रिक के बाद मिलने वाली छात्रवृत्ति, ओबीसी छात्रों को पोस्ट मैट्रिक के बाद मिलने वाली छात्रवृत्ति, अनुसूचित जनजाति के छात्रों को पोस्ट मैट्रिक के बाद मिलने वाली छात्रवृत्ति, इंदिरा गांधी मातृत्व सहायता योजना और धनलक्ष्मी योजना। भ्रष्टाचार में बुरी तरह डूबी हुई यह यूपीए सरकार और कांग्रेस पार्टी ने अब सीधे जनता को घूस देने की योजना बनाई है। तरीका भी जो अपनाया गया है वह भी भ्रष्टाचार का ही है। कांग्रेस को 2014 लोकसभा चुनाव की चिंता खाई जा रही है। माहौल इतना खराब हो गया है कि पार्टी के नेतृत्व को यह समझ नहीं आ रहा कि कैसे माहौल को अपने पक्ष में करें। जाहिर सी बात है कि चूंकि मामला सीधा राजनीतिक है इसलिए पमुख विपक्षी दल भाजपा इसका विरोध करेगी और इसमें खामियों को गिनाएगी। भाजपा पवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा जिन लोगों को इसका लाभ मिलना है उन सभी के बैंक खाते भी अभी तक नहीं खुल पाए और आधार नंबर भी नहीं मिल पाया है। केन्द्र सरकार पर बरसते हुए भाजपा ने कहा कि इस फैसले से गरीबों का कोई भला नहीं होने वाला है। सरकार ने बिना पूरी तैयारी के ही योजना का ऐलान कर दिया है। शाहनवाज ने आरोप लगाया कि यह फैसला लोगों को भ्रमित करने वाला है, क्योंकि सरकार को बीपीएल परिवारों की सही संख्या तक मालूम नहीं है। हुसैन ने कहा कि एक ओर लगातार महंगाई बढ़ रही है और विकास दर घट रही है तो दूसरी ओर सरकार इस पमुख मुद्दों से जनता का ध्यान बांटने के लिए इस तरह की योजनाओं का ऐलान कर रही है। ऐसे में हर साल 9 करोड़ से ज्यादा परिवारों को करीब 30 हजार करोड़ रुपए का भुगतान करना बहुत बड़ी चुनौती होगी। तमाम सरकारी कवायद के बावजूद अभी बैंकों की पहुंच सिर्प 35 फीसदी लोगों तक है। आर्थिक और कमजोर वर्ग में तो और भी कम।

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